VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

भोजन और रोगों से प्राकृतिक रोध

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'

उचित भोजन, प्राकृतिक रहन-सहन एवं सात्विक विचार, स्वस्थ रहने के महत्त्वपूर्ण आधार हैं। कहा जाता है कि - जैसे भोजन वैसे मन, यह कथन सत्य है? क्योंकि भोजन का प्रकार व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। यदि वह भोजन के मूलभूत नियमों से पूर्णतया अवगत नहीं है, तो यह शरीर तथा मन दोनों के लिए अहितकारी हो सकता है। रोगों से बचाव के लिए हमारी दिनचर्या में निम्नलिखित नियमों का समावेश चाहिये-

1.     प्रत्येक दिन भोजन के साथ सलाद लेना चाहिए। सलाद के लिए ककड़ी, टमाटर, मूली, पत्तागोभी, खीरा, आदि का प्रयोग करना उत्तम है।

2.     हरी सब्जियों का उपयोग प्रतिदिन करने से रक्त शुद्ध रहता है तथा शक्तिवर्धन होता है।

3.     मौसमी फलों का सेवन करने से सभी विटामिनों की पूर्ति हो जाती है।

4.     भोजन ताजा ही खाना चाहिये।

5.     गर्मियों में 5-6 लीटर जल तथा जाड़ों में 4-5 लीटर जल पीना चाहिए। अधिक जल पीने से शरीर का मल तेजी से बाहर निकल जाता है, पाचन तंत्र स्वच्छ बना रहता है। भोजन के साथ पानी नहीं पीना चाहिए।

6.     चाय या काफी स्वास्थ्य के लिये दोनों हारिकारक हैं, यदि वे अधिक मात्रा में सेवन किये जाते हैं तो हानि होती है।

7.     अंकुरित अनाज बहुत ही पोषक भोजन है इससे भोजन के सभी तत्त्व प्रोटीन, कार्बोहाइड्रट, खनिज, विटामिन्स होते हैं। इसका प्रतिदिन सेवन करना चाहिये।