1. व्यक्ति की नकारात्मक सोच धीरे – धीरे खत्म होने लगती है एवं वह अपने लक्ष्य की और तीव्रता से बढ़ता है
2.
गलत आहार – विहारों का ज्ञान होता है एवं आत्मिक शक्ति
प्रबल होती है | जिससे व्यक्ति नशे या गलत व्यसनों को आसानी
से अपनी मर्जी से छोड़ देता है |
3.
सभी प्रकार के
शारीरिक एवं मानसिक रोगों या विकारों का शमन होता है |
4.
नियमित योगी
शांत स्वाभाव एवं निर्मल मन का होता है |
5.
सर्वांगीन
स्वास्थ्य की प्राप्ति होती , शरीर हष्ट-पुष्ट बनता है , मन शांत रहता है एवं सभी
और से व्यक्ति को सफलता मिलती है |
6.
पवनमुक्तासन
समूह एवं शक्ति बंध की क्रियाओं को अपनाने से व्यक्ति का शरीर मजबूत बनता है | पुरे शरीर में फुर्ती आती है , संधियों के जोड़ खुल जाते है एवं सम्पूर्ण शरीर क्रियाशील बनता है जिससे
पुरे शरीर के विकारों का हरण होता है |
7.
खड़े होकर किये
जाने वाले योगासनों से शरीर की मांसपेशियों में मजबूती आती है जिससे गठिया, कम्पवात, मांसपेशियों
का दर्द एवं अकडन, चली जाती है | साथ
ही इन योगासनों को अपनाने से घुटने एवं जॉइंट्स की सभी बीमारियों में लाभ मिलता है
|
8.
वज्रासन समूह के
योगासनों को अपनाने से स्त्रियों के मासिक धर्म, उनके जननांगो के विकारों में लाभ मिलता है | साथ ही वज्रासन में बैठ कर किये जाने वाले असनो से व्यक्ति का श्रोणी
प्रदेश, प्रजनन अंग एवं पाचन अंगो में सुचारू ढंग से रक्त
संचार बढ़ता है , जिससे प्रजनन अंगो के रोग जैसे – हर्निया, धातु – दुर्बलता,
शुक्राणुओं की कमी, बवासीर, अंडकोष का बढ़ना, एवं जननांगो की स्थिलता आदि रोगों
का हरण होता है |
इस प्रकार योग के विभिन्न लाभ है लेकिन इनका पता तब ही चलता
है जब हम योग को अपनाएं | अब कोई कहे की योग से मुझे इतना फायदा मिला तो क्या आप उसे मानेंगे –
शायद मन भी जाएँ लेकिन तर्क – वितर्क तो जरुर
करेंगे | अत: योग के लाभों को पूर्ण जानने के लिए योग को
दैनिक जीवन में लाना जरुरी है , तभी योग से होने वाले
वास्तविक लाभों के बारे में पहचान पाएंगे |
योग का
मानव जीवन पर प्रभाव
अधिकतर हमने योग को सिर्फ व्यायाम, योगासन, प्राणायाम या शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने
की क्रिया मात्र समझ रखा है | लेकिन अगर योग को हम गहराई से
समझें तो हमें इसके लाभों के साथ – साथ इसके प्रभावों का
ज्ञान भी होता है | योग आज के विज्ञान की तरह नहीं है की
इसके सिद्धांत बदल सके | यह हमारे हजारों महान ऋषियों की
उपलब्धि है जिसे उन्होंने अपने पूर्ण जीवन को समर्पित करके प्राप्त की थी |
तभी इसके सिद्धांत भी अकाट्य है , क्योंकि
ऋषियों ने निश्चित ही इसके सभी पहलुओं को महसूस किया था और यही कारण है कि आज
हमारे सामने योग विद्यमान है |
दरशल योग को हम किसी धर्म विशेष में नहीं बांध सकते , यह तो सभी धर्मो से ऊपर है | धर्म हमें सिर्फ जीना सिखा सकते है , कुछ नियम सिखा
सकते या फिर धार्मिकता सिखा सकते है | लेकिन योग हमें उत्तम
तरीके से जीवन यापन करने के साथ – साथ आत्मा से परमात्मा को
उपलब्ध होने का तरीका बताता है जो इस मानव जीवन के लिए परम आवश्यक है |