VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

प्रसव बाद माँ-बच्चे का स्वास्थ्य

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'

बच्चे के बाहर निकलने के तुरत बाद

·         बच्चे का सिर नीचा करें ताकी उसके मुंह में लगी लसलसी चीज साफ की या जा सके

·         सिर तब तक नीचा रखें जब तक बच्चा सांस लेना नहीं शुरू कर देता है

·         जब तक नाभि नाल कट न जाए, बंध न जाए तब तक बच्चे को माँ के बगल में नीचा करके लिटाएं ताकि उसे माँ का खून मिलता रहे

·         अगर बच्चा तुरत सांस नहीं लेता है तो बच्चे के पीठ को साफ कपड़े से मलें

·         यदि फिर भी सांस नहीं लेता है तो समझना चाहिए की उसके नाक-मुंह में अभी लसलसी चीज फंसी है

·         साफ कपड़े को अंगुली में लपेट कर मुंह नाक साफ करें

·         तुरत पैदा बच्चे को साफ कपड़े में लपेट दें, नहीं तो ठंड लग सकती है

नाभि-नाल को कैसे काटें

बच्चा जब जनम लेता है तो उसके नाभि-नाल में धडकन होती है l यह नाल मोटी और नीले रंग की होती है, थोड़ा इन्तजार करना पड़ता है, थोड़ी देर बाद नाभि-नाल सफेद रंग की हो जाती है l वह धड़कना भी बन्द कर देती है l

अब इसे दो जगहों पर साफ-सुथरे कपड़े की पट्टी से बांध देना चाहिए, जड़ों को कस कर बांधना चाहिए lइसके बाद इसे गाठों के बीच से काटिए l काटने के लिए बिलकुल नए ब्लेड का इस्तेमाल करें l ब्लेड के उपर कागज हटाने के पहले अपने हाथों को गरम पानी और साबुन से धो लें lअगर ब्लेड न हो तो ऐसी कैंची का इस्तेमाल करें जिसे उबले पानी में देर तक खौलाया गया है l नाभि से एक-दो अंगुल हट कर नाल-नाभि को काटें, अगर आपने यह सावधानी नहीं बरती तो बच्चे की टेटनस हो जा सकता l ताजी कटी नाल-नाभि को सूखा रखें, उसे खुला रखें ताकी उसे हवा लग सके और जल्दी सूख जाए l ध्यान रखें की उसपर मक्खी न लगे l  नाल-नाभि काटने तथा बच्चे को पोछने के बाद बच्चे को माँ का दूध पीने दें l  इसी समय उसे स्तन से निकला गाढ़ा पीला खीस (कोलस्ट्रम) पीने को मिलेगा l  यह खीस उसे बहुत सारी बीमारियों से बचाएगा l

आंवला या नाड़ (प्लासेन्टा) निकालना

आंवल बच्चे के जन्म के बाद करीब पांच मिनट से एक घंटे की बीच बाहर आ जाता है, लेकिन  कभी-कभी काफी समय भी लग सकता है l निकलने के पहले गर्भाशय कड़ा हो जाता है, पेट का निचला भाग उठ जाता है और  थोड़ा खून भी निकल सकता है l निकल आने के बाद नाड़ को अच्छी तरह देखें कि कहीं टुटा हुआ तो नहीं है, कुछ भाग अन्दर रह जाने पर खून का बहाव होगा l ऐसी हालत में डाक्टरी मदद लेनी पड़ेगी l नाल को कभी भी खींचे नहीं l

तुरंत पैदा हुए बच्चे की देखभाल

·         ध्यान रहे की ताजी कटी नाभि-नाल को हाथ न लगाएं l  छूत लग सकती है, उसे साफ और सूखा रखें l

·         बदन, मुंह, नाक, कान, आंख को सूखे साफ पतले कपड़े से हल्के हाथों से पोछें l

·         बच्चे को साफ कपड़े में लपेट कर रखें l

·         ठंड से बचाएं l

·         माँ के स्तन में उसका मुंह लगा दें l

·         बच्चे को नंगे ही रहने देना ठीक होगा, उपर से एक साफ कपड़ों से ढक दें

·         जब नाभि-नाल सूख कर गिर जाए तो बच्चे को हर रोज गुनगुने पानी से नहलाना चाहिए

