VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

एनिमा / योनि स्नान

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'


मानव शरीर के अन्दर उदर प्रदेश में स्थित आँतों को धोने की क्रिया को एनीमा कहते हैं | पाचन तंत्र शरीर का वह महत्वपूर्ण तंत्र है जिसे माध्यम से सम्पूर्ण शरीर ऊर्जा प्राप्त करता है। इस तंत्र के स्वस्थ एवं सक्रिय रहने पर शरीर ऊर्जावान एवं स्वस्थ रहता है जबकि इस तंत्र में विकार उत्पन्न होने पर शरीर ऊर्जाहीन एवं रोगी हो जाता है। पाचन तंत्र का शोधन करने के उद्देश्य से एनीमा क्रिया का अभ्यास रोगी को कराया जाता है। इस क्रिया की विधि इस प्रकार है
विधि :
एक विशेष आकार के एनीमा पात्र में हल्का गुनगुना अथवा सामान्य तापक्रम का एक से डेढ लीटर जल भर लेते हैं। अब एनीमा कक्ष में रोगी अथवा एनीमा लेने के लिए व्यक्ति को तख्त पर लिटाकर विधिपूर्वक एवं सावधनीपूर्वक एनीमा कैथेटर के माध्यम से यह जल बडी आंत में भर देते हैं। बडी आंत में प्रर्याप्त जल भरने के उपरान्त अभ्यासी व्यक्ति कुछ समय (5 से पन्द्रह मिनट) टहलने के उपरान्त शौच रुप में जल को उत्सर्जित कर देता है।


एनीमा क्रिया के लाभ :
·      एनिमा बहुत लाभकारी एवं प्रभावकारी क्रिया है। यह अभ्यास विभिन्न रोगों को दूर करने में लाभकारी प्रभाव रखती है। इस क्रिया के कुछ महत्वपूर्ण लाभ इस प्रकार हैं -

·      एनिमा क्रिया के अभ्यास से बडी आंत की शुद्धि होती है। आँतों के अन्दर स्थित पुराना मल पदार्थ         बाहर निकलता है।
·      एनीमा क्रिया का अभ्यास कब्ज रोग में विशेष लाभकारी प्रभाव रखता है।
·      एनिमा क्रिया से आंतें मलहीन, साफ, स्वच्छ एवं सक्रिय बनती हैं, इस अभ्यास के फलस्वरुप पाचक       रसों का स्रवण बढता है जिससे भूख अच्छी लगती है एवं पाचन क्रिया सुव्यवस्थित होती है।
·      एनीमा क्रिया पेट दर्द, गैस, जलन, अफारा, पेट का भारीपन आदि पाचन तंत्र से सम्बन्धित रोगों में         लाभकारी प्रभाव रखती है।
·      एनीमा क्रिया के प्रभाव से यकृत एवं पैन्क्रियाज की क्रिया शीलता बढती है जिससे इन अंगों से                सम्बन्धित रोग जैसे यकृत शोथ एवं मधुमेह आदि में लाभ मिलता है।
एनीमा क्रिया की सावधानियाँ :
एनीमा क्रिया में निम्न सावधनियों का पालन अवश्य करना चाहिए -
  • एनीमा क्रिया में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • एनीमा क्रिया का अभ्यास सदैव खाली पेट ही करना चाहिए
  • एनीमा क्रिया में प्रयुक्त जल का तापक्रम बहुत अधिक नही होना चाहिए।
  • रोगी मनुष्य को कुशल चिकित्सक के निर्देशन में ही एनीमा क्रिया करनी चाहिए।
  • आँतों में सूजन, संक्रमण, बावासीरकी तीव्र अवस्था में एनीमा क्रिया नही करनी चाहिए।
  • सामान्य रुप से स्वस्थ मनुष्य को एनीमा क्रिया का अभ्यास प्रतिदिन नही करना चाहिए।

योनि स्नान
एनिमा पॉट के साथ योनि स्नान की एक नली आती है | इस नली के अंतिम सिरे पर 3-4 छिद्र होते हैं | इस नली को एनिमा के टयूब  में फिट करके एनिमा पॉट में गुनगुना पानी भरकर एनिमा की भांति ही उस गर्म जल से योनि मार्ग को धोते हैं, यही योनि स्नान कहलाता है | इस स्नान से योनिमार्ग के सारे मल धुलकर साफ हो जाते हैं, एवं सेंक भी हो जाती है जिससे योनि सम्बन्धी संक्रमण एवं अनेकों बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं |