By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
यह पट्टी छाती से हंसुली तक दी जाती है जिससे छाती से लेकर पूरा पेडू प्रदेश भी ढक जाता है। तो इसे धड़ की गीली पट्टी कहते हैं।
यह पट्टी छाती से हंसुली तक दी जाती है जिससे छाती से लेकर पूरा पेडू प्रदेश भी ढक जाता है। तो इसे धड़ की गीली पट्टी कहते हैं।
धड़ की गीली पट्टी से लाभ
पेडू का पेट में पीड़ा
अथवा सूजन होने पर, योनि में सूजन होने पर तथा प्लीहा आमाशय व यकृत से सम्बन्धित रोगों में यह पट्टी
लाभ के साथ दी जाती है। पट्टी के सूखने पर उसे बदल देना चाहिये। तथा साथ ही इस पट्टी
को लगाने के बाद किसी कम्बल या गर्म ऊनी वस्त्र से शरीर को ढकना आवश्यक होता है। यह
कम्बल शरीर के चारों ओर समान रूप से लिपटा होना चाहिये।