By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
हैजा
विसूचिका/हैजा व्यक्ति द्वारा दूषित भोजन या पानी पीने के कारण
होने वाला आँत संबंधी संक्रामक रोग है। आमतौर पर, यह विब्रियो कोलरा बैक्टीरिया के कारण होता है। इसकी ऊष्मायन
अवधि एक से पांच दिनों की होती है। संदूषण के बाद, जीवाणु आंत्रजीवविष पैदा करता है,
जिसके कारण प्रचुर, पीड़ादायक और पतले दस्त होते है। यह जल्दी गंभीर निर्जलीकरण
को उत्पन्न करता है। यदि रोगी को समय पर, तुरंत उपचार प्रदान नहीं किया जाता है,
तो रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। इसके अलावा ज़्यादातर रोगियों को उल्टी भी होती है।
आमतौर पर,
हैजा के बैक्टीरिया को पानी या भोजन के स्रोतों में देखा जाता
है। इस रोग का बैक्टीरिया पीड़ित संक्रमित व्यक्ति के मल द्वारा भी संचारित हो सकता
है। आमतौर पर, हैजा
को अपर्याप्त पानी की सुविधा, अस्वच्छता और अपर्याप्त सफाई के साथ कई स्थानों पर पाया जाता
है। हैजा का जीवाणु खारी नदियों और तटीय जल के वातावरण में भी पनप सकता है।
लक्षण : हैजा
का संक्रमण प्रायः हल्का या लक्षण रहित होता है, लेकिन कभी-कभी, यह संक्रमण गंभीर हो सकता है।
· तीव्र हृदय गति का होना
· त्वचा लोच का नुकसान होना
· मुंह, गले, नाक,
और पलकों के अंदर के अंदर सूखी श्लेष्म झिल्ली
· कम रक्त दबाव
· अत्यधिक प्यास लगना
· मांसपेशियों में ऐंठन
व्यक्ति के शरीर में तेज़ी से तरल पदार्थों का नुकसान होता है,
जो कि निर्जलीकरण और आघात को पैदा करता है। यदि रोगी को तत्काल
उपचार प्रदान नहीं किया जाता है, तो घंटे के भीतर रोगी की मृत्यु हो सकती है।
पेचिश
पेचिश (Dysentery) या प्रवाहिका, पाचन तंत्र का रोग है जिसमें गम्भीर अतिसार (डायरिया) की शिकायत
होती है और मल में रक्त एवं श्लेष्मा (mucus) आता है। यदि इसकी चिकित्सा नहीं की गयी तो यह जानलेवा भी हो
सकता है।
लक्षण
· बार-बार मलत्याग
· मल में खून और म्यूकस आना
· कभी-कभी खून की उल्टी
· पेट में ऐंठन
· मल त्याग साफ नही होना
· तेज बुखार और ठंड की अचानक शुरुआत
· पेट फूलना (गैस गुजरना)
· मल पास करने की तात्कालिकता
· भूख में कमी
· वजन घटना
· सरदर्द
· थकान
प्रकार
पेचिश या प्रवाहिका प्राय: दो प्रकार की होती है :
(1)
अमीवा पेचिश (Amoebic Dysentry)
(2)
दंडाणुज पेचिश (Bacillary Dysentry)
कृमि रोग
पेट में होने वाले कीड़ों के अनेक कारण पाये जाते हैं। जैसे-
गलत खान-पान, गंदे
हाथों से खाना, अजीर्ण
( भूख का न लगना) में खाना खाने, मक्खियों द्वारा दूषित आहार, दूध, खट्ठी-मीठी वस्तुएं अधिक खाने, मैदा खाने से, पीसे हुए अन्न, कढ़ी, रायता, गुड़,
उड़द, सिरका, कांजी,दही और संयोग विरुद्ध पदार्थों के खाने,
परिश्रम न करना और दिन में सोना आदि कारणों से पेट में कीड़े
पैदा हो जाते हैं|
पेट में कीड़े होने के लक्षण
· पेट दर्द होना
· स्वम् का वजन कम होना
· आँखे लाल होना
· जीभ का सफ़ेद होना
· मुंह से बदबू आना
· गले में धब्बे पड़ना
· शरीर पर सूजन आना
· गुप्तांग में खुजली होना
· जी मचलना और उलटी आना
· मल त्याग करते समय खून आना
· दस्त लगना
· अगर कोई बच्चा रात को सोते समय दांतों को वाजता है तो उसके पेट
में कीड़े होते है