VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

जिह्वा परीक्षण (Tongue Exameinahan)


  •        तीव्र ज्वर, लम्बे उपवास तथा जल की कमी होने पर जीभ पर मैल की तह जम जाती है।
  •         रक्त की कमी होने पर जीभ का रंग फीका हो जाता है जीभ की सतह मुलायम तथा समतल हो जाती है।
  •         स्नायुरोगी में जीभ संज्ञाहीन हो जाती है।
  •         पीलिया में रोगी की जीभ कुछ पीली हो जाती है।
  •         हृदय के रोगों में रोगी की जीभ जरा सी बढ़ जाती है। तथा दाँत के निशान पड़े दिखायी देते हैं।
  •         हृदय के रोगों में जीभ का रंग कुछ नीला हो जाता है।
  •         शोथों के रोग में जीभ अस्वाभाविक रूप से लाल हो जाती है।
  •         पाचनशक्ति के विकारों में जीभ लाल हो जाती है तथा उस पर छोटे-छोटे दाने पड़ जाते हैं।
  •         अर्जीर्ण रोगों में जीभ मोटी हो जाती है। जीभ तथा उस पर सफेदी दिखायी देती है।
  •         आमाशय के रोगों में जीभ फटी हुई होती है।
  •         उदर रोगों में मुँह से दुर्गन्ध आने लगती है।
  •         शरीर में जल की कमी होने पर जीभ सूखी और रूखी हो जाती है।
  •         विटामिन ’’बी” की कमी से जीभ चिकनी हो जाती है।
  •         क्षय रोगों में जीभ लाल रंग की तथा खुश्क हो जाती है।
  •         पित्त ज्वर में जीभ की नोक और किनारे लाल पड़ जाते हैं।
  •         श्वास, हृदय तथा फेफड़े के रोगों में जीभ बैगनी दिखायी देती है। और उसमें बहुत जलन होने लगती है।