By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
बर्फ की पट्टियां
बर्फ की पट्टियों के अन्तर्गत पूर्ण रुप से ठंडे जल अथवा बर्फ का प्रयोग किया जाता
है।
आवश्यक सामग्री
चिकित्सकीय उपचार हेतु मेज, एक सूती चादर, दो ऊनी कम्बल, दो छोटे तौलिए, सामान्य तापक्रम का जल तथा मग आदि।
समयावधि
पाँच से सात मिनट।
विधि
बर्फ की पट्टी बनाने के लिए खादी के कपडे से बर्फ के टुकडे को
अच्छी प्रकार चारों ओर से लपेटकर प्रयोग किया जाता है। बर्फ के अभाव में अति शीतल जल
में खादी के कपडे को भिगोकर शरीर के प्रभावित अंग पर लपेटते हैं। बर्फ की पट्टी को
पाँच से सात मिनट तक रोगी को देते हैं।
लाभकारी प्रभाव
बर्फ की पट्टियों को शरीर के विभिन्न भागों जैसे पैर,
हाथ, पेट,
कमर, माथे एवं सिर आदि पर प्रयोग किया जाता है। इन पट्टियों का प्रयोग करने से शरीर
की मांसपेशियों में अतिरिक्त खिचाव दूर होता है एवं मांसपेशी को आराम मिलता है। मांसपेशी
में चोट लगने पर बर्फ की पट्टी का प्रयोग करने से दर्द एवं सूजन में तुरन्त आराम मिलता
है। बर्फ की पट्टी का प्रयोग प्रमुख रुप से शोथ के स्थान पर किया जाता है। जोडों में
सूजन,
चोट में सूजन, घाव वाले स्थान पर सूजन तथा तीव्र ज्वर आदि में इन पट्टियों
को प्रयोग लाभकारी सिद्ध होता है। गर्दन के चारों ओर बर्फ पट्टी का प्रयोग करने से
मस्तिष्क की ओर रक्त संचार कम होता है एवं हृदय को बल मिलता है इसके प्रभाव से सिर
दर्द रोग में आराम मिलता है। आँखों के लाल हो जाने पर भी इस पट्टी के प्रयोग से लाभ
मिलता है। भूख कम हो जाने अथवा नही लगने की अवस्था में रोगी के पेट पर भोजन से आधा
घंटा पूर्व सिकाई करने से रोगी को अच्छी भूख लगती है। पस बनने के कारण होने वाले असहनीय
दांत दर्द में बर्फ की पट्टी तुरन्त लाभ प्रदान करती है। वमन रोग में भी रोगी को बर्फ
की पट्टी देने से आराम मिलता है। कैन्सर रोगी के प्रभावित अंग को बर्फ की पट्टी देने
से आराम मिलता है।
सावधानियां
बर्फ की पट्टियों के संदर्भ में सबसे प्रमुख सावधानी यह होती
है कि इनका प्रयोग अधिक समय तक (सात मिनट से अधिक) नही करना चाहिए अपितु इससे पूर्व
भी रोगी को असहज अनुभव होने पर पट्टी को तुरन्त हटा लेना चाहिए।
इस प्रकार ठंडे जल, गर्म जल एवं बर्फ की पट्टियों के रुप से पट्टियों के तीन प्रमुख
प्रकार अथवा वर्ग होते हैं। इन प्रकारों के अन्तर्गत शरीर के विभिन्न अंगों के अनुसार
अलग अलग पट्टियां तैयार की जाती है एवं रोगों के उपचार में इनका प्रयोग किया जाता है।
जिस प्रकार पट्टियों का प्रयोग लाभकारी प्रभाव रखता है ठीक उसी प्रकार जल चिकित्सा
में लपेट का प्रयोग भी लाभकारी एवं प्रभावशाली सिद्ध होता है। लपेट का प्रयोग करने
से अनेक सामान्य एवं गंभीर रोगों में सरलता से लाभ प्राप्त होता है।