VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

संक्रमण के कारण व लक्षण की व्याख्या करते हुए ऊतकीय मृत्यु को परिभाषित कीजिये

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'


संक्रमण के कारण
संक्रमण निम्नलिखित तरीकों से फ़ैल सकता है -
प्रत्यक्ष तौर पर (Direct contact)
इन्फेक्शन फैलने का सबसे आसान तरीका है ऐसे व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आना जो पहले से ही संक्रमित हो। यह तरीके निम्नलिखित हैं -
1. जानवर से व्यक्ति में - किसी जानवर के काटने या खरोंचने से संक्रमण हो सकता है (पालतू जानवर से भी)। कुछ मामलों में यह घातक भी हो सकता है। जानवरों के मल मूत्र के संपर्क में आना भी खतरनाक हो सकता है।
2. एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में - संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को छूने, चुम्बन करने या आसपास छींकने व खांसने से फैलता है। संक्रमण के कीटाणु यौन गतिविधियों के दौरान शरीर के तरल पदार्थों के आदान-प्रदान से भी फैलते हैं।
3. माँ से बच्चे में - प्रेगनेंसी के दौरान एक प्रेगनेंट महिला से उसके बच्चे में संक्रमण फ़ैल सकता है। कुछ कीटाणु प्लेसेंटा (Placenta: गर्भनाल) से भी बच्चे में फ़ैल सकते हैं। योनि में मौजूद कीटाणु डिलीवरी के दौरान बच्चे में फ़ैल सकते हैं।
अप्रत्यक्ष तौर पर (Indirect contact)
संक्रमण फैलाने वाले कीटाणु इनडायरेक्ट तरीके से भी फ़ैल सकते हैं। यह तरीके निम्नलिखित हैं -
1. कीड़ों के काटने से - कुछ कीटाणु मच्छरों, जूँ और अन्य छोटे कीड़ों के काटने से फैलते हैं। अगर किसी को संक्रमित कीड़े या मच्छर ने काटा है, तो भी संक्रमण हो सकता है। जैसे, मच्छरों से मलेरिया के कीटाणु फैलते हैं।
2. खराब खाना खाने से - खराब खाना खाने या पानी पीने से कीटाणु फ़ैल सकते हैं। इस तरीके से एक ही बार में कई लोग संक्रमित हो सकते हैं।
3. वस्तुएं छूने से - अगर किसी ऐसी वस्तु को छूने के बाद, जो सर्दी या ज़ुकाम से संक्रमित व्यक्ति ने छुई थी, बिना हाथ धोए अपनी आँखों, नाक या मुंह को छू लेते हैं, तो भी संक्रमण हो सकता है।
संक्रमण के लक्षण
संक्रमण से होने वाली हर बीमारी के अलग लक्षण होते हैं। इसके कुछ आम लक्षण निम्नलिखित हैं -
·       मांसपेशियों में दर्द
·       थकान
·       खांसी
·       बुखार
·       दस्त

ऊतकीय मृत्यु
शरीर के किसी भाग में कोशिकाओं अथवा ऊतकों की मृत्यु होने को परिगलन या नेक्रोसिस (necrosis) कहते हैं।
कारण
नेक्रोसिस या ऊतकीय मृत्यु के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
रक्तप्रवाह का अवरोध :  इससे अंग को भोजन नहीं प्राप्त होता, जिससे ऊतकीय मृत्यु हो जाती है।
कीटाणुविष :  ये विष रक्त द्वारा धमनियों में पहुँच कर अपने कुप्रभाव से क्षति पहुँचाते हैं, जिससे ऊतकीय मृत्यु हो जाती है।
भौतिक या रासायनिक कारण :  भौतिक कारणों में 45 डिग्री सें. से ऊपर का ताप या भीषण शीत, हो सकता है। रासायनिक कारणों में कोशिकाओं या ऊतकों पर तीव्र अम्लों, तीव्र क्षारों, विद्युत्‌ या एक्स किरण की क्रियाएँ हो सकती हैं।


ऊतकीय मृत्यु में कोशिकाओं के केंद्रक या कोशिका द्रव्य में परिवर्तन होते हैं। या तो केंद्रक घुल जाता है, या विभाजित हो जाता है, या उसका संकुचन हो जाता है।
ऊतकीय मृत्यु (नेक्रोसिस) तीन प्रकार की होती है : घनीकरण, द्रवीकरण और कैजियस। घनीकरण में कोशिकाएँ सूख जाती और अपारदर्शक हो जाती हैं। ऐसा वृक्क और प्लीहा में अधिकांशत देखा जाता है। द्रवीकरण नेक्रोसिस में कोशिकाएँ कोमल और दुर्बल हो जाती हैं और कैज़ियस नेक्रोसिस में कोशिकाओं का बृहत्‌ चित्र नष्ट हो जाता है ओर स्थान स्थान पर चिपचिपे एवं रवेदार पदार्थ उत्पन्न हो जाते हैं। क्षय या उपदंश में ऐसा देखा जाता है।