By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
मिट्टी जितनी सर्वसुलभ एवं नगण्य
समझी जाती है उसकी गुण गरिमा उतनी ही महान है। मिट्टी में सभी रोगों को दूर करने
की अद्भुत शक्ति होती है इसमें रासायनिक सम्मिश्रण विद्यमान होता है।सभी प्रकार की
दुर्गन्ध मिटाने के लिये लोग अपने घरों में मिट्टी लेपते हैं और दुर्गन्ध की जगह
पर मिट्टी का प्रयोग करते हैं। मिट्टी में सर्दी गर्मी रोकने की शक्ति होती है तभी
योगी लोग अपने शरीर पर मिट्टी लगाये रहते हैं जिससे कड़ी धूप और कड़ाके की सर्दी
दानों में उनके नंगे बदन की रक्षा स्वतः ही होती है। फोड़े पर मिट्टी की पट्टी
बांधने से घाव दर्द में राहत तथा घाव शीघ्र भर जाता है।
मिट्टी जल के वेग को रोक सकती है
बांध बनाकर बाढ़ के पानी को रोका जा सकता है। मिट्टी अग्नि की गर्मी का शोषण करके
उसे शांत करती है। आग लगने पर मिट्टी डालकर उसे बुझाते हैं। पेट,
सिर पर मिट्टी बांधने से तेज बुखार घण्टे दो घण्टे में
हल्का हो जाता है। शरीर का कोई भी हिस्सा जल जाने पर मिट्टी बांधने से जलन कम हो
जाती है सूजन नही होती है। शरीर में कही सूजन हो और वहां खुजली हो रही हो तो वह
गुणकारी है। इस प्रकार तैयार मिट्टी को प्रयोग करने से आठ घण्टे पूर्व एक तसले या
किसी भी बर्तन में भिगो दें जिससे कि मिट्टी मुलायम हो जाये। मिट्टी को हाथ से
नहीं छुयें बल्कि उसे किसी लकड़ी के यंत्र या डन्डे से मिलाकर तैयार किया जा सकता
है। मौसम के अनुसार ग्रीष्मकाल में ठण्डे जल से और शीतकाल में गरम जल से मिट्टी
तैयार की जा सकती है। एक बार प्रयोग में लायी गई मिट्टी को दोबारा उपयोग में नहीं
करना चाहिए |
भारतीय जलवायु या भौगोलिक
दृष्टिकोंण अथवा कृषि के नजरिये से भी समझते चलें कि कौन सी मिट्टी कहाँ पाई जाती
है और उसकी क्या उपयोगिता और महत्ता है-
मिटटी
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नाम
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रंग
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उपयुक्त
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स्थिति (राज्य)
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जलोढ़ मिट्टी
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हल्का भूरा रंग
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इस मिट्टी में उत्तरी भारत में
सिंचाई के माध्यम से गन्ना, गेहूं, चावल, तिलहनी फसलों तथा
सब्जियों की खेती की जाती है
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उत्तर भारत में पश्चिम में
पंजाब से लेकर संपूर्ण विशाल मैदान
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काली मिट्टी
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यह मिट्टी काले रंग की होती है
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इसे कपास के लिए सर्वश्रेष्ठ
माना जाता है
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महाराष्ट्र, गुजरात तथा मध्य प्रदेश
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लाल मिट्टी
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यह लाल रंग की होती है
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कम उपजाऊ
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महाराष्ट्र के पठारी भाग में, पूर्वी मध्य प्रदेश, उड़ीसा,
तमिलनाडु
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लैटेराइट
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लाल रंग की खुरदुरी
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कम उपजाऊ, मकान निर्माण के कार्यो में लायी जाती है
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महाराष्ट्र के पठारी भाग में, उड़ीसा, तमिलनाडु
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पर्वतीय
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कंकड़ व पत्थर युक्त
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अनुपजाऊ
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हिमालय क्षेत्र
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मरूस्थलीय
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भारी मात्रा में बालू
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अनुपजाऊ
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राजस्थान
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