VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

योग और मानसिक स्वास्थ्य

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'

योग सकल्पना की जड़ मूल रूप से भारतीय विचारधारा से आयी है जबकि पश्चिमी विचारधारा के मूल में मानसिक आरोग्यता की संकल्पना रही है। भारतीय विचारधारा में मनुष्य की विभिन्न अवस्थाओं. मूढ़, क्षिप्त, विक्षिप्त, एकाग्र, निरूद्व आदि का उल्लेख मिलता है। महर्षि पतंजलि ने योगदर्शन के अन्तर्गत अष्टांग योग में समाधि का वर्णन किया है। इसलिए समाधि, मुक्ति, निर्वाण, आत्म साक्षात्कार, भगवद् प्राप्ति की अवस्था में व्यक्ति मानसिक रूप से आरोग्यता प्राप्त करता है।

योग को अवसाद और चिंता विकार वाले लोगों के लिए काफी प्रभावशाली पाया गया है। सिज़ोफ्रेनिया के इलाज के रूप में भी इसका काफी अच्छा इस्तेमाल और परीक्षण किया गया है। निस्संदेह स्किज़ोफ़्रेनिया के उपचार में यह प्रथम पंक्ति में प्रयोग नहीं किया जाता, लेकिन जब रोगी बेहतर होता है (एंटी-साइकोटिक दवाओं का उपयोग करने के बाद), लेकिन उसमें कुछ समस्या बाकी रहती है, तब हम योग से उन्हें होने वाले लाभ के बारे में बताते हैं। वास्तव में, स्किज़ोफ़्रेनिया रोग से ग्रस्त लोगों के लिए योग से होने वाले लाभ को पहचाना गया है, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों में से एक में स्कित्ज़ोफ्रेनिया के उपचार में योग की सिफारिश की गई है।

योग का उपयोग अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) और ऑटिज्म जैसी कई अन्य मानसिक बीमारियों में सुधार करने के लिए किया जाता है। लोगों ने ज्ञान संबंधी विफलता वाले बुजुर्गों के लिए योग का उपयोग किया है, जिसे हम मिनिमल कॉग्नीटिव इंपेयरमेंट कहते हैं। इसके अलावा, नींद और अन्य मनोकायिक स्थितियों, जैसे अशारीरिक बीमारियों के कारण शरीर में होने वाले दर्द में भी योग को सहायक पाया गया है। इस प्रकार, विभिन्न परिस्थितियों में हमने योग का प्रयोग किया है।

यह पाया गया है कि, जिन लोगों ने कई वर्षों तक ध्यान किया है, उनके कुछ मस्तिष्क क्षेत्र उन लोगों की तुलना में अधिक संरक्षित हैं, जिन्होंने इसे नहीं किया। हमने बुजुर्ग लोगों के बीच एक अध्ययन भी किया, छह महीने तक योग का अभ्यास करने वाले बुजुर्ग, अन्य के मुकाबले शारीरिक रूप से बेहतर थे। योग के नियमित अभ्यास से छह महीने पहले और छह महीने बाद में एक स्कैन किया गया। मस्तिष्क के कुछ संवेदनशील क्षेत्र हैं, जो बुजुर्गों में सिकुड़ने लगते हैं। इसके विपरीत,  इन लोगों में, स्मृति के लिए काम करने वाले इन संवेदनशील क्षेत्रों में वृद्धि पाई गई। इससे यह पता चलता है कि योग ने मस्तिष्क को बचाने और इसकी संरचना के विकास में मदद की है।

अब, इस पर कई अन्य तर्क-वितर्क हैं कि योग से मस्तिष्क के कार्य में सुधार क्यों होता है। योग करने से कोर्टिसोल का स्तर कम हो जाता है, और अगर मस्तिष्क में कोर्टिसोल का स्तर ज्यादा है तो यह इसके सामान्य रूप से कार्य न करने का कारण बनता है। उदाहरण के लिए, जब अवसाद के लोग योगाभ्यास करते हैं, तो यह रक्त में एक प्रोटीन बढ़ता है, जिसे मस्तिष्क द्वारा उत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक अवयव कहा जाता है। यह मस्तिष्क पर होने वाले दुष्प्रभावों की मरम्मत और सुरक्षा कर सकता है।

