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शल्य क्रिया (सिज़ेरियन प्रसव )से जनन के कारण पड़ने वाले दुष्प्रभाव

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'

सीसेक्शन प्रसव एक शल्यप्रक्रिया है जहाँ डॉक्टर बच्चे को जन्म दिलाने के लिए माँ के पेट और उसके गर्भाशय में एक चीरा लगाते हैं। अधिकांश सीसेक्शन प्रसव तब किए जाते हैं जब सामान्य प्रसव से संबंधित कुछ समस्याएं होती हैं। एक सीसेक्शन प्रसव उन मामलों में जीवनदान दे सकता है जहाँ सामान्य प्रसव में जटिलताओं का खतरा होता है। यदि आपकी गर्भावस्था या प्रसव के दर्द में कोई समस्या नहीं है तो सामान्य प्रसव आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

सीसेक्शन प्रसव उन मामलों में आवश्यक होता है जहाँ माँ या बच्चे के जीवन को खतरा हो। ऐसे मामलों में यह माँ और बच्चे दोनों के लिए सामान्य प्रसव से बेहतर विकल्प होता है।

सीसेक्शन प्रसव के नुकसान

माँ के लिए सीसेक्शन के नुकसान

एक माँ के लिए सीसेक्शन से निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं :

दर्द- सीसेक्शन कराने वाली माँओं को अधिक दर्द निवारक दवाओं की आवश्यकता होती है और सामान्य प्रसव से जन्म देने वाली माताओं की तुलना में ठीक होने में अधिक समय लग सकता है। सीसेक्शन प्रसव के बाद महिलाओं में घाव (जहाँ टांके होते हैं) में दर्द और पेट में तकलीफ की शिकायत होना आम बात है। पेट की परेशानी कभीकभी एक महीने से अधिक समय तक चल सकती है।

रक्तस्राव- सीसेक्शन सर्जरी के दौरान, रक्तस्राव सामान्य से अधिक होने पर माँ को रक्त की बहुत अधिक कमी हो सकती है। यदि भारी रक्तस्राव होता है, तो खून चढ़ाने की भी आवश्यकता पड़ सकती है।

सर्जरी के बाद के संक्रमण- सीसेक्शन शल्यक्रिया के पहले, संक्रमण की संभावना को कम करने के लिए माँ को प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाएं दी जाती हैं । हालांकि, संक्रमण तब भी हो सकता है और सीसेक्शन प्रसव का यह एक बहुत ही सामान्य दुष्प्रभाव है। महिला को घाव से रिसाव हो सकता है और वहाँ लालिमा दिख सकती है, और बहुत दर्द महसूस हो सकता है या घाव खुला हुआ भी दिख सकता है। यह उन महिलाओं को अधिक होता है जिनका वज़न ज़्यादा हो या जिन्हें मधुमेह हो। एंडोमेट्राइटिस गर्भाशय की परत में होनेवाला एक संक्रमण है, और इससे भारी और अनियमित रक्तस्राव या बदबूदार रिसाव होता है, और कभीकभी जन्म के बाद बुखार भी होता है। महिलाओं में कैथेटर के कारण मूत्र संक्रमण भी हो सकता है। इसके लक्षणों में पेट के निचले हिस्से या कमर में दर्द होना, बुखार आना और ठंड लगना होता है।

खून के थक्के-  हर शल्यक्रिया में रक्त के थक्के होने का जोखिम होता है। अगर थक्के फेफड़ों में हो जाएं तो यह घातक हो सकता है। यदि आपकी सांस फूले, पिंडली की मांसपेशियों में सूजन और दर्द हो या खांसी हो तो आपको तत्काल चिकित्सीय सहायता लेने की आवश्यकता है। आपको रक्त के थक्के जमने के जोखिम को कम करने के लिए चलनेफिरने और रक्त पतला करने वाली दवाएं लेने के लिए कहा जा सकता है।

आसंजन-  हालांकि यह बहुत आम नहीं है, पर सीसेक्शन सर्जरी में यह खतरा होता है। ये घावों के ऊतकों के पट्टे होते हैं जो पेट में या पेट के अंदर की दीवार से अंगों को चिपकाते हैं, और यह बहुत दर्दनाक हो सकता है। इनसे कुछ आंत्र समस्याएं भी हो सकती हैं और कुछ मामलों में, प्रजनन संबंधी तकलीफें हो सकती हैं।

एनेस्थेशिया- ऑपरेशन के दौरान दिए एनेस्थेशिया के कारण गंभीर सिरदर्द हो सकता है, और कुछ मामलों में तंत्रिका में अस्थाई नुकसान हो सकता है।

 

भविष्य की गर्भावस्थाएँ- यदि आप सीसेक्शन के बाद पुनः गर्भवती होती हैं, तो एक और सीसेक्शन होने का जोखिम अधिक होता है। ज्यादातर मामलों में अगर किसी महिला का पहला प्रसव सिजेरियन सर्जरी से होता है, तो बाद के प्रसव भी सीसेक्शन के ज़रिए ही होते हैं।

