• हैजा, क्षय, कमजोरी, अतिसार, रक्तस्राव में रोगी की आँखें धॅसी होती हैं।
• उच्च रक्त चाप, में नेत्रों से रक्तस्राव होने लगता है।
• वात रोगों में नेत्र सूखे हो जाते हैं।
• पित्त रोगों में संतापयुक्त हो जाते हैं तथा पीले दिखायी देते हैं।
• रक्त की कमी, दिल का अधिक धड़कना, सिर चकराना, आदि अवस्था में आँखों के सामने अंधेरा आ जाता है।
• नजला, जुकाम, पागलपन, और तीव्रज्वर में आँखें लाल हो जाती हैं।
• हृदय विकार तथा आक्सीजन की कमी में आँखें नीली हो जाती हैं।
• विटामिन की कमी होने पर आँखों में कैंजापन आ जाता है।
• पेट के रोगों में आँखों के चारो ओर लाल-लाल, सोसे जैसा नीला फेरा पड़ जाता है।
• एनीमिया में आँखों की झिल्ली सफेद हो जाती है।
• टी०बी० तथा अन्य भयानक बीमारियाों में आँखें चिन्तातुर दिखायी देती हैं।
• उच्च रक्त चाप, में नेत्रों से रक्तस्राव होने लगता है।
• वात रोगों में नेत्र सूखे हो जाते हैं।
• पित्त रोगों में संतापयुक्त हो जाते हैं तथा पीले दिखायी देते हैं।
• रक्त की कमी, दिल का अधिक धड़कना, सिर चकराना, आदि अवस्था में आँखों के सामने अंधेरा आ जाता है।
• नजला, जुकाम, पागलपन, और तीव्रज्वर में आँखें लाल हो जाती हैं।
• हृदय विकार तथा आक्सीजन की कमी में आँखें नीली हो जाती हैं।
• विटामिन की कमी होने पर आँखों में कैंजापन आ जाता है।
• पेट के रोगों में आँखों के चारो ओर लाल-लाल, सोसे जैसा नीला फेरा पड़ जाता है।
• एनीमिया में आँखों की झिल्ली सफेद हो जाती है।
• टी०बी० तथा अन्य भयानक बीमारियाों में आँखें चिन्तातुर दिखायी देती हैं।
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