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चिकित्सक ऐसा हो जो रोगी को दिये गये समय पर स्वयं
प्रतिबद्ध हो।
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नियामितता बहुत जरूरी है। यह रोगी के लिए भी नुकसानदायक है
और व्यवसाय के लिए भी।
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अनुशासन का विशेष ध्यान रखें, मालिश के समय न तो स्वंय किसी से बात करे न ही रोगी को करने
दें।
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चिकित्सक को साफ-सुथरे कपड़े व्यवस्थित रूप से पहनने चाहिये।
इससे व्यक्तित्व निखरता है।
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मालिश चिकित्सक पूर्ण शारीरिक शक्ति सम्पन्न होना चाहिये।
क्योंकि कमजोर व्यक्ति दूसरो की मालिश नही कर सकता।
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मालिशकर्ता को अभ्यास द्वारा कुशलता व नियमित अध्ययन द्वारा
ज्ञान बर्लित करते रहना चाहिये।
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मलिशकर्ता के हाथ ठंडे नही होने चाहिये, नाखून कटे हो, चूड़ी, घड़ी, अंगूठी आदि
उतार देने चाहियें।
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मालिशकर्ता का मन व ह्रदय पवित्र होना चाहिये इसे व्यवसाय
समझकर नही सेवा भाव समझकर करना चाहिये।
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मालिश कर्ता को संवेदनशील होना चाहियें।