By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
घोल :
दो या दो से अधिक पदार्थों के समांगी मिश्रण को घोल या विलयन
कहा जाता है , विलयन
विलायक और विलेय पदार्थों से मिलकर बना होता है।
उदाहरण : जैसे
पानी में जब नमक को घोला जाता है तो यह विलयन बन जाता है ,
इसमें पानी को विलायक कहते है और नमक को विलेय कहा जाता है अर्थात
जो पदार्थ को घोलता है उसे विलायक और जो घुलता है उसे विलेय कहते है।
विलयनों को अलग अलग आधार पर कई भागों में वर्गीकृत किया जा सकता
है जैसे विलायक और विलेय की भौतिक अवस्था के आधार पर कई प्रकार के होते है जैसे ठोस
,
द्रव , गैसीय आदि विलयन।
जब विलायक तथा विलेय दोनों ठोस अवस्था में मिश्रित होते है तो
ऐसे विलयन को ठोस विलयन कहते है।
जब विलायक द्रव हो तथा विलेय ठोस ,
द्रव या गैस में से कुछ हो , ये दोनों आपस में मिलकर जो विलयन बनाते है उसे द्रव विलयन कहते
है।
जब विलायक तथा विलेय दोनों ही गैस अवस्था में होते है तो इनसे
मिलकर बनने वाले विलयन को गैसीय विलयन कहते है।
विलेय की मात्रा के आधार पर विलयन के प्रकार
किसी विलयन में विलेय की घुली हुई मात्रा के आधार पर विलयन पांच
प्रकार के हो सकते है जो निम्न प्रकार है –
1.
तनु विलयन (dilute
solution) : जब किसी विलयन में विलेय
की खुली हुई मात्रा , विलायक की मात्रा की तुलना में बहुत कम होती है तो ऐसे विलयन को तनु विलयन कहते
है।
2.
सान्द्र विलयन (concentrated
solution) : वह विलयन जिसमें विलेय
की मात्रा , विलायक
की तुलना में बहुत अधिक होती है ऐसे विलयन को सांद्र विलयन कहते है।
3.
असंतृप्त विलयन : एक निश्चित ताप पर यदि किसी विलयन में विलेय की ओर अधिक मात्रा
को घोला जा सकता है अर्थात जब किसी विलयन में इतना सामर्थ्य हो कि वह ओर विलेय को घोलने
की क्षमता रखे तो ऐसे विलयन को असंतृप्त विलयन कहते है।
4.
संतृप्त विलयन : जब कोई विलेय पदार्थ अधिकतम मात्रा तक विलायक में घुला हुआ हो
अर्थात इस मात्रा के बाद विलायक में और अधिक विलेय को घोलने की क्षमता न हो तो ऐसे
विलयन को संतृप्त विलयन कहते है।
किसी विलेय पदार्थ की वह अधिकतम मात्रा जो एक निश्चित ताप पर
100 ग्राम विलायक में घुल सके , विलेय पदार्थ की विलेयता कहलाती है और इस प्रकार अधिकतम विलेय
पदार्थ के घुलने से बने विलयन को संतृप्त विलयन कहते है।
5.
अति संतृप्त विलयन :
जब किसी विलायक में इसकी अधिकतम क्षमता
से भी अधिक विलेय पदार्थ मिश्रित कर दिया जाए अर्थात जब संतृप्त अवस्था से भी अधिक
विलेय की मात्रा किसी विलायक में मिलाने से जो विलयन बनता है उसे अति संतृप्त विलयन
कहते है।