कुछ सर्वविदित जानकारियो के साथ-साथ इस मालिश चिकित्सा के कुछ चिकित्सकीय सिद्धान्त भी है। जैसे-
1.
मालिश के व्यवहारिक पक्ष को समझना जैसे-
मालिश कर्ता का व्यवहार कैसा है। क्या वह नम्र, दयालु व शिष्टाचारी है आदि | तथा मालिश लेने वाला, मालिश के
प्रति क्या सोच रखता है। क्या वह इसे चिकित्सा मानता है। आदि।
2.
मालिश के वैज्ञानिक पक्ष को समझना भी मालिश देने वाले व
मालिश लेने वाले दोनो के लिए अनिवार्य है। यह तभी सार्थक होगा जब शरीर विज्ञान को
दोनो जानते व समझते हो।
3.
इस चिकित्सा के बारे मे दोनो को (लेने वाला, देने वाला)
पूर्ण विश्वास होना चाहिये।
4.
ग्रहणशील व्यक्तियो पर इसका प्रभाव अधिक होता है व जल्दी
होता है।
5.
सकारात्मक व्यक्तियों पर मालिश चिकित्सा एक टानिक का कार्य
करती है।
6.
भावनात्मक सिद्धान्त के रूप देखे जो इससे एक-दूसरे में आत्मीयता
का संचार होता है।
7.
मुख्य रूपसे नियम के अंतर्गत जो सिद्धान्त लागू होता है वह
है कि इसमें लिंग का विशेष ध्यान दिया जाता है- जैसे -
पुरूष वर्ग की मालिश पुरूष
द्वारा तथा महिलाओं की मालिश महिला द्वारा। नवजात शिशु व बच्चों के सम्बन्ध मे यह
बात लागू नही होती इसे परिवारिक परिवेश व माँ के वात्सल्य स्नेहशील छाया मे ही
किया जाता है।