By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
डा0 लूई कूने ने ही घर्षण मेहन स्नान की खोज की है। इसे लिंग
स्नान भी कहते है। इस स्नान के लिये घडे का तेज ठण्डा पानी प्रयोग में ला सकते है परन्तु
ये ध्यान रखा जाता है कि पानी सहन करने योग्य होना चाहिये। सर्दी में यह पानी हल्का
गरम किया जा सकता है। महिला इस स्नान के लिये हिपबाथ वाले टब में 6-8 इंच ऊॅची चौकी
लगाकर बैठती हैं। उसमें नीचे-नीचे ठण्डा पानी भर देते है। चौकी पर बिना कपडो के बैठकर
पैरों को बाहर निकालते है , इसके
बाद एक सूती मुलायम कपडे को भिगाकर उससे योनि के मुंह को धीरे-धीरे ठण्डा पानी भर देते
है। चौकी पर बिना कपडों के बैठकर पैरों को बाहर निकालते है। इसके बाद एक सूती मुलायम
कपडे को भिगाकर उससे योनि के मुंह धीरे-धीरे साफ करते है। इसमें जननेन्द्रिय के बाहर
का अगला चमडा ही धोया जाता है, भीतर का नहीं। इससे त्वचा रगडते
नहीं है। पांच से बीस मिनट तक यह कार्य करने के बाद सूखे तौलिये से साफ करके शरीर को
हथेली से गरम किया जाता है।
पुरुष को भी उपरोक्त वर्णित विधि के अनुरुप ही टब में बैठना
पडता है। फिर इसके बाद जननेन्द्रिय के मुंह के ऊपर की चमड़ी के अन्तिम सिरे को या शिश्न
के आगे वाले भाग की चमड़ी को बाएं हाथ की दो अंगुलियों से पकड़ कर थोडा आगे खीचने के
बाद कपड़े से पानी उठा-उठा कर उसे धोना चाहिए। टब के अभाव में बाल्टी में टोटी लगाकर
या एनिमा पॉट की नली के द्वारा पानी की धार जननेन्द्रिय पर डालकर भी मेहन स्नान किया
जा सकता है। इसमें पानी खत्म होने पर दोबारा भरा जाता है। लगभग 10 लीटर तक जल इसमें
प्रयोग कर सकते है।
मेहन स्नान में जननेन्द्रिय के अग्रभाग को ही मला जाता है क्योंकि
इसका सम्बन्ध प्रमुख स्नायुओं से होता है, जो मस्तिष्क और मेरुदण्ड से सम्बन्धित रहते है। मेहन स्नान द्वारा पूरे शरीर
में प्रभाव डाला जा सकता है। मेहन स्नान शरीर में गर्मी को शान्त करता है। स्नायुओं
को मजबूत बनाता है। इससे जीवनी शक्ति बढती है। यह शान्ति प्रदान करता है। सोने से पहले
मेहन स्नान लाभदायक रहता है।