By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
रक्त स्राव दो प्रकार का हो सकता है—आंतरिक या गुप्त, बाह्य या प्रत्यक्ष ।
आंतरिक रक्तस्राव
सिर, पसली या कूल्हे की हड्डी टूट जाने, गोली या चाकू लगने आदि कारणों से रक्तस्राव शुरू हो जाता है,
जो बाहर नजर नहीं आता। उपरोक्त कारणों से मस्तिष्क,
यकृत (जिगर), प्लीहा (तिल्ली) आदि अंगों से होने वाला रक्तस्राव प्रायः
बाहर से नजर नहीं आता ।
रक्त स्राव के लक्षण क्या है :
घबराहट, कमजोरी व चक्कर आना । प्यास अधिक लगना । छूने पर शरीर एकदम
ठंडा महसूस होना । चेहरा और होंठ पीला पड़ जाना। धड़कन का स्पंदन मंद व गति तेज
होना ।
रक्तस्राव रोकने की विधियाँ :
रोगी को मुंह से कुछ भी खाने या पीने को न दें।
आवश्यक हो तो कृत्रिम श्वास दें।
रोगी को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं ।
बाह्य रक्तस्राव
यदि नाक से रक्तस्राव हो, तो रोगी को आगे झुकाकर बैठाएं,
सिर व नाक पर ठंडे पानी से तर कपड़े की पट्टी करें,
रोगी को नाक के बजाय मुंह से सांस लेने के लिए कहें और यदि
नाक में खून जमा हो, तो उसे साफ करें।
यदि कान से रक्तस्राव हो रहा हो,
तो रोगी को चोट लगे कान की तरफ करवट करके लिटा दें। यदि
दोनों कानों से खून बह रहा हो, तो सीधे लिटा दें।
यदि सिर से खून बह रहा हो और हड़ी न टूटी हो तो साफ कपड़ा
रखकर,
दबाकर पट्टी बांध दें ताकि खून रुक जाए।
यदि मुंह के अंदर से जीभ, मसूड़ों, दांत, दांत के गड्ढे, गाल या गले के ऊपरी भाग से खून आ रहा हो,
तो मुंह को साफ कर रोगी को बर्फ चुसाएं । उसे किसी गर्म
वस्तु का प्रयोग न करने दें।
यदि पेट से खून आ रहा हो, तो रोगी को पीठ के बल घुटने मोड़कर लिटा दें। यदि पेट में
चाकू या अन्य कोई धारदार हथियार घुसा हो, तो उसे निकालें नहीं। यदि चाकू निकल गया हो और अंतड़ियां
बाहर न निकली हों, तो घाव पर कसकर पट्टी बांध दें। यदि अंतड़ियां बाहर निकल गई हों,
तो उन्हें वापस अंदर न डालें, बल्कि साफ कपड़े से ढक कर ढीली पट्टी बांध दें। रोगी को कुछ
भी खाने या पीने को न दें और रोगी को तुरंत अस्पताल भेजने की व्यवस्था करें।
यदि मामूली घाव या चोट हो और हलका रक्तस्राव हो,
तो फिटकरी के घोल से साफ करें। साफ करने के बाद शहद में
गेरू या हल्दी बारीक पीसकर मिलाएं व पट्टी कर दें।