मां द्वारा अपने शिशु को अपने स्तनों से आने वाला प्राकृतिक दूध पिलाने की क्रिया को स्तनपान कहते हैं। यह सभी स्तनपाइयों में आम क्रिया होती है। स्तनपान शिशु के लिए संरक्षण और संवर्धन का काम करता है।
नवजात शिशु में रोग
प्रतिरोधात्मक शक्ति नहीं होती। मां के दूध से यह शक्ति शिशु को प्राप्त होती है।
मां के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्त्व को बांध लेता है और लौह
तत्त्व के अभाव में शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते। मां के दूध से आए
साधारण जीवाणु बच्चे की आंत में पनपते हैं और रोगाणुओं से प्रतिस्पर्धा कर उन्हें
पनपने नहीं देते। मां के दूध में रोगाणु नाशक तत्व होते हैं। वातावरण से मां की
आंत में पहुंचे रोगाणु,
आंत में स्थित विशेष भाग के संपर्क में आते हैं, जो उन रोगाणु-विशेष के खिलाफ प्रतिरोधात्मक तत्व बनाते हैं।
ये तत्व एक विशेष नलिका थोरासिक डक्ट से सीधे मां के स्तन तक पहुंचते हैं और दूध
से बच्चे के पेट में। इस तरह बच्चा मां का दूध पीकर सदा स्वस्थ रहता है।
जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त
रूप से मां का दूध पीने को नहीं मिलता,
उनमें बचपन में शुरू होने वाले डायबिटीज की बीमारी अधिक होती है। उनमें
अपेक्षाकृत बुद्धि विकास कम होता है। अगर बच्चा समय पूर्व जन्मा (प्रीमेच्योर) हो, तो उसे बड़ी
आंत का घातक रोग, नेक्रोटाइजिंग
एंटोरोकोलाइटिस हो सकता है। अगर गाय का दूध पीतल के बर्तन में उबाल कर दिया गया हो, तो उसे लीवर
का रोग इंडियन चाइल्डहुड सिरोसिस हो सकता है। इसलिए छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए
मां का दूध श्रेष्ठ ही नहीं,
जीवन रक्षक भी होता है।
स्तनपान से दमा और कान की बीमारी
पर नियंत्रण कायम होता है,
क्योंकि मां का दूध शिशु की नाक और गले में प्रतिरोधी त्वचा बना देता है। शोध
से प्रमाणित हुआ है कि स्तनपान करने वाले बच्चे बाद में मोटे नहीं होते। यह शायद
इस वजह से होता है कि उन्हें शुरू से ही जरूरत से अधिक खाने की आदत नहीं पड़ती।
स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है। स्तनपान से
शिशु की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है। इसका कारण यह है कि स्तनपान करानेवाली मां और
उसके शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता बहुत मजबूत होता है। इसके अलावा मां के दूध में
कई प्रकार के प्राकृतिक रसायन भी मौजूद होते हैं।
मां को
स्तनपान के लाभ
नयी माताओं द्वारा स्तनपान कराने
से उन्हें गर्भावस्था के बाद होनेवाली शिकायतों से मुक्ति मिल जाती है। इससे तनाव
कम होता है और प्रसव के बाद होनेवाले रक्तस्राव पर नियंत्रण पाया जा सकता है। मां
के लिए दीर्घकालिक लाभ हृदय रोग,
और रुमेटी गठिया का खतरा कम किया है। स्तनपान करानेवाली माताओं को स्तन या
गर्भाशय के कैंसर का खतरा न्यूनतम होता है। स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है।
स्तनपान सुविधाजनक, मुफ्त
और सबसे बढ़ कर माँ तथा शिशु के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत करने का सुलभ साधन है।
मां के साथ शारीरिक रूप से जुड़े होने का एहसास शिशुओं को आरामदायक माहौल देता है।