प्राकृतिक चिकित्सानुसार व्यावहारिक जीवन में क्षारतत्त्व एवं अम्लतत्त्व की दृष्टि से संतुलित भोजन माना जाता है। सामान्यतयाः शुध्द रक्त में 80 प्रतिशत क्षारतत्त्व, एवं 20 प्रतिशत अम्लतत्त्व पाये जोते है। तद्नुरूप संतुलित आहार के अन्तर्गत 80 प्रतिशत क्षारतत्त्व, एवं 20 प्रतिशत अम्ल पाये जाते हैं।
अम्ल पदार्थों का सेवन करना
संतुलित आहार की श्रेणी में माना जाता है। अतः अम्ल एवं क्षार का अनुपात संतुलित
आहार की दृष्टि से 1: 4 का आरोग्य
की दृष्टि से माना जाता है।
क्षारधर्मी
खाद्य पदार्थः- घारोष्ण दूध,
मट्ठा, हरी सब्जियाँ
हरी मटर, आलू
छिलका, सहित, मूली पत्तों
सहित, प्याज, शहद, मक्खन, गुड़ , किशमिश, गाजर, पके और खट्टे
फलों एवं अंकुरित अनाज मूंग मोठ मैथी आदि क्षार धर्मी खाद्य पदार्थों में माने
जाते है।
अम्लधर्मी
खाद्य पदार्थः- अम्लधर्मी खाद्य
पदार्थों के अन्तर्गत रोटी,
दालें, सूखे
मेवे, शक्कर, मिश्री, मिठाइयां, चाय, कॉफी सभी
प्रकार के व्यसन सामग्री,
अण्डा, पनीर, मछली मांस, गेंहू, चावल, मक्का, मुरब्बे आचार, चटनी, खटाई, सिरका, तली हुई
खाद्य सामग्री चटपटी खाद्य सामग्री,
मिर्च मसाले, नमक
एवं तेल आदि आते हैं।
मानव शरीर में रक्त यदि 80प्रतिशत
क्षारमय एवं 20
प्रतिशत अम्लीय हो तो उसे शुध्द रक्त कहा जाता है, तथा उसी व्यक्ति के शरीर को “निरोगी”
कहा जाता है। जब प्रतिदिन भोजन में एक हिस्सा अम्लधर्मी और चार हिस्सा
क्षारधर्मी खाद्य पदार्थ का सेवन किया जाये तो उक्त प्रतिशत संतुलित भोजन का मानते
है। आहार में क्षारधर्मी तत्त्वों की कमी से रक्तादि धातु में निर्बल, निःसत्व होकर
शरीर रोगक्रान्ता हो जाता है। रक्त में क्षारतत्त्व द्वारा टूटे हुये तन्तुओं की
मरम्मत होती है। कोशिकाऐं नवजीवन प्राप्त कर स्वस्थ होती है। रोगप्रतिरोधक क्षमता
बढ़ती है। श्वेत कणों की शक्ति बढती है। अम्ल तत्व की वृध्दि से हड्डियाँ कमजोर हो
जाती है।
इसी प्रकार यदि क्षारतत्त्व की
आहार में कमी हो तो मधुमेह,
नेत्र रोग, बुखार, माइग्रेन, एसीडिटी, चर्मरोग, ,गैस, कब्ज, आदि रोग
उत्पन्न होते है।
अम्लीय
प्रभाव बढ़ाने वाले तत्त्वः-क्लोरीन,
आयोडीन, गंधक, फास्फोरस, सल्फर, लैक्टिक, और यूरिक
एसिड आदि।
क्षारीय
प्रभाव बढ़ाने वाले तत्त्व-सोडियम,
पोटेशियम, कैल्सियम, लोहा, तांबा, मेग्नेशियम, और मेगनीज
वाले आहार खाद्य सेवन में क्षारीय तत्त्व बढाते हैं। सार संक्षेप यह है कि संतुलित
आहार के पौष्टिक तत्त्वों से शारीरिक विकास एवं मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
क्षारीय आहार द्रव्यों में उक्त चार भाग क्षारीय एवं 1 भाग अम्लीय
आहार द्रव्यों के सेवन से शरीर स्वस्थ बना रहता है।