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अच्छी एवं बुरी आदतों को परिभाषित करते हुए उनसे शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों की व्याख्या करिए


By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'


अच्छी एवं बुरी आदतों को परिभाषित करते हुए उनसे शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों की व्याख्या करिए |
आदत या स्वभाव मनुष्य की अर्जित प्रवृत्ति है। पशुओं में भी विभिन्न आदतें पाई जाती हैं। आदत मुनष्य के मानसिक संस्कार का रूप ले सकती हैं। आदत का बनना व्यक्ति के स्वभाव पर निर्भर होता है।
अच्छी आदतें
1.     कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यह स्वास्थ्य के लिए हितकर है ऐसा करने से कई तरह के संक्रमण से बचा जा सकता है |
2.     घर में भी सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करते रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें।
3.     ताजी सब्जियों-फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें।
4.     बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।
5.     खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं।
6.     खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शकर से बने जूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो।
7.     अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलते रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें।
8.     मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें। कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा अवश्य दें | अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें।
9.     45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें, प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।

बुरी आदतें
अप्राकृतिक भोजन एवं नशा  :
अधिक तला-भुना आहार, अप्राकृतिक होता है, इसका उपयोग कभी भी स्वास्थ्यकर नही हो सकता | उत्सुकता एवं प्रलोभन के कारण तमाम किशोर/किशोरियां ड्रग्स, शराब एवं सिगरेट का आनंद उठाने के लालच से खुद को रोक नहीं पाते। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि जीवन भर के लिए लगने वाली लत किशोरावस्था के दौरान ही लगती हैं। इन बुरी आदतों से शरीर का पूरा तंत्र बदल सकता है और सबसे ज्यादा प्रभावित होता है प्रजनन तंत्र। प्रजनन अक्षमता इसी के परिणामस्वरूप पैदा होती है।
देर रात्रि तक जागना :
रात्रि को देर तक जागना, प्रातः देर से उठना, दोनों ही बुरी आदतें हैं | इन आदतों से स्वास्थ्य बिगड़ता है |
पर्याप्त नींद न लेना :
पर्याप्त नींद नहीं ली जाए तो मस्तिष्क की कोशिकाओं के नष्ट होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। इसी तरह मुंह ढक कर सोने से सांस लेते समय शरीर में आक्सीजन के बजाय कार्बन डाइ आक्साइड की मात्रा ज्यादा जाती है। इसका भी दिमाग पर बुरा असर पड़ता है।
नाखून चबाना :
कई लोगों को नाखून चबाने की आदत होती है। ऐसे लोग अपने नाखून इसलिए नहीं काटते, क्योंकि वो सोचते हैं कि नाखून हाथों को अच्छा लुक देते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि उन्हें नाखून चबाने की आदत होती है। इससे वो न सिर्फ अपने नाखूनों को हमेशा के लिए खराब कर लेते हैं, बल्कि और भी कई तरह की परेशानियां पैदा करते हैं। नाखूनों को चबाने से जमा मैल पेट में जाता है जिससे पेट दर्द, उल्टी और दस्त जैसी परेशानियां पैदा हो सकती हैं।
जरूरत से ज्यादा खाना :
जरूरत से ज्यादा खाने की आदत न सिर्फ मोटापे के लिए जिम्मेदार होती है, काफी हद तक यह मस्तिष्क को भी कमजोर बनाती है। जरूरत से ज्यादा खाने से दिमाग की धमनिया सख्त हो जाती हैं। इसके चलते भी आदमी का दिमाग कमजोर हो जाता है।
ज्यादा मीठा खाना :
शरीर में शर्करा की ज्यादा मात्रा होने से प्रोटीन के अवशोषण की प्रक्रिया बाधित होती है। जो दिमाग की क्षमता को कम कर देती है।