VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

उपवास को कैसे तोड़ें

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'

          यह बात तो सभी अच्छी तरह जानते होंगे कि उपवास रखने के साथ ही उपवास को तोड़ने में भी बहुत सावधानी और आत्मसंयम की जरूरत होती है। उपवास काल के दौरान पाचनशक्ति बहुत ज्यादा कमजोर हो जाती है। इसलिए उपवास को तोड़ते समय बहुत ही हल्का भोजन खाना चाहिए। उसके बाद पाचनशक्ति जैसे-जैसे बढ़ने लगे, वैसे ही भोजन की मात्रा भी थोड़ी-थोड़ी करके बढ़ाते रहनी चाहिए। इस तरह उपवास को सही तरीके से तोड़कर उपवास रखने वाला व्यक्ति न सिर्फ शारीरिक परिवर्तन होने के खतरे से बच सकता है बल्कि उपवास का पूरा-पूरा लाभ भी उसको मिल सकता है। एक सिद्धांत के मुताबिक उपवास जितना लंबा होता है, उतनी ही ज्यादा सावधानी उस उपवास को तोड़ते समय रखनी पड़ती है।

          उपवास तोड़ने के समय ज्यादातर तरल पदार्थ लेना शरीर के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसका कारण यह है कि उपवास के दौरान हमारी आंते तरल पदार्थ लेने की आदी हो जाती हैं। इसलिए तरल भोजन लेने पर उन पर ज्यादा भार नहीं पड़ता और उसे पचाने में भी आसानी रहती है। एक बात का ध्यान रखना और जरूरी है कि तरल भोजन के साथ भोजन हल्का और सादा भी होना चाहिए।

          अगर कोई व्यक्ति एक दिन का उपवास रखता है तो शाम के समय उस उपवास को तोड़ने के लिए पहले थोड़ा-थोड़ा सब्जियों का रस, फलों का रस और पकी हुई सादी सब्जियां आदि लेनी चाहिए। उसके बाद धीरे-धीरे अन्न और भोजन पर आ जाना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि जब पहले का किया हुआ भोजन पच जाए तभी दूसरा भोजन खाया जाए। उपवास चाहे कोई भी हो, उसको तोड़ने के बाद कभी भी भोजन के न पचने का रोग नहीं होने देना चाहिए।

          2-3 दिनों का उपवास रखने के बाद चौथे दिन सिर्फ 3 बार थोड़ा सा सब्जियों का सूप या फलों का रस पीना चाहिए। पांचवे दिन एक बार रस या सूप और 2 बार सादी पकी हुई सब्जी भी खानी चाहिए। छठे दिन 3 बार पकी हुई साग-सब्जी खानी चाहिए और सातवें दिन एक बार के भोजन में रोटी-सब्जी खानी चाहिए तथा इसके बाद रोजाना के भोजन पर आ जाना चाहिए।

          लंबे उपवासों में तरल खाने वाले पदार्थ जितना लंबा उपवास हो उसके तिहाई समय तक चलने चाहिए। उसके बाद रोजाना या दूसरे दिन एक बार बहुत हल्का भोजन, ताजे फल या साग-सब्जी को खाना भी शुरू कर सकते हैं। इन दिनों भी दूसरा भोजन फलों के रस या सब्जी के सूप का ही होना चाहिए।

उपवास को कब समाप्त किया जाए?-

          एक बात बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उपवास को कब समाप्त किया जाए? कोई भी व्यक्ति जब उपवास रखता है तब यह बात कोई ठीक तरह से नहीं बता सकता कि उसे कितनों दिनों तक उपवास रखना है और उपवास तोड़ना है। इस बात का पता तो हमको उपवास के अंत में उपवास करने वाले की प्रकृति द्वारा ही मिलता है, अर्थात उपवास के समाप्ति में जब व्यक्ति को निम्नांकित महसूस होने लग जाए, तभी व्यक्ति को समझना चाहिए कि उसका उपवास पूरा हो गया और उसे समाप्त करने का समय आ गया है।

·         जब व्यक्ति को अपने आप ही बहुत तेज भूख लगने लगे तब समझना चाहिए कि उपवास को तोड़ने का समय आ गया है।

·         उपवास के दौरान उपवास करने वाले व्यक्ति की जीभ पर जो सफेद मैल जम जाता है जब वह साफ हो जाए तो समझिए कि उपवास को समाप्त करने का समय आ गया है।

·         जब लेने वाली सांस मीठी-मीठी सी महसूस होने लगे।

·         नाड़ी की रफ्तार जब बिल्कुल ठीक तरह से चलने लगे।

·         शरीर में खून का प्रवाह सही तरह से चलने के कारण जब त्वचा मुलायम और लचीली हो जाए।

·         शरीर का तापमान बिल्कुल सामान्य हो जाए।

·         जब व्यक्ति का शरीर बिल्कुल ही हल्का-फुल्का सा लगने  लगे  उसके अंदर नई तरह की चुस्ती-फर्ती लगने लगे।

पूर्णोपवास के बाद-

          कोई भी व्यक्ति जब उपवास करता है तो उसे उपवास की समाप्ति के बाद बड़ी ही तेज भूख लगती है, लेकिन उस वक्त व्यक्ति को बड़े ही सब्र से काम लेना चाहिए और ज्यादा नहीं खाना चाहिए। भोजन के हर ग्रास को अच्छी तरह धीरे-धीरे चबाकर खाने से तथा जीभ को अपने काबू में रखने से भूख पर काबू पाया जा सकता है। अगर उपवास तोड़ने के बाद भूल से कोई गलती हो जाए और उस गलती के कारण शरीर के दुबारा रोगी हो जाने के आसार लग रहे हों तो उस गलती का प्रायश्चित करने के लिए दुबारा उपवास कर लेना चाहिए। उपवास के बाद ऐसा भोजन नहीं खाना चाहिए कि जिससे शरीर को रोगी होने का खतरा हो बल्कि प्राकृतिक और सादा भोजन खाना चाहिए। अगर कोई भी व्यक्ति चाहे तो प्रकृति की मदद से अच्छे स्वास्थ्य का लाभ उठा सकता है। अगर उपवास, उपवास के नियमों के मुताबिक ठीक तरीके से किया जाए तो किसी भी मोटे व्यक्ति का वजन रोजाना लगभग 1 पौंड के बराबर कम होगा और उपवास तोड़ने के बाद वजन बढ़ने की औसत उससे आधी ही होगी।