VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

उपवास का पालन कैसे करें

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'

          जब तक किसी भी व्यक्ति का पूर्णोपवास चलता रहे तब तक निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना जरूरी है-

पानी पीना-

          उपवास के दौरान किसी भी तरह का भोजन नहीं खाना चाहिए, लेकिन ताजा और साफ पानी जरूर पीना चाहिए। पूरे दिन में कम से कम 8 से 10 लीटर पानी पिया जा सकता है। पानी को थोड़ा-थोड़ा करके कई बार में पिया जा सकता है। अगर मन करता है तो पानी में कागजी नींबू को मिलाकर भी पिया जा सकता है। ऐसा करने से शरीर की सफाई अच्छी तरह से हो जाती है। उपवास के दौरान पानी न पीने से शरीर को नुकसान होने की आशंका रहती है। इसलिए उस समय शरीर को पूरी मात्रा में नियमित रूप से पानी मिलना चाहिए नहीं तो शरीर में पानी की कमी होने के कारण आंतें भी सूख सकती हैं और रक्तप्रवाह में भी रुकावट पैदा हो सकती है। इसके अलावा उपवास के दौरान पानी कम पीने या न पीने से शरीर के अन्दर गर्मी भी बढ़ सकती है। जिससे उपवास करने वाले व्यक्ति को परेशानी हो सकती है।

एनिमा-

          उपवास काल के दौरान जितना पानी पीना जरूरी है उतना ही जरूरी एनिमा लेना भी है। उपवास के दौरान एक तरह से आंतें अपना काम बंद कर देती हैं, इसलिए उन्हें दूसरे तरीके से रोजाना साफ करते रहना भी जरूरी है।

          बहुत से लोगों की सोच होती है कि जब उपवास करते हैं तब खाना तो खाया नहीं जाता तो शौच क्रिया कहां से होगी? क्योंकि पहला तो आतें कभी भी मल से खाली नहीं होती, दूसरे भोजन न करने पर आंतों में जो स्वाभाविक क्रिया होती रहती है उसके नतीजतन पैदा होने वाले मल को साफ करने की जरूरत तो पड़ेगी ही। इसलिए उपवास के दौरान रोजाना कम से कम से कम एक बार एनिमा क्रिया के द्वारा आंतों को साफ रखना भी जरूरी है। एनिमा लेने का पानी हल्का गर्म होना चाहिए। वैसे तो ठंडे पानी का एनिमा भी लिया जा सकता है। एनिमा के पानी में थोड़ी सी बूंदे कागजी नींबू के रस की भी मिलाने से पेट की अच्छी सफाई हो जाती है।

स्नान-

          उपवास रखने के दिनों में रोजाना ठंडे पानी से नहाना जरूरी है। अगर रोजाना दूसरे दिन एक उदरस्नान या मेहरस्नान कर लिया जाए तो बहुत अच्छा होता है। उपवास काल में त्वचा को साफ, स्वस्थ और सतेज रखना भी बहुत जरूरी है। इसलिए इन दिनों में कभी-कभी पूरे दिन शरीर पर गीली मिट्टी की पट्टी रखना भी बहुत उपयोगी होता है। अगर उपवास लंबा होने के कारण व्यक्ति रोजाना स्नान नहीं कर सकता तो उसे कम से कम रोजाना गर्म पानी में किसी तौलिए को भिगोकर और निचोड़कर अपने पूरे शरीर को अच्छी तरह से रगड़कर पोंछना चाहिए।

व्यायाम-

          बहुत से लोग उपवास के दौरान सारे कामों को पीछे छोड़कर आराम करने के मूड में रहते हैं, लेकिन यह बात बिल्कुल सही नहीं है। उपवास करने पर भी अपनी ताकत के अनुसार कोई न कोई काम करते रहना जरूरी होता है। पुराने रोगों में अच्छा स्वास्थ्य पाने के लिए उपवास रखने पर भी अपना छोटा-मोटा काम तो करते रहना ही चाहिए और ऊपर से व्यायाम आदि भी करते रहना चाहिए। अगर इतना कुछ न किया जाए तो कम से कम टहलने तो जा ही सकते हैं। बस एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि उपवास काल में शरीर थकने न पाए, क्योंकि शरीर में से ज्यादा ताकत कम हो जाने पर की हुई मेहनत से शरीर को फायदे के स्थान पर नुकसान ज्यादा पहुंचाता है। ऐसे व्यक्तियों को भी घूमने-फिरने, चलने-फिरने तथा हल्के-फुल्के व्यायाम आदि करने से कभी भी भागना नही चाहिए। उपवास रखने के दौरान अगर उपवास करने वाला व्यक्ति एक बार लेट गया और उठ ना पाए तो उसको बिस्तर पर पड़े-पड़े ही अपने शरीर के हर अंग में हरकत करके व्यायाम आदि कर लेना चाहिए।

          एक बात जाननी जरूरी है कि जो व्यक्ति शरीर से दुबले-पतले होते हैं या उनमें कमजोरी ज्यादा होती है, उपवास के दौरान सिर्फ उन्हीं को चारपाई पर पड़े रहना जरूरी है।

आराम-

          उपवास रखने के दौरान उपवास रखने वाले व्यक्ति को व्यायाम करने के साथ ही पूरा आराम करने की भी जरूरत होती है। जो व्यक्ति बहुत ज्यादा कमजोर होते हैं उनको तो कभी-कभी पूरे दिन आराम करना जरूरी हो जाता है। उपवास के दिनों में शरीर को जितना ज्यादा आराम दिया जाए, अगर उपवास के बाद भी उसे उतना ही आराम दिया जाए तो उपवास से किसी तरह की हानि नहीं हो सकती। उपवास में अगर व्यक्ति पूरी नींद सो सके तो अच्छा रहता है।

मानसिक स्थिति-

          उपवास के दौरान एक बात का ध्यान रखना खासतौर पर जरूरी है कि उपवास करने वाले व्यक्ति की मानसिक स्थिति शांत और एक जगह स्थिर रहे। इसके लिए सबसे जरूरी है कि उपवास करने वाले व्यक्ति को उपवास काल में अपने मन को शांत करने के लिए भगवान की भक्ति में मन को लगाना चाहिए। वैसे भी किसी महान पुरुष ने यह कहा है कि अगर शरीर के उपवास के साथ-साथ मन का उपवास न रखा जाए तो वह किसी तरह से व्यक्ति के लिए लाभकारी नहीं हो सकता। इसलिए उपवास रखने पर हमेशा खुश, तनाव रहित रहना चाहिए।

उपचार-

          उपवास करने के दौरान किसी भी तरह की औषधियां नहीं लेनी चाहिए क्योंकि ये शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं क्योंकि इस उपवास के समय तथा उसके बाद काफी दिनों तक शरीर बहुत ही नाजुक अवस्था में रहता है। उपवास काल में किसी रोग के होने पर सीधे ही प्राकृतिक उपचारों का सहारा लेना चाहिए। यह उपचार पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी रखने से, उदर स्नान करने से, तथा कपड़े की ठंडी पट्टी आदि रखने से होते हैं। उपवास करने वाले व्यक्ति को पूरी तरह खुली हवा में रहना और सोना चाहिए। सुबह के समय कपड़े उतारकर कुछ देर तक धूप में बैठना चाहिए। उपवास के दौरान व्यक्ति का शरीर का तापमान कम करने पर या शरीर के अलग-अलग भागों में रक्तसंचार की क्रिया बढ़ाने के लिए प्राकृतिक मालिश की क्रिया सबसे अच्छी रहती है ।