VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

हड्डी टूटने के प्रकारों की व्याख्या करते हुए उनके प्राथमिक उपचार बताएं ?


By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'

हड्डी टूटने के प्रकार
हड्डी टूटने के तुरंत बाद चोटिल स्थान के आस-पास खून जमा होने लगता है। जिससे वहां सूजन आ जाती है। यदि हाथ या पैर की हड्डी टूटी हो तो टेढ़ापन भी दिखाई देता है। हड्डी के यदि टुकड़े हो गये हों तो चोटिल भाग को छूने पर हड्डी के टुकड़े आपस में रगड़ खाते हैं। जिससे वहां आवाज आती है और मरीज को तीव्र दर्द उठता है। कई बार शरीर का वह हिस्सा जहां की हड्डी टूट गयी हो, लटक जाता है और काम करने योग्य नहीं रहता। उस भाग में संवेदना की कमी या नीलापन भी दिखाई दे सकता है। मगर जब हड्डी में केवल दरार पड़ती है तो दर्द के अलावा और कोई तकलीफ नहीं होती। बच्चों में अक्सर हड्डियां इसी प्रकार टूटती हैं, इसका पता लगाने के लिये एक्सरे की जरूरत पड़ती है। कई बार तो हड्डी खाल फाड़ कर बाहर आ जाती है ऐसे में अत्यधिक रक्त स्राव होता है। आस-पास की धूल मिट्टी घाव को गंदा कर देती है इससे घाव में संक्रमण होने का खतरा रहता है। यदि मवाद हड्डी तक पहुंच जाय तो यह अत्यंत जटिल स्थिति पैदा कर देती है।
प्राथमिक उपचार :
 सबसे पहले टूटी हई हड्डी को सहारा देना चाहिये इससे वह और नहीं हिलेगी क्योंकि हड्डी के हिलने से न केवल दर्द होता है, बल्कि हड्डी के टुकड़े और अलग हो जाते हैं एवं आसपास के महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। हड्डी को सहारा देने के लिये हड्डी की तरह ही किसी सख्त वस्तु का इस्तेमाल किया जा सकता है। घर में आम तौर पर पायी जाने वाली चीजों को इस काम में प्रयुक्त किया जा सकता है। जैसी छड़ी, स्केल, कंघालोहे का पाईप इत्यादि। अखबार को कई तहों में लपेट कर भी काम चलाया जा सकता है। यदि कुछ न मिले तो शरीर के किसी भी अंग को दूसरे अंग से बांधकर सहारा दिया जा सकता है। कंधे के आस-पास की हड्डी टूट जाने पर उसे तिकोनी पट्टी, स्कार्फ या साड़ी के फॉल द्वारा सहारा दिया जा सकता है। बांह की हड्डी टूटने पर बांह या कलाई को छाती के साथ बांध कर रखा जा सकता है। जांघ की हड्डी टूट जाने पर टूटी हुई जांघ को दूसरी जांघ से बांधा जा सकता है। घुटना या उससे निचले भाग को सहारा देने के लिये लकड़ी के पट्टे या सख्त तकिये को काम में लिया जा सकता है।
सावधानियां :
सहारा बांधते समय यह ध्यान रखें कि दोनों को आपस में बहुत कस कर न बांधे। हड्डी के ऊपर कोई घाव हो गया हो तो उसकी ओर ध्यान देना भी बेहद जरूरी है। पहले तो घाव को पानी और साबुन के घोल या सादे पानी से अच्छी तरह से धो लें फिर उसे किसी धुले हुए रूमाल या साफ कपड़े से ढक दें , उस पर कोई महलम या दवा न लगायें। बाद में जख्म को किसी सहारे से बांध दें। यदि घाव से खून बह रहा हो तो उस पर सख्ती से पट्टी बांध दें, मगर खून रोकने के लिये, मिट्टी, चाय की पत्ती या चूना आदि इस्तेमाल न करें। कई बार हड्डी का टुकड़ा घाव से निकलकर बाहर गिर जाता है मगर इसे फेंकिये मत। इसे पानी से अच्छी तरह धोकर साफ कपड़े में रख लें, मरीज के साथ इस टुकड़े को अस्पताल ले जायें। कई बार इस हड्डी को वापिस अपने स्थान पर लगाया जा सकता है। चोट लगने और हड्डी टूट जाने के बाद मरीज को पानी या अन्य कुछ खाद्य न लेने दें, क्योंकि कई बार मरीज को बेहोश कर फ्रैक्चर का इलाज किया जाता है।