जीवनी शक्ति बढ़ाने में विश्राम का बहुत महत्व है। विश्राम का सीधा सा अर्थ है – काम के बाद आराम करना । विश्राम करने से शरीर की थकी हुई मांसपेशियों का तनाव कम होता है। तथा जटिल मानवीय कोशिका भी स्वस्थ रहती है। शरीर के कार्य करने की दशा में उत्पन्न होने वाले थकान को केवल शरीर के विश्राम द्वारा ही दूर कर सकते है। इससे शरीर की प्रत्येक कोशिका में ऊर्जा का पुनः वास होने लगता है। तथा व्यक्ति फिर पहले की भांति ऊर्जावान हो जाता है | इससे व्यक्ति के शरीर में निहित प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है। अत्यधिक श्रम व शरीर की क्षमता से अधिक कार्य करने से जीवनीशक्ति का ह्यस होता है इसके लिए शारीरिक व मानसिक तनाव होने पर विश्राम करना स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम है।
विश्राम केवल शारीरिक विश्राम नहीं है । शारीरिक विश्राम का मानसिक विश्राम से मेल होने पर ही शरीर को पूर्ण विश्राम का सौभाग्य प्राप्त होता है | परन्तु जब हम आराम करते हैं उस वक्त विश्राम की मानसिक दशा को हम भूले रहते हैं | उस वक्त भी हम दिमाग से काम लेते रहते हैं | शैया पर पड़े रहने की स्थिति में भी हमारे शरीर विशेषकर मस्तिष्क में तनाव बना रहता है, जो मन की चंचल अवस्था के कारण होता है | यह विश्राम नहीं है, किसी सोते हुए बच्चे को देखो, कितनी बेफिक्री से देह और मस्तिष्क को शिथिल किये शैया पर पड़ा रहता है | यही विश्राम का उत्तम प्रकार है |
शिथिलीकरण
शरीर एवं मन को शिथिल करने की क्रिया को शिथिलीकरण कहते हैं | यह योग की एक विशिष्ठ क्रिया है | इस क्रिया के करने से अनेक रोग दूर हो जाते हैं साथ ही मनुष्य अत्यंत क्रियाशील और शक्तिमान भी बन जाता है | यौगिक शिथिलीकरण के लिए दो आसन काम में लाये जाते हैं- शवासन एवं प्राण धारण | शवासन में शिथिलीकरण करने की विधि निम्न है-
समतल भूमि पर एक कम्बल बिछाकर पीठ के बल लेट जाएँ दोनों हाथ अगल-बगल शरीर से हटाकर रखें | हथेलियाँ आसमान की ओर रहें , दोनों पैर सीधे रहें, एडियों में डेढ़-दो फीट का फासला रहे और पंजे खुले रहें | अब अपने नेत्र, ओष्ठ कोमलता से बंद करके समस्त शरीर को ढीला छोड़ दें | धीरे-धीरे श्वास लें एवं चित्त की वृत्तियों को अंतर्मुखी कर दें |
शरीर ढीला करने की क्रिया पैरों के अंगूठों से शुरू करके क्रमशः पिण्डली, पीठ, छाती,गर्दन और सिर की मांसपेशियों तक होनी चाहिए |
इस अभ्यास से शरीर को आराम मिलता है और उसमे शक्ति व स्फूर्ति का संचार होता है | इससे शरीर के स्नायु मंडल को क्रियाशीलता प्राप्त होती है |
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