सूर्य की रंगीन किरणो का जल में सम्पुटित करके काम में लाना
रंगीन काँच की बोतल को लकड़ी के ऊपर रखकर धूप में सात घंटे के लिए लगभग 10 बजे से 5 बजे तक रखा जाता है बोतल में शुद्ध पेय जल भरा जाता है और
उसका एक चैथाई भाग खाली रखा जाता है। धूप में रखने के बाद बोतल के खाली स्नान पर
जब भाप की बूंदे दिखने लगे तो समझना चाहिए कि बोतल में रखा जल सूर्य तप्त हो गया
है | इसके बाद इसे दवा के रुप में प्रयोग में लाना चाहिए। ध्यान रखने योग्य बात यह
है कि जल को लकड़ी के ऊपर ही रखना है अन्यथा उसका औषधियां गुण समाप्त हो जाता है ।
चन्द्रमा दीपक, तारो
को प्रकाश पड़ने पर भी यह जल अपना औषधीय गुण खो देता है।
सप्त रंगों की बोतल के अभाव में काँच की परदर्शी बोतल में आवश्यकतानुसार रंगीन
सेलोफिन पन्नी लगाकर पानी को सूर्य किरण द्वारा उर्जावान किया जा सकता है। अर्जित
पानी को यदि उसी बोतल में रखे जिसमें वह तैयार हुआ है तो उसमें उसका औषधीय गुण 72 घंटो तक विद्यमान रहता है और यदि अर्जित जल को किसी दूसरे
बर्तन में रखा जाये तो वह केवल 24 घंटो के लिए ही प्रभावित रहता है। यह अर्जित जल पीने के
साथ-साथ मालिश के काम भी आता है।
सूर्य किरणों का वायु के माध्यम से भक्षण
इस विधि में जल बोतल की भांति ही खाली रंगीन बोतल में डांट लगाकर उसे धूप में
रखते है और फिर पानी के स्थान पर बोतल में भरी हवा को नासिका द्वारा सूंघकर रोगी
के भीतर पंहुचाकर रोग का उपचार किया जाता है। इसके लिए बन्द बोतल को 12 बजे से 1 बजे तक केवल एक घंटे ही धूप में रखते है।
तेल में सम्पुटित करके
इस विधि में भी जल की भांति ही तेल को बोतल में डाट द्वारा बन्द करके सूर्य
किरणों द्वारा अर्जित किया जाता है। परन्तु तेल गर्मियों में 30-40 दिनों में और सर्दियों में 60 दिनों में अर्जित हो जाता है। इसके लिए तिल,
सरसों, जैतून का तेल प्रयोग में लाया जाता है।
मिश्री या दुग्ध शर्करा आदि में सम्पुटित करके
इस विधि में अप्रैल और जून के महीने में रंगीन बोतलों में पीसी हुई मिश्री और
होम्योपेथी वाली सफेद गोलियाँ भरकर धूप में ठीक उसी प्रकार रखते है जिस प्रकार जल
अर्जित करने की विधि है मिश्री को तीन महीने और दुग्ध शर्करा गोलियों को 15 दिनों तक धूप में अर्जित करके प्रयोग में लाया जा सकता है।
रंगीन किरण तप्त जल से भीगे कपड़े की पट्टी लगाकर
सामान्यतः कपड़े की गीली पट्टी के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले सामान्य जल के
स्थान पर अर्जित जल का प्रयोग किया जाता है.। रोग के अनुसार ही इसमें रंगीन अर्जित
जल का प्रयोग करते है ।
रंगीन किरण तप्त जल से सनी मिट्टी की पट्टी का प्रयोग
इस विधि में मिट्टी की पट्टी बनाने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले सामान्य
जल के स्थान पर अर्जित जल का प्रयोग किया जाता है।