उपवास रखने के समय में कभी-कभी व्यक्ति को बहुत ज्यादा परेशानी होती है जिससे डरकर बहुत से लोग तो उपवास को बीच में ही तोड़ देते हैं। लेकिन ऐसा करने से उनकी परेशानियां और भी बढ़ जाती हैं-
मूर्च्छा
(बेहोशी)-
उपवास काल के दौरान अगर किसी व्यक्ति
को बेहोशी आ जाती है तो यह इस कारण से क्योंकि उस समय व्यक्ति के दिमाग में खून का
प्रवाह सही तरह से नहीं होता। इस बेहोशी को दूर करने के लिए रोगी को बिल्कुल सीधा
लिटाकर उसकी टांगों को थोड़ा ऊंचा कर देना चाहिए, जिससे व्यक्ति के दिमाग में खून पहुंच सके। बेहोशी की हालत
में कभी भी रोगी को खड़ा नहीं करना चाहिए,
नहीं तो उसकी मौत भी हो सकती है।
चक्कर
आना-
किसी व्यक्ति के चक्कर आने की चिकित्सा
बिल्कुल बेहोशी की तरह ही है,
लेकिन चक्कर कभी-कभी सिर में खून ज्यादा हो जाने से भी आ जाते हैं। किसी
व्यक्ति को चक्कर आने पर रोगी के सिर को ऊंचा रखना चाहिए, इसके साथ ही
व्यक्ति को खुली हवा में रहकर आराम करना चाहिए।
दिल
में दर्द-
उपवास रखने के दौरान आमाशय में मल जमा
हो जाने से तथा आमाशय के रोगों के कारण अक्सर दिल में दर्द होने लगता है। ये लक्षण
धीरे-धीरे खुद ही मिट जाते हैं।
सिरदर्द-
कोई व्यक्ति जब उपवास रखता है तो उसको
शुरूआत में सिरदर्द होने लगता है,
लेकिन यह कुछ देर के बाद अपने आप ठीक हो जाता है।
अतिसार
(दस्त)-
वैसे तो उपवास रखने के दौरान किसी भी
व्यक्ति को दस्त बहुत कम लगते हैं लेकिन अगर किसी कारण से ये लग भी जाएं तो उसकी
चिकित्सा तुरंत ही करा लेनी चाहिए।
मूत्रावरोध
(पेशाब आने में रुकावट होना)-
उपवास करने के दौरान उपवास करने वाला
व्यक्ति अगर बहुत ज्यादा पानी पिए लेकिन उसको पेशाब न आए तो उसको अक्सर मूत्रावरोध
(पेशाब आने में रुकावट होना) का रोग हो जाता है। इसको ठीक करने के लिए व्यक्ति को
ठंडा मेहनस्नान या पेड़ू पर गर्म और ठंडा स्प्रे देना चाहिए।
नाड़ी
(नब्ज) का धीरे-धीरे चलना-
उपवास रखने पर अक्सर उपवास रखने वाले
व्यक्ति की नाड़ी के चलने की रफ्तार कम हो जाती है, लेकिन इससे डरने की कोई बात नहीं है, क्योंकि यह
खतरनाक नहीं होता। थोड़ा बहुत व्यायाम करने से या गर्म पानी से नहाने से इसकी
रफ्तार सही हो जाती है। इसमें मालिश करने से भी बहुत लाभ होता है।
नाड़ी
(नब्ज) का तेज चलना-
जब कोई व्यक्ति लंबा उपवास करता है तो
अक्सर उसकी नाड़ी तेज-तेज चलने लगती है,
जो बहुत खतरनाक होती है। इसका उसी समय इलाज करना जरूरी है। एक डॉक्टर के
मुताबिक ऐसी स्थिति में ठंडे पानी से स्नान करने से दिल उत्तेजित होता है, इसलिए रोगी
को ठंडे पानी से स्नान नहीं करना चाहिए। ऐसी हालत होने पर रोगी को गर्म पानी से
स्नान कराना लाभदायक होता है। लेकिन यह पानी भी ज्यादा गर्म नहीं होना चाहिए, बस शरीर के
तापमान के बराबर ही होना चाहिए। पेडू़ पर ठंडे पानी की पट्टी रखने से, सिर को ठंडा
और पैरों को गर्म रखने से भी लाभ होता है। इस रोग में ताजी हवा रोगी को खिलाने से
भी लाभ होता है।
वमन
(उल्टी)-
उपवास रखने के दौरान सबसे खतरनाक रोग
है, उपवास
रखने वाले व्यक्ति को उल्टी होना। अगर ऐसा किसी व्यक्ति के साथ उपवास रखने के
दौरान होता है तो उसे बहुत सारा गर्म पानी पिलाना चाहिए ताकि उसके आमाशय में जमा
उत्तेजक पदार्थ जल्दी से बाहर निकल सकें। अगर ऐसा करने से कोई लाभ न हो तो, रोगी को ठंडा
और गर्म स्नान करना चाहिए। अगर इस प्रयोग से लाभ न हो तो रोगी को पानी में
ग्लिसरीन मिलाकर पिलाने से उल्टी आने का रोग दूर हो जाता है।
रोग-आरोग्य
और उपवास-
अगर कोई कहता है कि रोगों को दूर करने
के लिए उपवास रखने का नियम उतना ही ज्यादा पुराना है जितना कि खुद मनुष्य जाति तो
यह बात गलत नहीं होगी। बहुत से धार्मिक ग्रंथों में इसके सबूत मिल जाते हैं।