By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
· यह कुष्ठ रोग, त्वचा रोग में लाभदायक रहता है।
हमारी भारतीय संस्कृति में नदी में स्नान का विशेष महत्व है
यहाँ नदी को श्रद्धा और शक्ति के साथ सम्मानित करते हुए पूजा जाता है। भारतीय संस्कृति
में अनेकों नदियों का वर्णन मिलता है जैसे - गंगा , यमुना आदि।नदी का पानी चलता रहता है और नदियों का उद्गम स्थान
हिमालय है। गंगा नदी की महिमा का तो हमारे पौराणिक ग्रन्थों में विशेष महत्व है। कहा
जाता है कि इसे बैकुण्ठ लोक में बहने वाली गंगा को राजा भगीरथ ने तप द्वारा पृथ्वी
लोक में बुलाया था तब से यह दिव्य शक्ति युक्त गंगा नदी पृथ्वी लोक में बहती है। इसी
प्रकार अन्य नदियों का भी अपना एक आध्यात्मिक महत्व भी है। गंगा का जल साधारण जल नहीं
है इसे अमृत माना जाता है।
नदी हिमालय से गति करते हुए मैदानी क्षेत्रों में बहती चली जाती
है। जिससे वह अपने साथ खनिज पदार्थों को भी बहाती चलती है ऐसे जल में स्नान से जीव
को अधिक लाभ मिलता है। गंगा से निकलने वाला जल अपने में अनगिनत औषधियाँ लेकर चलता है।
इसमें स्नान करने वालों को इसका पूरा-पूरा लाभ प्राप्त होता है। गंगा के जल में कीटाणु
नहीं पनपते है। इसे स्नान पूजा और पीने के प्रयोग में लाया जाता
है। साधारण जल को इकट्ठा करके रखने पर जहाँ उस पर अनेक कीटाणु उत्पन्न हो जाते है वहां
गंगा जल साफ और शुद्व ही रहता है। इस पर शोध कार्य भी किया जा चुका है।
स्नान की विधि
नदी में स्नान करने के लिए सर्वप्रथम शरीर में सूखी मालिश करते
है फिर जब शरीर गरम हो जाए रक्त का संचार बढ जाए तो नदी के पानी से पहले सिर और चेहरे
को धोते है उसके बाद नदी में प्रवेश करते है। शरीर पूरी तरह से भिगाने के बाद नदी में
तैरना चाहिए। जब तक व्यक्ति को स्फूर्ति अनुभव हो तब तक वह तैर सकता है। व्यक्ति को
थकावट का अनुभव नहीं होना चाहिए। जब थकावट का अनुभव हो उस समय व्यक्ति को बाहर आ जाना
चाहिए। इसके बाद शरीर को सूखे कपड़े या तौलिये से रगड़कर साफ करना चाहिए फिर कपडे पहनने
चाहिए।
समय : 20 मिनट तक नदी में तैरना लाभदायक रहता है।
लाभ :
· बच्चे, बूढ़े हर तरह के व्यक्ति इस स्नान से लाभ उठा सकते है।
· नदी में तैरने से स्नान के साथ-साथ शरीर में गति होने से मांसपेशियों
और जोड़ों का व्यायाम भी हो जाता है।
· स्वस्थ्य व्यक्तियों के लिए ये स्नान उत्तम रहता है।
· नदी का जल स्वास्थ्यवर्धक, रोग नाशक, एवं पवित्र होता है, जिससे व्यक्ति के स्वास्थ्य में अच्छा प्रभाव पड़ता है।
· यह कुष्ठ रोग, त्वचा रोग में लाभदायक रहता है।
· इससे हैजा, प्लेग, मलेरिया, क्षय रोगों में लाभ पहुँचता है।
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अजीर्ण,
जीर्ण ज्वर, दमा के रोग में भी लाभ मिलता है।