·         मच्छर-मक्खी से बचाएं हल्के जालीदार कपड़े से ढके रखें

·         धुआं-धूल से भी बच्चों को बचा कर रखें

·         चार महीने तक बच्चे को माँ के दूध पर ही रहना चाहिए ऊपर से उसे कुछ भी नहीं चाहिए

·         बच्चे को थोड़ी-थोड़ी पर दूध पिलाती रहें-कम निकले या ज्यादा

·         काफी मात्रा में तरल चीजें पिएं दाल, सब्जी, फल का रस, दूध

हाल में जन्मे बच्चों की बीमारियां

कुछ ऐसे रोग रोग हैं जो उनमें जन्म से शुरू हो जाते हैं, ये समस्याएं इसलिए भी हो सकती है कि -

·         गर्भाशय में पलने बढने के समय ही कोई खराबी आ गयी है

·         जनम लेते ही वह अच्छी तरह सांस नहीं ले पा रहा है

·         उसके नबज को महसूस न की या जा सके या

·         उसके नब्ज की गति एक मिनट में सौ से अधिक हो

·         सांस लेने के बाद बच्चे का बदन सफेद, नीला या पीला हो जाए

·         बच्चे की टांगों में कोई जान न हो, चुट्की काटने पर भी बच्चा कुछ महसूस नहीं करता है

·         उसके गले में घरघराहट हो

जन्म के बाद पैदा होने वाली समस्याएं

·         नाभि से पीब निकलता है या फूट कर बदबूदार बहाव होता है

·         कम तापमान या अधिक तापमान वाला बुखार आता है

·         कम बुखार में बच्चे के बदन को ठंडे पानी से हल्के हल्के पोंछे

·         बच्चे का जन्म के बाद वजन थोड़ा घट जाता है लेकिन दो हपते में कम से कम दो सौ ग्राम वजन बढ़ना चाहिए

·         बच्चा दूध पीने के बाद उल्टी कर देता है, पीठ को थपथपाएं l पेट से हवा निकल जाएगा, उसे आराम मिलेगा

·         वह हमेशा सोता रहता है, जगे रहने पर पलके झपकती रहती है, वह बीमार दिखता है

ऐसी हालत में ध्यान दें की कहीं  बच्चे को सांस लेने में तकलीफ तो नहीं हो रही है, नाक तो बन्द नहीं हो गयी है l बदन का रंग तो नीला नहीं हो रहा है, होंठों के रंग तो नहीं बदल रहे हैं l

·         उसके सर के कोमल भाग (तालु को छूकर  देखें), अगर धंस गया है तो भी खतरा,अगर उभर गया है तो भी खतरा

·         यह भी ध्यान दें की कहीं बच्चे का बदन या उसके हाथों, टागों में अकडन या ऐंठन तो नहीं है, वह अपने बदन और अंगों को सामान्य रूप से हिला-डुला रहा है

प्रसव के बाद माँ का स्वास्थ्य

बच्चे के प्रसव के बाद माँ का शरीर थोड़ा गरम हो जाता है, लेकिन  दूसरे दिन इसे पहले की हालत में आ जाना चाहिए l उसे अब अधिक पौष्टिक भोजन चाहिए, अब उसे अपने बच्चे को भोजन भी अपने शरीर में ही पैदा करना है l इसके लिए अब फल,सब्जी, फलियों वाली सब्जियां पीले फल और सब्जियां, मूगफली चाहिए  lप्रसव के कुछ दिनों के बाद उसे नहाना शुरू कर देना चाहिए l वह साफ कपड़ा पहने, नहीं तो उसका बच्चा बीमार पड़ सकता है l कभी-कभी प्रसव के बाद बुखार ठहर जाता है l योनि से खून या बदबूदार बहाव हो सकता है l ऐसी हालत में योनि और जनन अंगों को गुनगुने पानी में थोड़ा सिरका या पोटाशियम परमेगनेट मिलाकर धोना चाहिए l अगर बुखार बना रहे तो डाक्टर की देख-रेख में इलाज कराएं l