मृत्युदर - सीसेक्शन में माँ की मृत्यु की संभावना अधिक होती है।

शिशु के लिए सीसेक्शन के नुकसान

बच्चे को सीसेक्शन के कई खतरे होते हैं। उनमें से कुछ हैं:

साँस लेने में तकलीफ-  सीसेक्शन के माध्यम से हुए कुछ शिशुओं को साँस लेने की समस्याएँ हो सकती है। समस्या बेशक गंभीर न हो, लेकिन बच्चे को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। उन बच्चों में इसकी अधिक संभावना है जो प्रसव के समय से पहले पैदा होते हैं या उन बच्चों के लिए जो प्रसव का दर्द शुरू होने से पहले सीज़ेरियन से पैदा होते हैं।

चोट लगना-  दुर्लभ मामलों में, बच्चे को डॉक्टर की छुरी से चोट लग सकती है, हालांकि यह आमतौर पर ठीक हो जाती है।

नवजात शिशु की देखभाल-  सामान्य प्रसव से जन्म लेने वाले शिशुओं की तुलना में सीसेक्शन के माध्यम से जन्म लेने वाले शिशुओं को नवजात शिशुओं की देखभाल के प्रभाग में रहने की अधिक आवश्यकता होती है।

दमा- सीसेक्शन में शिशुओं में दमा होने की अधिक संभावना होती है।

मृत जन्म-  सिज़ेरियन से पैदा हुए शिशुओं में अजन्मे पैदा होने और शिशु मृत्यु दर का जोखिम अधिक होता है।

सीसेक्शन की अन्य जटिलताएं

सीसेक्शन प्रसव से कुछ अन्य जटिलताएँ भी हो सकती हैं। उनमें शामिल हैं :

·         माँ को देखभाल के लिए गहनचिकित्सा प्रभाग में भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है।

·         ऐसे बहुत थोड़े मामले सामने आए हैं जिनमें माँ के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए गर्भाशय निकाला गया हो।

·         सीसेक्शन के बाद की जटिलताओं के कारण आगे भी शल्यक्रिया की आवश्यकता हो सकती है।

·         दुर्लभ मामलों में, महिला को उसके मूत्राशय या गर्भाशय में कोई चोट लग सकती है।

·         जिन महिलाओं का सीसेक्शन हुआ होता है वे आमतौर पर अधिक समय तक अस्पताल में रहती हैं।

·         चीरा लगे क्षेत्र में घाव और दर्द जैसी शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।

·         सीज़ेरियन कराने वाली महिलाओं को स्तनपान करवाने में देरी हो सकती है। इसका कारण असुविधा और पेट में दर्द होता है।

·         प्रसवोत्तर अवसाद उन महिलाओं में अधिक होता है जिनका सिज़ेरियन के माध्यम से प्रसव हुआ हो।

भविष्य में गर्भिणी पर सीजेरियन के संभावित प्रभाव ये हो सकते हैं

सीसेक्शन के कारण निम्नलिखित तरीकों से भविष्य का गर्भधारण प्रभावित हो सकता है :

·         यदि पहला प्रसव सीसेक्शन हुआ हो तो, भविष्य के गर्भधारण में रक्तस्राव, भ्रूण की असामान्य स्थिति, प्लासेंटा प्रीविया या पिछले निशान पर ही गर्भाशय फटने जैसी कई जटिलताएं हो सकती हैं। प्लासेंटा प्रिविया से अधिक रक्तस्राव हो सकता है। असामान्य भ्रूण की स्थिति में एक ऐसी माँ के लिए सामान्य प्रसव कठिन बन सकता है जो पहले सीसेक्शन प्रसव के बाद अगली बार सामान्य प्रसव कराने का प्रयास कर रही हो। यदि गर्भाशय फट जाता है, तो यह घातक साबित हो सकता है।

·         मूत्र मार्ग में संक्रमण या मूत्राशय के संक्रमण उन माताओं में ज़्यादा आम हैं जिन्होंने पहले सीसेक्शन के माध्यम से प्रसव कराया है।

·         यौन असंतोष: सीसेक्शन के बाद ठीक होने का समय लंबा हो सकता है जो महिला की यौन गतिविधियों में रुचि को कम कर सकता है। चीरे वाले स्थान पर उसे दर्द या पीड़ा भी हो सकती है।

·         एक महिला जिसका सीसेक्शन हुआ हो, उसकी भविष्य की सभी गर्भावस्थाओं में सिजे़रियन प्रसव की संभावना अधिक होती है।

·         भविष्य के गर्भधारण में प्लासेंटा का नीचे की ओर होने का जोखिम बढ़ जाता है और इस जटिलता से खून अधिक बहने की संभावना हो जाती है और अगली गर्भावस्था में खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है।