By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
जन स्वास्थ्य एवं स्वच्छता
स्वास्थ्य संबंधी कुछ उपाय केवल जन समुदाय द्वारा ही किए जा
सकते है। इनमें शामिल हैः
· जल स्रोत का संरक्षण
· ठोस अपशिष्ट् और मलमूत्र का ठीक प्रकार से निपटान करना
· पशुपालन पर नियंत्रण
· बाजार की सफाई
समुदाय का प्रत्येक सदस्य जन स्वच्छता में एक महत्वपूर्ण
भूमिका अदा करता है और अपने पड़ोसियों और समुदाय के प्रति अच्छे स्वास्थ्य और स्वच्छ
पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए उत्तरदायी होता है। समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति को
अपना घर और आंगन साफ रखना चाहिए क्योंकि एक गंदा घर अनके कर्तव्यनिष्ठ् पड़ोसियों
को प्रभावित कर सकता है और रोग को फैलने में मदद कर सकता है।
जल स्रोत का संरक्षण
जल की पूर्ति, स्वच्छता और स्वास्थ्य आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
अपर्याप्त शुद्ध पेय जल और स्वच्छता की सुविधाओं के अभाव के कारण विश्व के लाखों गरीब लोग प्रतिवर्ष रोकथाम करने योग्य
रोगों के शिकार हो जाते हैं। महिलाएं और बच्चे इनसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। प्रदूषित
पानी पीने से अनेक प्रकार की जल-जनित बीमारियां जैसे वायरल हेपाटाइटिस,
यकृत शोथ, आंत्र ज्वर, पेचिश, हैजा
और अतिसार की अन्य बीमारियां हो सकती हैं। व्यक्तिगत साफ-सफाई के लिए पर्याप्त
मात्रा में शुद्ध जल के न होने से चर्म एवं आंख में संक्रमण (ट्रेकोमा) आसानी से
फैल सकता है।
पेय जल जिसमें आर्सेनिक और नाइट्रेट जैसे रासायनिकों की
मात्रा अधिक होती है, उससे गंभीर रोग फैल सकते हैं।
इनसे बचाव के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 20
से 40 लीटर पानी घर से उचित दूरी पर उपलब्ध होना आवश्यक है।
सुरक्षित पानी में जल स्रोतों के संरक्षण के साथ-साथ इसकी समुचित परिवहन व्यवस्था
और घर में भंडारण का उचित बंदोबस्त शामिल है। इसका तात्पर्य स्नान,
कपड़े और रसोई के बर्तन धोने की सुविधाओं से भी है,
जिन्हें स्वच्छ और समुचित नालीदार होना चाहिए। मलमूत्र
निपटान और वयस्क और बच्चों दोनों के मल का दूर स्थान पर निपटान किया जाना चाहिए
जिससे वह जल स्रोतों, भोजन या लोगों के संपर्क में न आ सके।
ठोस अपशिष्ट् और मलमूत्र का ठीक प्रकार से निपटान करना
मलमूत्र निपटान और वयस्क और बच्चों दोनों के मल का दूर
स्थान पर निपटान किया जाना चाहिए जिससे वह जल स्रोतों,
भोजन या लोगों के संपर्क में न आ सके। मूत्र से संबंधित
रोगों के संचरण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए व्यक्तिगत और घरेलू स्वच्छता के
अच्छे मानकों का होना अनिवार्य है, जो शौच के बाद अच्छी तरह से हाथ धोने के साथ शुरू होते हैं।
पशुपालन :
कई समुदायों में अधिक प्रोटीनयुक्त एवं पोषक तत्वों से
परिपूर्ण खाद्य सामग्री का उत्पादन करने के साथ-साथ अतिरिक्त आय अर्जित करने के
लिए पशुपालन का काम किया जाता है। पशुओं से कई अन्य उत्पाद जैसे- चमड़ा और ईंधन भी
