By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
स्मोग (कुहास) दो शब्दों
अर्थात धुंए (स्मोक) और कोहरे (फॉग) से मिलकर बना है, जिसे
फॉग या धुंध में धुंए या कालिख कणों के मिले होने से भी जाना जाता है या धूल और जल
वाष्प के साथ विभिन्न गैसों का मिश्रण जो कोहरे में मौजूद होता है जिसकी वजह से
सांस लेना भी मुश्किल हो, इस रूप में भी वर्णित है। यह
एक पीला या काला कोहरा होता है जो वायु प्रदूषण के एक मिश्रण से बना है, जिसमें मुख्य रूप से नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर
आक्साइड और कुछ अन्य कार्बनिक यौगिक होते हैं जो कि सूर्य के प्रकाश के साथ गठबंधन
कर ओजोन का निर्माण करते हैं। स्मोग के कारण विसिबिलिटी (visibility) खराब हो जाती है , और बच्चों को घर के
अंदर रहने की प्राथमिकता दी जाती हैं क्योंकि यह मनुष्यों के लिए बेहद जहरीला है
और गंभीर बीमारी का कारण हो सकता है, यहां तक कि मृत्यु
का कारण भी हो सकता है।
स्मोग के कारण
धुंध के स्रोत हैं: वाहन, निर्माण, खुले में जलने वाला कूढ़ा, इनसीनेरेटरर्स (incinerators), कारखाने, लॉन परिवाहक (lawnmowers), कोयला आधारित बिजली उत्पादन स्टेशन, डीजल और
पेट्रोल वाहन, सॉल्वैंट्स, क्लीनर
और तेल पेंट, कीटनाशकों और प्रदूषक हवाएं जिसके माध्यम
से स्मोग का उत्सर्जन होता है।
स्मोग (Smog) किससे
बना है :
हम कह सकते हैं कि स्मोग
विशुद्ध रूप से वायु प्रदूषण के कारण होता है। जब ईंधन जलता हैं, वायुमंडलीय
प्रदूषण या गैसें हवा में मौजूद सूरज की रोशनी और वातावरण में इसकी गर्मी के साथ
प्रतिक्रिया करती हैं, जिससे स्मोग बनती है| और वीओसी, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन
आक्साइड के बीच जटिल रासायनिक प्रतिक्रियाओं की वजह से भी बनती है, जिन्हें अग्रगामी के रूप में भी जाना जाता है।
सर्दियों के दौरान जब भारी
यातायात, उच्च तापमान आदि के कारण वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, और हवा की गति कम होती हैं, यह धुआं और धुंध को
एक जगह स्थिर होकर स्मोग को बनाती है और धरती के समीप जहां लोग सांस ले रहे हैं पर
अधिक प्रदूषण को बढ़ा देती है। यह दृश्यता बाधित होती है और पर्यावरण को भी
अस्त-व्यस्त कर देती है।
स्मोग हमारे स्वास्थ्य को
कैसे प्रभावित करता है
स्मोग न केवल मनुष्य के लिए
बल्कि यह पौधों, जानवरों और पूरी प्रकृति के लिए हानिकारक है। इसकी चपेट में आने पर यह
विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को पैदा कर सकता हैं:
· अस्थमा
के लक्षण बदतर हो जाते हैं और अस्थमा अटैक भी हो सकते हैं।
· हृदय
(दिल) की बीमारी। ब्रोन्कियल बीमारी (bronchial disease) की वजह
से कई लोग मर रहे हैं।
· प्राकृतिक
तत्व विटामिन डी का उत्पादन कम होता है, जो लोगों के बीच rickets को बढ़ावा देता है।
· छाती
में जलन, खाँसी, कैंसर या संक्रमण, गले का कैंसर और निमोनिया का होना |
· श्वास
की समस्या, श्वास लेने में दर्द, आंखों में जलन और फेफड़ों
के कैंसर जैसे कई रोगों में वृद्धि ।
· असामान्य
रूप से थका हुआ महसूस करना, सिर में दर्द, कम ऊर्जा, घबराहट।
· यह
फसलों और जंगलों को भी भारी नुकसान पहुचाती है। सब्जियों और फसलों मुख्य रूप से
सोया सेम, गेहूं, टमाटर, मूंगफली
और कपास जब स्मोग के संपर्क में आती हैं तो संक्रमण के अधीन हो जाती हैं।
· विभिन्न
जानवरों की प्रजातियों और ग्रीन लाइफ को भी यह प्रभावित करती है।
बचाव :
· जब
ओजोन का स्तर ज्यादा होगा तब, यह सावधानियां हमें ठीक से जीवित रहने
में मदद करेंगी-
· अपने
घर के बाहर की गतिविधियों को कम से कम करें यानी कि बहार कम जाएँ |
· स्मोगी
दिनों पर अपनी गतिविधियां सामान्य रखें, यानि दौड़ना या साइकिल
चलाना, टहलना आदि कम करें जिससे सांस की समस्याओं से
राहत मिलेगी।
· गैस
चालित इंजन, कीटनाशकों, और तेल आधारित पेंट का उपयोग करने
से बचें।
· हाइड्रेटेड
रहें।
· धूम्रपान
मुक्त, वातानुकूलित वातावरण में घर के अंदर व्यायाम करें।
· ड्राइविंग
कम करें।