By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
सम्पूर्ण पेडू क्षेत्र व नाभी के एक इंच ऊपर तक सूती कपड़े की
गीली पट्टी को बांधकर फिर उसके ऊपर ऊनी कपड़ा लपेटने को पेडू की गीली पट्टी कहा जाता
है। डॉ. विल्ज जो कि जर्मनी के प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक थे ने कहा था कि पेडू की
गीली पट्टी लगभग सभी रोगों की एक राम बाण दवा है। क्योंकि यह स्थान ही मुख्य रूप से
मलोत्सर्जन के लिये उत्तरदायी है। यदि हमारी
आंते व वृक्क स्वस्थ हों तो मल का उत्सर्जन भली भांति होगा जिससे शरीर में विषों का
जमाव नहीं हो पायेगा जो कि लगभग सभी रोगों का कारण बनता है।
पेडू की गीली पट्टी के
लाभ
ज्वर की अवस्था में यह पट्टी काफी उपयोगी है ज्वर की दशा में
दिन में 4-5 बार तक इस पट्टी का प्रयोग किया जा सकता है। तथा यह क्रिया
ज्वर के ठीक होने तक दोहरानी चाहिये, इसके अलावा पेट सम्बन्धी सभी प्रकार की बीमारियों,
स्त्रियों के गुप्त रोग, पेट के भीतर की नई या पुरानी सूजन,
अजीर्ण, अनिद्रा तथा अतिसार या पुरानी पेचिस में भी इससे आशातीत लाभ
होता है।
सावधानी
यदि पट्टी देने से पूर्व पेडू गर्म न हो तो उस स्थान को रगड़-रगड़
कर अवश्य गर्म कर लेना चाहिये, तभी गीली पट्टी का प्रयोग करना चाहिये।