By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद - एक परिचय
20वीं सदी में गाँधीजी ने कुदरती उपचार को आरोग्य का एकमात्र साधन
मानकर ग्राम्य संस्कृति पर आधारित योग व प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचार प्रसार के निमित्त
23 मार्च 1946 को ऊरूलीकाचन, पूना में निसर्गोपचार आश्रम का शुभारम्भ किया। गाँधी की इच्छा
''अपने चिकित्सक स्वयं बनो और स्वस्थ रहो के कार्यक्रम को पूरे
विश्व में फैलाने की रही है। गाँधी जी ने अपने प्रमुख सहयोगी बालकोवाभावे को इस पूरे
निसर्गोपचार कार्यक्रम का उत्तरदायित्व सौंपा।
गाँधी जी की प्रेरणा से आरोग्य जीवन के साधक श्रद्धेय बालकोवाभावे
जी के मागदर्शन में अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद का गठन हुआ। स्वनामधन्य प्राकृतिक
चिकित्सक डा0 खुशीराम
दिलकश (लखनऊ), डा0 कुलरंजन मुखर्जी, श्री राधाकृष्ण नेवटिया, श्री धरमचन्द सरावगी, श्री बजरंग लाल लाठ (सभी कलकत्ता),
श्री मनोहर लाल पवार (इन्दौर),
डा0 वेंकटराव (हैदराबाद), डा0 नारायण रेडडी (वर्धा), रामेश्वर लाल जी (राजस्थान), डा0 पृथ्वीनाथ शर्मा (ग्वालियर), डा0 सत्यपाल (करनाल), डा0 आत्माराम कृष्ण भागवत (बिहार),
डा0 जे. एम. जस्सावाल (मुम्बर्इ) आदि इस कार्य के सहभागी बने। कुदरती उपचार के व्यापक
शिक्षण-प्रशिक्षण, उपचार, साहित्य
सृजन व शोध आदि के निमित्त 8, इस्प्लानेड र्इस्ट, कोलकता के पते से संचालित इस परिषद का विधिवत पंजीकरण कलकत्ता
से 10.05.1956 में हुआ । इन्ही उददेश्यों की पूर्ति के लिए परिषद ने सर्वप्रथम
डायमंड हार्वर रोड़, कोन चौकी, कलकत्ता
के विशाल प्राकृतिक सुरम्य भूखण्ड में भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा विधापीठ का शुभारम्भ
किया। कुछ ही वर्षों में परिषद की गतिविधियाँ पूरे भारत में फैल गर्इ। पूरे देश में
चल रहे परिषद के कार्यों के राष्ट्रीय समन्वयन के लिए केन्द्रीय गाँधी निधि के सानिध्य
में 15,
राजघाट कालोनी, नर्इ दिल्ली में कार्यालय स्थापित हुआ। परिषद की सभी गतिविधियाँ
आज भी सक्रियता से चल रही हैं। अपने-अपने समय की स्वनामधन्य विभूतियों यथा ए. अरूणाचलम
श्रीमन्नारायण, मोरारजी
भार्इ देसार्इ, माननीय
देवेन्द्र भार्इ, प्रो0 सिंहेश्वर प्रसाद, माननीया निर्मला देशपाण्डेय, माननीय सी. ए. मेनन, माननीय जे. चिंचालकर, पदमश्री वीरेन्द्र हेगडे़, डा0 वेगीराजू, डा0 कर्ण सिंह, डा0 के. लक्ष्मण शर्मा, डा0 स्वामी नारायण, डा0 जानकीशरण वर्मा, डा0 विटठलदास मोदी, डा0 हीरालाल आदि के मार्गदर्शन, सानिध्य व सहयोग से परिषद ने अपने कार्यों को नर्इ ऊचाइयाँ दी।
देश-विदेश के अधिकांश आरोग्य मंदिर, निरोगधाम, स्वास्थ्य साधना केन्द्र, जीवन निर्माण आश्रम, आरोग्य निकेतन, प्राकृतिक जीवन केन्द्र, स्वास्थ स्वावलम्बन आश्रम, आरोग्यधाम, प्राकृतिक चिकित्सा, संस्थान, प्राकृतिक चिकित्सालय आदि की सूत्रधार रही अखिल भारतीय प्राकृतिक
चिकित्सा परिषद ने केन्द्र व राज्य सरकारों के अतिरिक्त विदेशी संस्थाओं व सरकारों
को भी इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए सहयोग व मार्गदर्शन देने का उल्लेखनीय कार्य
किया है।
अ-सरकारी ढंग से योग व प्राकृतिक चिकित्सा के व्यापक प्रचार
