अभ्यंग चिकित्सा एक प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है, जिसके द्वारा शारीरिक व मानसिक कष्टो को दूर किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्त व कफ का संतुलन होना शरीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। मालिश के द्वारा इनकी स्थिति को सम बनाया जा सकता है।
अभ्यंग अर्थात् मालिश यह शब्द
अतिसामान्य और प्रचलित शब्द है,
इस विषय में सभी लोग परिचित है लेकिन वैज्ञानिक रूप से इस मालिश शब्द को समझना
इसके उपयोग की जानकारी होना आवश्यक है।
यह मालिश अर्थात् अभ्यंग
चिकित्सा कष्ट निवारक है,
शारीरिक अंगो को स्वभाविक स्वरूप देती है। ऊतको मे ऊर्जा लाती है तथा आन्तरिक
अंगो को संरक्षण प्रदान करती है ये सभी चिकित्सा विधियों मे पहले से ही शामिल है।
मालिश एक ऐसा शब्द है जो सामूहिक
स्तर पर व्यवस्थित तथा वैज्ञानिक रूप से शारीरिक कैशल के महत्व को बताता है जो कि
हाथो से स्नापुतंत्रो,
मांसपेशियों तथा सामान्य रक्तसंचार को प्रभावित करने के लिए किया जाता है।
मालिश
चिकित्सा की परिभाषा-
1.
शरीर, मन
तथा प्राण ये तीनो का समन्वचय ही स्वास्थ्य है। मालिश करने से न केवल शारीरिक
तत्वो का उपचार होता है,
बल्कि सभी नस-नाड़ियाँ भी इससे प्रभावित होती है, जिससे वे ऊर्जित होती है।
2.
मालिश प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली की वह विधि है जिससे शरीर की मांसपेशियो तथा
संधियो पर दबाव डालकर,
विजातीय तत्वो को बाहार निकाला जाता है।
3.
ईसा के 500
वर्ष पूर्व हीरोडिकस जिसने जिमनास्टिक व्यायाम का अविष्कार किया था वे अपने
रोगियों को मालिश करने व कराने में बहुत जोर देते थे।
4.
हिप्पोक्रेटीज ने जो ईसा से 460
वर्ष पूर्व यूनान में पैदा हुए थे उन्होने अपनी कई प्रसिद्ध किताबों में मालिश के
गुणो की चर्चा की है।