रंग चिकित्सा अर्थात सूर्य किरण
चिकित्सा शरीर के रोग मिटाने में जितनी प्रभावशाली है उतनी ही मानसिक व भावानात्मक
रोगों में आराम पहुँचाने में लाभकारी है। सात रंगों से बनी सूर्य किरणों के अलग
अलग चिकित्सकीय महत्व है। उसके रंग निम्नवत् हैं- बैंगनी,
आसमानी, नीला, पीला, हरा, नारंगी तथा लाल। सूर्य की सप्त किरणें अल्ट्रावायलेट और अल्फा वायलेट किरणें
स्वास्थ्य के लिये बड़ी उपयोगी साबित हुई हैं वे जल के साथ धूप का मिश्रण होने से
खिंच आती हैं। धूप में रखकर रंगीन कांच से संपूर्ण रोगों की चिकित्सा करने तथा
अग्नि और जल के सम्मिश्रण से भाप बन जाने पर उसके द्वारा अनेकों रोगों का उपचार
किया जाता है। प्रो0 ऐप्टिम आकर ने कहा है कि कांच के अथवा अन्य पारदर्शी चीज के बर्तन में यदि
दूषित पानी को धूप में रखा जाए तो एक घण्टे के अंदर पानी बैक्टीरिया विहीन हो
जायेगा यदि क्लोरिन युक्त पानी को धूप में रखा जाय तो कुछ समय पश्चात् क्लोरिन की
अप्रिय गंध तथा स्वाद दोनों ही गायब हो जायेगी।’’
स्वस्थ रहने के लिये व विभिन्न रोगों के उपचार के लिये इन रंगों का महत्वपूर्ण
योगदान है। रंगीन बोतलों में पानी तथा तेल भरकर निश्चित अवधि के लिये सूर्य की
किरणों के समक्ष रखकर अथवा रंगीन शीशों को सूर्य किरण चिकित्सा के साधनों के रूप
में विभिन्न रोगों के उपचार में लाया जाता है। सूर्य किरण चिकित्सा की सरल विधियाँ
स्वास्थ्य सुधार की प्रक्रिया में प्रभावी तरीके से मदद करती हैं।
डॉ. सोले के अनुसार ‘‘कैंसर, नासूर
जैसे असाध्य रोग जो बिजली और रेडियम के प्रयोग से अच्छे नहीं किये जा सकते हैं वे
सूर्य किरण से ठीक ढंग से प्रयोग करने पर अच्छे हो गये हैं।’’
जितना लाभ सीधे सूर्य से आने वाली किरणों से होता है उतना मशीन द्वारा निर्मित
किरणों से नहीं होता है। सूर्य की किरणों से निरोग और रोगी सभी को समान रूप से
फायदा होता है। नियमित रूप से सूर्य स्नान किया जा सके तो निश्चित ही स्वास्थ्य
सुधार में आश्चर्य जनक लाभ मिल सकता है। सूर्य किरण चिकित्सा एक वरदान है इसके
द्वारा किसी प्रकार के असाध्य रोगों को ठीक किया जा सकता है ।