प्रसार की नीतिया बनाने से लेकर इसके राष्ट्रीय संस्थान व अनुसंधान परिषद की स्थापना
के लिए सरकारों की एकमात्र राष्ट्रीय सहयोगी संस्था अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा
परिषद आज भी वैशिवक स्तर पर निर्बाध रूप से सक्रिय है। परिषद के वर्तमान अध्यक्ष स्वतंत्रता
सेनानी एवं पूर्व सांसद श्री केयूर भूषण जी के नेतृत्व में परिषद ने अपना 33वाँ अधिवेशन शहीद स्मारक भवन रायपुर में 2014 में आयोजित किया। छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्य मंत्री श्री रमन
सिंह ने इस अधिवेशन के उदघाटन भाषण में इस परिषद को रायपुर में एक विश्व स्तर का प्रतिष्ठान
स्थापित करने के लिए पर्याप्त भूमि व संसाधन देने की घोषणा की,
जिसका प्रस्ताव अनुमोदन के लिए विचाराधीन है। उक्त अधिवेशन का
समापन छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल व मेयर, रायपुर की उपसिथति में प्राकृतिक चिकित्सालय खोलने की घोषणा
के साथ हुआ। परिषद के 34वें अधिवेशन 2015 का उदघाटन परमपूजनीय काड सिददेश्वर स्वामी जी,
कनेरीमठ के आशीर्वचनो के साथ मानव मंदिर लवकुश आश्रम,
कानपुर में हुआ। सम्मेलन में प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप
में माननीय मंत्री श्रीमती अरूणा कोरी, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, राजस्थान तकनीकि विश्वविधालय के कुलपति सहित अनेक वरिष्ठ प्रशासनिक
अधिकारियों ने सहभागिता की।
योग व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के प्रचार प्रसार के लिए परिषद
अपनी शोध मासिक पत्रिका ''स्वस्थ जीवन का प्रकाशन करती रही है। इसका शीघ्र पुन: नियमित प्रकाशन सुनिशिचत
किया जा रहा है। परिषद की मासिक पत्रिका ''परिषद प्रभा अपने 11 हजार नियमित पाठकों के साथ निंरतर प्रकाशित हो रही है। ''यौगिक योग जैसे अनेक प्रकाशनों के साथ परिषद अपनी अध्ययन सामग्री
शीघ्र प्रकाशित करने जा रही है। चिकित्सा शिविरों, संगोषिठयों, कार्यशालाओं, शैक्षिक कार्यक्रमों, पाठयक्रमों, स्वास्थ्य संदेश यात्राओं, प्रदर्शनियों, आरोग्य मेलों के माध्यम से समाज के अनितमजन तक पहुँचने के लिए
परिषद सदैव सक्रिय है। परिषद अपनी गतिविधियाँ चलाने एवं उपलबिधयों को दर्शाने के लिए
एक नर्इ वैबसार्इट का शुभारम्भ करने जा रही है।
परिषद अपने लक्ष्यों की प्रापित के लिए निरन्तर प्रयासरत है।
सेंट जोन्स एम्बुलेंस ब्रिगेड
सेंट जॉन एम्बुलेंस विभिन्न देशों में कई संबद्ध संगठनों का
नाम है जो प्राथमिक चिकित्सा, प्राथमिक चिकित्सा सेवा प्रदान करते हैं,
जो मुख्य रूप से स्वयंसेवकों द्वारा दी जाती हैं। संघों की देखरेख
इंटरनेशनल ऑर्डर ऑफ सेंट जॉन और इसकी राष्ट्रीय शाखाओं द्वारा की जाती है।
सेंट जॉन एम्बुलेंस एसोसिएशन स्थापित होने वाला पहला ऐसा संगठन
था,
जिसकी स्थापना 1877 में इंग्लैंड में हुई थी। इसके पहले वर्दीधारी प्राथमिक चिकित्साकर्ताओं
की स्थापना 1887 में
सेंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड के रूप में हुई थी। तब से इन दोनों को एक संघ में मिला
दिया गया । सेंट जॉन एम्बुलेंस में अब 40 से अधिक राष्ट्रीय संगठन हैं, जिनमें से कई जोहानिटर इंटरनेशनल से जुड़े हैं,
और दुनिया भर में 500,000 से अधिक स्वयंसेवक हैं।