VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

साइनोसाइटिस - कारण लक्षण एवं प्राकृतिक चिकित्सा

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'

 

मेडिकल डिक्सनरी के अनुसार साइनोसाइटिस साइनस की श्लेष्मा झिल्ली में होने वाली सूजन है l साइनस हमारे चेहरे के पास वाली हड्डियां  में कुछ छोटे-छोटे स्थान होते हैं जो कि हवा से भरे होते हैं और नमीदार बने रहते हैं, यह साइनस श्लेष्मा झिल्ली द्वारा ढके होते हैं, और बाह्य संक्रमण से इसकी रक्षा करते हैं।

संकेत और लक्षण

·         प्रभावित साइनस पर एक सूस्त व लगातार सिर दर्द, चेहरे पर दर्द

·         संक्रमित साइनस पर तेज दर्द होता है जो झुकने एवं खांसने में बढ़ जाता है

·         सिर में तेज दर्द

·         कभी-कभी नाक से खून आता है

·         नाक में रूकावट व गले में खरास रहते हैं।

·         रोगी को ज्वर बढ़ जाता है

जटिलतायें :

साइनस के लिए मस्तिष्क के करीब निकटता विशेष रूप से संक्रमण से मस्तिष्क के ललाट और फन्नी के आकार की साइनस सबसे खतरनाक संक्रमण दर्शाता है।

अवायवीय जीवाणु हड्डियों व रक्त वाहिकाओं के माध्यम से फोड़े, दिमागी बुखार आदि बीमारियों को उत्पन्न कर सकते हैं।

साइनस पर किसी प्रकार के संक्रमण से श्लेष्मकला पर नमी की कमी आ जाने से ये झिल्ली सूखी हो जाती है तथा संक्रामक कीटाणु साइनस पर सूजन पैदा कर देते हैं, यदि समय रहते इसका ईलाज न किया जाय तो ये धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और नई बीमारियों को जन्म देने लगता है ।

राइनोसाइटिस के कारण

·         एलर्जी

·         अधिक समय तक सर्दी वाले मौसम में रहने से

·         दांतों की जड़ों में इनफेक्सन होने से

·         सायनस में किसी कारणवश चोट लगने से

·         संक्रमित खून का साइनस में जाने से

·         संक्रमिक पानी में नहाने से

·         कफ की मात्रा बढ़ने से

·         छाती में संक्रमण होने से

 

साइनोसाइटिस साइनस पर होने वाले संक्रमण से होने वाली बीमारी है। साइनस पर जो नमी बनी रहती है ये बाहर से आने वाले कारकों से सायनस की रक्षा करता है किन्तु संक्रमण के कारण यह झिल्ली रफ हो जाती है और इसमें सूजन आ जाती है और धीरे-धीरे वह बड़ी बीमारी का रूप धारण कर लेती है। यदि प्राकृतिक चिकित्सा की दृष्टि से हम देखे तो साइनस में नमी कम होना जल तत्व की कमी है तथा वायु तत्व का अशुद्ध होना है।

प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा साइनोसाइटिस का ईलाज

साइनोसाइटिस का प्राकृतिक उपचार के लिये निम्न उपाय किये जा सकते हैं। जैसे सुस्ती या कमजोर निर्गमन अंगों को बल प्रदान करना रोगी पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के लिये समुचित आहार कार्यक्रम को अपनाना, शरीर का पुनर्निमाण करना, शरीर की कमजोरी को दूर करना, कुछ समय के लिये मलहम द्वारा साइनोसाइटिस रोगी के लिये  राहत तो मिलती है लेकिन इसे दबाने से गंभीर बीमारी जन्म ले सकती है इसके लिये रक्त को साफ रखना आवश्यक है।

उपचार को शुरू करने से पहले उपवास रखना जरूरी है तत्पश्चात कुछ दिन तक फलों के रसपान या नारंगी के रस से शरीर में जहरीले शारीरिक विकार त्वचा के रास्ते बाहर निकल जाते हैं।

उपचार के दौरान रोगी को चाय, काफी, शराब, सुगंधित खाद्य पदार्थ, सफेद आटा से दूर रहना ही अच्छा रहता है।

साइनोसाइटिस रोगी के लिये कच्ची सब्जी का रस काफी फायदेमंद होता है रोगी को मुख्यतः गाजर का रस, या पालक का रस गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिये, जो इसके लिये रामबाण सिद्ध है जहां तक संभव हो ताजी हवा, स्वच्छ पानी का 2-3 लीटर गुनगुना पानी प्रतिदिन लेना आवश्यक है। साइनोसाइटिस में गरम पानी पट्टी लगायें इस पट्टी को 20-30 मिनट तक रहने दें, स्नान करते समय इसकी सफाई आवश्यक है।

इसके अलावा मिट्टी की चिकित्सा का इसके ईलाज में महत्वपूर्ण योगदान है। साइनोसाइटिस मुख्यतः साइनस पर सूखापन आने के कारण बाह्य तत्व का संक्रमण हो जाता है इस संक्रमण को दूर करने के लिए सम्पूर्ण साइनस पर नमी लाने के लिए जल चिकित्सा का प्रयोग करना भी उपयुक्त माना गया है।

इसके अलावा संक्रमण दूर करने के लिए मिट्टी का लेप कर, बाह्य संक्रमण को दूर कर मिट्टी तत्व की कमी पूरी करने को भी प्राकृतिक चिकित्सकों द्वारा उपयुक्त माना है।

इसके अलावा शुद्ध जलवायु एवं शुद्ध खान-पान को विशेष महत्व दिया गया है एवं ताजे रसदार फलों का सेवन भी महत्वपूर्ण है।