गीली मिट्टी की पट्टी को रोग
ग्रस्त अंग पर विशेष तरीके से प्रयोग कर हम रोगमुक्त हो सकते है। मिट्टी की पट्टी
को बनाने की विधि हम आपको बता रहे हैं, जिन्हें आगे बताये गये रोगों पर प्रयोग किया जा सकता है।
कब्ज
कब्ज को समस्त रोगों की जननी कहा
जाता है। अतः कब्ज होते ही इसकी चिकित्सा तुरंत करनी चाहिये। कब्ज की चिकित्सा
निम्न विधि से करें-
प्रातः शौच आदि से निवृत्त होकर
खाली पेट पेड़ू पर गरम पानी की थैली से 10 मिनट सिंकाई करें और उसके बाद 45 तक गरम मिट्टी की पट्टी लगायें। (गरम मिट्टी पट्टी से आशय
है,
जैसा कि पीछे पट्टी बनाने की विधि में बताया जा चुका है। कि
मिट्टी की पट्टी लगाकर ऊपर से ढक दें।) जीर्ण कब्ज में इसे सुबह- शाम दानों समय
किया जा सकता है। शाम को भोजन से पहले ही यह प्रयोग करें।
बवासीर- बवासीर कब्ज का ही
परिणाम होती है इस रोग में मलद्वार के बाहर व अन्दर की नाड़ियां सूजन की वजह से फूल
जाती हैं। इस रोग की चिकित्सा कब्ज की चिकित्सा विधि के अनुसार करें। इसके
अतिरिक्त गुदा द्वार के मस्सों पर भी गीली मिट्टी की पुल्टिस (गेंद जैसी) रखें एवं
उसे किसी गर्म ऊनी कपड़े से बांध दें।
दाद
दाद एक ऐसा चर्मरोग है जो जल्दी
ठीक नही होता परंतु प्राकृतिक चिकित्सा से इससे मुक्ति पायी जा सकती है। इसके लिये
दादग्रस्त स्थान पर 5 मिनट गर्म सेंक देने के बाद लगभग 30 मिनट के लिये गीली मिट्टी की ठण्डी पट्टी का प्रयोग करना
चाहिये।
खुजली
इस रोग में छोटी-छोटी फन्सियां
निकलती हैं जिनमें खुजली एवं जलन होती है। इस रोग की चिकित्सा निम्न विधि से करें-
1.
प्रातः
खाली पेट पेड़ू पर गर्म सेंक 10 मिनट, तत्पश्चात पेड़ू पर गर्म मिट्टी की पट्टी 45 मिनट तक एवं गुनगुने नीम पानी का एनिमा |
2.
खुजली
किसी अंग विशेष में हो तो वहां पर 5 मिनट गर्म सेंक देकर दिन में दो बार 30 मिनट के लिये गीली मिट्टी की ठण्डी पट्टी लगायें और यदि
पूरे शरीर में हो तो पूरे शरीर का गीली मिट्टी स्नान लें।
हिचकी
हिचकी ऐ ऐसी क्रिया है जो कभी न
कभी प्रत्येक व्यक्ति को आती है, परन्तु सामान्य स्थिति में यह 1-2 मिनट में स्वतः बन्द भी हो जाती है पर यदि यह कई घण्टों या
कई दिनों तक बन्द न हो तो कष्टकारी हो जाती है तक इसे रोग की संज्ञा दी जाती है।
यह स्थिति किसी प्रकार गंभीर रोग की चेतावनी भी हो सकती है। इस अवस्था में निम्न
उपचार ले-
·
प्रातः
खाली पेट पेड़ू पर गर्म सेंक 10 मिनट तक और पेड़ू पर मिट्टी की गर्म पट्टी 45 मिनट तक रखें।
·
सायंकाल
यह प्रयोग पुनः करें।
ततैया, मधुमक्खी, बिच्छू आदि का विष
उतारने के लिए
जहाँ पर विषैला कांटे या डंक का
स्थान हो वहां पर खूब ठण्डे पानी से धोयें या गीले कपड़े को पानी भिगोकर बार-बार
रखें। 5 मिनट में ठण्डा करने के बाद उस स्थान को हथेली से रगड़े,
तत्पश्चात् गीली मिट्टी की ठण्डी पट्टी दिन कई बार 30-30 मिनट के लिये लगायें। जहर उतर जायगा। दर्द,
सूजन समाप्त हो जायेगी।
एक्जिमा
यह एक ऐसा कष्टपूर्ण रोग है जो
दवाओं से जड़ से ठीक नहीं होता परंतु यदि प्रतीक्षा एवं विश्वासपूर्वक इसकी
पा्रकृतिक चिकित्सा की जाये तो निश्चित रूप से इस रोग से मुक्ति मिल सकती है। इस
उपचार में पेड़ू पर गर्म सेंक 10 मिनट। पेड़ू पर गर्म मिट्टी पट्टी 45 मिनट तक साथ ही नीम की पत्तियों को डालकर उबाले गये पानी
का एनिमा लें। एक्जिमाग्रस्त स्थान पर गर्म सेंक 5 मिनट, तत्पश्चात् गीली मिट्टी की लगभग 1 इंच मोटी पट्टी 45 मिनट तक रखें। यह क्रिया दोपहर और सायंकाल भी करें। इस रोग
में रोगी का आहार सादा और सात्विक भोजन ही हो।
बुखार
बुखार की अवस्था में पेड़ू पर
गीली मिट्टी पट्टी दिन मे 3-4 बार रखें और समय 30-30 मिनट का होना चाहिये।
विशेष
·
तेज
बुखार में यदि घबराहट बहुत बढ़ जाये तो पेड़ू पर गीली मिट्टी की ठण्डी पट्टी के साथ
साथ माथे पर भी गीली मिट्टी की ठण्डी पट्टी का प्रयोग करें।
·
कंपकपी
के साथ बुखार हो तो मिट्टी पट्टी का प्रयोग न करें।
·
बुखार
की अवस्था में नींबू पानी, जूस या सूप के अतिरिक्त कोई ठोस आहर न लें।