प्राप्त होता है जो जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में सहायक होते हैं। लेकिन यदि
पशुपालन के कार्य को सावधानी से नहीं किया जाता है, तो पशुपालन का समुदाय के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़
सकता है।
· पशुओं को हमेशा घरों, विशेष रूप से रसोई और पेय जल स्रोतों के आसपास के स्थान से
दूर रखा जाना चाहिए क्योंकि इनके गोबर में रोगाणु होते हैं जो भोजन और पानी को
दूषित कर सकते हैं।
· पशुओं को जल स्रोतों से 100 मीटर और घरों से 10 मीटर दूर एक पृथक स्थान पर रखा जाना चाहिए।
· पशुओं के अपशिष्ट/गोबर का घरों और जल स्रोत से दूर निपटान
किया जाना चाहिए अथवा इसका उपयोग खाद के रूप में किया जाना चाहिए।
· कुछ रोग वाहक मनुष्यो की तुलना में जानवरों के शरीर पर रहना
पसंद करते हैं। उदाहरण के लिए,
कुत्ते काला आजार के
भंडार स्थल हो सकते हैं और कुछ प्रजाति के मच्छर मनुष्य के बजाए पशुओं का खून पीना
अधिक पसंद करते हैं। इसलिए पशु-घर को मच्छरों के प्रजनन स्थल और गांव के बीच में
बनाने से मलेरिया के संक्रमण को कम किया जा सकता है।
बाजार :
बाजार प्रायः स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा होता है क्योंकि
बाजार में खाद्य सामग्री को उचित प्रकार से संगृहीत नहीं किया जाता है और बाजार
में जल की पूर्ति, सफाई,
ठोस अपशिष्टछ-निपटान, नालियां जैसी बुनियादी सेवाओं का अभाव हो सकता है। जन स्वास्थ्य हेतु बाजार
में व्यापारियों और ग्राहकों को पीने और धुलाई के लिए स्वच्छ जल के लिए जगह-जगह पर
पानी के नल होने चाहिए। कई सब्जी और फल विक्रेता बार-बार अपनी सब्जियों/फलों पर
पानी छिड़कते हैं, जिसके लिए शुद्ध जल का होना आवश्यक है। बाजार आने वाली महिलाओं और पुरुषों के
लिए अलग-अलग स्वच्छता सुविधाएं होनी चाहिए। बाजार में पानी और साफ-सफाई की
सुविधाओं के लिए उपयोगकर्ताओं से थोड़ा-शुल्क लेकर अथवा इन सुविधाओं के लिए बाजार
के शुल्क से भुगतान कर आसानी से इन सुविधाओं को उपलब्ध कराया जा सकता है।
बाजार में बेची जाने वाली खाद्य सामग्री भी साफ एवं स्वच्छ
होनी चाहिए। यह विषेश रूप से मांस और मछली के लिए महत्वपूर्ण है,
इसकी विक्री से पहले यह सुनिश्चित करने के लिए अच्छी
तरह से इनकी जांच की जानी चाहिए कि इन्हें
साफ-सफाई से तैयार किया गया है और इनमें किसी भी प्रकार के रोगाणु और अन्य
संदूषक/मिलावट नहीं की गई है। आमतौर पर बाजार में बड़े पैमाने पर ठोस
अपशिष्ट/कूड़ा-करकट इकट्ठा हो जाता है और इनमें चूहों और कीड़ों के
खाने-पीने/प्रजनन की रोकथाम के लिए इनका उचित प्रकार से निपटान किया जाना
महत्वपूर्ण है। इसलिए बाजार में दुकानों/ठेलों/रेड़ियों को इस प्रकार से व्यवस्थित
किया जाना चाहिए जिससे कूड़ा उठाने और बाजार स्थल को साफ करने वाली गाड़ियां
आसानी से इधर-उधर जा सकें। ठोस अपशिष्ट को दैनिक आधार पर इकट्ठा करना चाहिए एवं
निपटाना चाहिए। सोच-विचार कर लगाए गए कूड़ेदान (प्रायः कंकरीट से बनाए गए) इसे और
अधिक बेहतर बना सकते हैं। बाढ़ और कीड़ों के प्रजनन की रोकथाम के लिए बाजार स्थल
पर समुचित नालियां बनाई जानी चाहिए।