By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
सिर की पट्टी को लगाने के लिये सबसे पहले खद्दर का एक तह का
कपड़ा लिया जाता है। जो पूरे सिर को ढक सके। अब उस कपड़े को ठण्डे जल में भिगोकर तथा
धीरे से निचोड़कर सिर के पीछे गर्द तथा कानों को ढकते हुए आगे लाकर आंखों के ऊपर भी
लपेट देते हैं। इसमें पूरा सिर कपड़े से लिपटा होना चाहिये फिर इस पूरी पट्टी को एक
गर्म ऊनी कपड़े से ढक दिया जाता है। ढकने के लिये ठण्डी पट्टी की ही भांति इसे भी उसके
ऊपर से लपेटा जाता है। जिससे बाहरी वायु अन्दर प्रवेश न कर पायें,
यही सिर की गीली पट्टी कहलाती है।
सिर की गीली पट्टी के
लाभ
इस पट्टी के प्रयोग से सिर दर्द सिर में जकड़न तथा कर्णशूल (कान
का दर्द) आदि शांत होते हैं, मानसिक तनाव व अनिन्द्रा आदि की स्थिति में भी इस पट्टी का प्रयोग
किया जा सकता है।
गले की गीली पट्टी
इस पट्टी के लिये अन्य पट्टीयों के
समान ही कपड़ा प्रयोग किया जाता है तथा इसकी चैड़ाई लगभग 4 से 4.5 इंच व लम्बाई लगभग 32 इंच रखी जाती है। इसे लगाने की विधि की अन्य पट्टीयों की ही
भांति हैं। इसमें कपड़े भिगोकर फिर निचोड़कर गले के चारों ओर कई तहों में लपेटा जाता
है तथा ऊपर से कोई गर्म कपड़ा आदि लपेट दिया जाता है। इस पट्टी का प्रयोग आधे से एक
घण्टे तक किया जा सकता है। फिर आवश्यकतानुसार इसे बदला जा सकता है।
गले की गीली पट्टी से
लाभ
इस पट्टी का प्रभाव
लगभग पूरे शरीर पर पड़ता है। यह पट्टी गले से ऊपर के भाग तथा नीचे के भाग की अनावश्यक
गर्मी को आसानी से खींच लेती है।
इस पट्टी के प्रयोग से कई रोग जैसे- सर्दी जुकाम,
साधारण खांसी, टांसिल, गले की या गले के आस-पास की सूजन,
कुकर खांसी, सिर दर्द तथा बैचेनी आदि की दशा में इस पट्टी का उपयोग बड़ा लाभकारी
होता है। यह गीली चादर की लपेट के साथ भी प्रयोग की जा सकती है।