क्रियात्मक आधार पर, मस्तिष्क के ईईजी एवं घटना संबंधी क्षमताएं जैसे कई इलेक्ट्रो-फिजियोलॉजी अध्ययन किए गए, और हमने देखा है कि मस्तिष्क के कार्यों में सुधार हुआ है।

योग की कुछ प्रक्रियाएं, उदाहरण के लिए, 'ओम' का जप करना, पता चला है कि इसे करने से मस्तिष्क के कुछ क्षेत्र वास्तव में 'शांत' होते हैं; उनकी गतिविधियां कम हो जाती हैं। मस्तिष्क की गतिविधि कम क्यों होनी चाहिए? मस्तिष्क के कुछ क्षेत्र हैं, जो भावनात्मक उत्तेजना की स्थितियों में अधिक कार्य करते हैं। इसलिए, ऐसा लगता है कि कम भावनात्मकता का एक न्यूरो-शारीरिक संबंध है, जो बदले में मस्तिष्क-मरम्मत की प्रक्रिया को बेहतर बनाता है। इन उदाहरणों से पता चलता है कि क्यों योग, मस्तिष्क की क्रियाशीलता बेहतर करने में मदद करेगा और इसे अन्य संभावित हानिकारक प्रभावों से बचाएगा।

यदि आप मुझसे पूछें, तो हर मनोचिकित्सक योग के एक या अन्य रूपों का प्रयोग कर रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं

ज्ञान योग इसमें हम मनो-शिक्षा देते हैं। हम बीमारी के बारे में उस व्यक्ति की समझ में सुधार करते हैं,  उसे क्या करना चाहिए और परिवार को क्या करना चाहिए- ज्ञान। बेशक,  मैं वास्तव में इसे 'ज्ञान योग'  नहीं कहता, लेकिन एक अलग रूप में  हम इसका इस्तेमाल करते हैं।

भक्ति योग - हम जानते हैं कि जब रोगियों को उनके डॉक्टर पर विश्वास होता है, तो वे बेहतर लाभ प्राप्त करते हैं। वास्तव में, विश्वास जुड़ने से बेहतर तालमेल स्थापित हो जाता है। मनोचिकित्सा में, यह महत्वपूर्ण शर्तों में से एक है। जब आप तालमेल में सुधार करते हैं, तो व्यक्ति में चिकित्सक के उपचार पर अधिक भरोसा पैदा हो जाता है और दोनों मिलकर बेहतर काम कर सकते हैं। तो, यह भक्ति योग है।

कर्म योग कुछ ऐसा है जिसे आप मनोरोग पुनर्वास केंद्र में देख रहे हैं। मनोविकारों वाले मरीजों, जिन्होंने अपनी प्रेरणा खो दी है, वे उपयोगी और रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न होने के लिए  खुद को प्रेरित और प्रशिक्षित करते हैं। यह उनके लिए बहुत मददगार है तो हम प्रत्येक दिन कर्म योग का प्रयोग कर रहे हैं।

राज योग कई अन्य चीजों का एक रूप है, जिसमें योगासन,  ध्यान आदि शामिल हैं। रोगी स्वयं को सुधारने में खुद मदद करता है। हम योगासन और प्राणायाम का प्रयोग करते हैं, जो बहुत अच्छी तरह से राज योग के हिस्से के रूप में शामिल हैं। और, निस्संदेह रूप से हमारे पास ध्यान है, जिसका हम चुनिंदा रूप से उपयोग करते हैं। हम इसे सभी रोगियों के साथ प्रयोग नहीं करते हैं वास्तव में,  राजा योग के प्रमुख तत्वों में से ध्यान एक है। लेकिन, हम जानते हैं कि मनश्चिकित्सीय रोगियों को ध्यान की कोशिश करने में कठिनाई हो सकती है। इसलिए,  संभवतया हम अपने हस्तक्षेप को योगासन और प्राणायाम तक सीमित करते हैं, और चुनिंदा स्थितियों में हम ध्यान को प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि इससे उन्हें बेहतर होने में सहायता मिलती है।