जल नेति :
विधि :
·
नेति पात्र में गुनगुना जल भरकर उसमे आधा चम्मच नमक मिलाएं |
·
पैरों को एक दुसरे से अलग रखते हुए खड़े हो जाएँ, नेति पात्र
को दाहिने हाथ में रखें |
·
नेति पात्र की टोंटी को दाहिनी नासा छिद्र में डालें |
·
मुंह को खोलकर रखें तथा मुख से ही स्वतंत्र रूप से श्वास
लें |
·
सिर को थोड़ा पीछे की और झुकाएं और फिर आगे की ओर तथा बांयी
ओर भी झुकाएं ताकि पात्र से जल दांये नासा छिद्र में प्रवेश कर गुरुत्वाकर्षण
शक्ति के कारण बाएं नासिका छिद्र से बाहर आ जाये | यह क्रिया तब तक करें जब तक कि
पात्र खाली न हो जाए |
·
यही क्रिया बायीं ओर से भी दोहराएँ |
·
नासिका द्वार में बचे हुए जल को निकालने के लिए तीव्र गति
से श्वास छोड़ें | ऐसा बारी-बारी से दोनों नासिका छिद्रों के द्वारा करें जैसा कि
कपालभाति क्रिया में किया जाता है |
लाभ :
·
यह क्रिया स्वाद ग्रंथियों तथा मन पर नियंत्रण करने में
उपयोगी है |
·
यह गले व नाक से संबन्धी रोगों को खत्म करता है।
·
इससे सर्दी, खांसी, जुकाम,
नजला, सिर दर्द आदि रोग दूर होते हैं। यह आंखों
की बीमारी, कान का बहना, कम सुनना आदि कान
के सभी रोग तथा पागलपन के लिए लाभकारी है।
·
इससे अनिद्रा, अतिनिद्रा, बालों का पकना
तथा बालों का झड़ना आदि रोग दूर होते हैं।
·
इससे मस्तिष्क साफ होता है और तनाव मुक्त रहता है, जिससे मस्तिष्क जागृत होकर बुद्धि व विवेक को विकसित करता है।
सूत्र
नेति अथवा रबड़ नेति :
विधि :
·
पतले एवं मुलायम रबड़ कैथेटर के भोथरे (कड़े) भाग को क्षैतिज
दिशा में रखते हुए दायें नासिका छिद्र में प्रवेश कराएँ |
·
धीरे-धीरे नासिका तल के सहारे इसे अन्दर की तरफ तब तक
प्रवेश कराएँ जब तक कि इसका शीर्ष भाग गले के पिछले हिस्से को स्पर्श न करने लगे |
·
दायीं तर्जनी तथा मध्यमा अँगुलियों को मुख के अन्दर डालकर
गले के पिछले हिस्से के पास से कैथेटर के शीर्ष भाग को पकड़ें |
·
इसे मुख से बाहर निकालें तथा कैथेटर के दोनों सिरों को
पकड़कर इससे नासिका मार्ग को रगड़ें |
·
कैथेटर को नासिका के सहारे बाहर निकालें |
·
यही क्रिया बायीं ओर से दोहराएँ |
लाभ :
·
नासिका तथा फैरिंक्स का शुद्धिकरण होता है तथा इच्छा शक्ति
में वृद्धि होती है |
·
यह क्रिया नाक की नली को साफ करती है तथा नाक व कंठ के अन्दर
की गंदगी को भी दूर करती है। यह कपाल को शुद्ध करती है | सिरदर्द, सायनस,नजला रोग में विशेष
लाभदायक है |
सावधानियां :
1.
इस क्रिया को करना अधिक कठिन है, इसलिए इस क्रिया के अभ्यास से पहले रबड़ नेति करें जिसमें रबड़ का बना हुआ सूत्र
होता है।
2.
इस क्रिया को प्रारंभ में किसी योग शिक्षक की देख-रेख में करें।
इस क्रिया को जल्दबाजी में करने से नासिका को हानि हो सकती है।
3.
पहली बार सूत्र नेति करने से पहले रात को नाक के दोनों छिद्रों
में शुद्ध घी की कुछ बूंदे डालें।