उपवास करने के लिए किसी खास तरह की तैयारी करने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि जिस तरह किसी व्यक्ति को भूख लगने पर उसे किसी तरह की तैयारी नहीं करनी पड़ती, उसी तरह कोई सा भी रोग चाहे शारीरिक हो या मानसिक उसको दूर करने के लिए किसी भी प्रकार के विचार-विमर्श की जरूरत नहीं होती। बस इतना जरूर होता है कि उपवास रखने की शुरुआत में मानसिक प्रवृति को थोड़ा शांत और भटकने से रोकने की जरूरत होती है।
लंबे उपवास को शुरू करने से पहले
अगर कुछ समय तक सिर्फ प्राकृतिक भोजन पर ही रहकर आतप स्नान, कटि स्नान
तथा थोड़े बहुत व्यायाम आदि कर लिए जाने के बाद उपवास शुरू किया जाए तो इससे अच्छे
लाभ होने के आसार पैदा हो जाते हैं।
उपवास रखने से पहले यह भी जरूरी
है कि उपवास रखने वाला व्यक्ति उपवास के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी प्राप्त कर
ले। इससे उस व्यक्ति को उपवास के दौरान ताकत और मन को काबू में रखने की शक्ति
प्राप्त होगी। जिससे उपवास करने वाले व्यक्ति का मन डगमगाएगा नहीं। लंबे उपवासों
को शुरू करने से पहले व्यक्ति को अपने दिल और नाड़ी की जांच जरूर करा लेनी चाहिए।
जो पुराने रोगी होते हैं उन्हें लंबे उपवास शुरू करने से पहले अपने रोजाना करने
वाले भोजन में थोड़ा बहुत बदलाव कर देना चाहिए।
इसके बाद धीरे-धीरे लंबे उपवास रखें जैसे पहले उपवास में सिर्फ सुबह का ही
भोजन छोड़ दें और सिर्फ शाम को ही भोजन खाएं। फिर 2-3 दिन के बाद अन्न खाना बिल्कुल
बंद करके सिर्फ फल पर ही रहें। फिर 2-3 दिन तक सिर्फ फलों को खाने के बाद पूरे दिन
का उपवास शुरू कर दें। ऐसा करने से उपवास के दौरान व्यक्ति को किसी तरह की परेशानी
सामने नहीं आएगी।
विशेष
बहुत से लोगों के मन में उपवास को लेकर हमेशा एक
सवाल तो आता ही है कि उपवास किस मौसम में करना ज्यादा लाभकारी होता है। इसके लिए
सिर्फ इतना कहना काफी है कि उपवास कब करना है या कब नहीं करना है यह सिर्फ जरूरत
पर ही निर्भर करता है। जब भी लगे कि आपके शरीर को उपवास की जरूरत है तब ही उपवास
रखना शुरू कर देना चाहिए। फिर भी बहुत से लोग होते हैं जिन्हें गर्मी के मौसम में
उपवास करना ज्यादा मुश्किल लगता है और वह सर्दियों के मौसम को उपवास के लिए अच्छा
मानते हैं। वैसे तो प्राकृतिक चिकित्सकों के मुताबिक लंबे उपवास के लिए सबसे अच्छे
मौसम गर्मी और बसन्त ऋतु के हैं।