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सहज मानसिक अवस्था का महत्व

सहज मानसिक अवस्था एक मानसिक स्थिति है, जो व्यक्तित्व की सम्पूर्ण समन्वित क्रिया दर्शाती है।


मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ :
जब व्यक्ति किसी भी तरह की मानसिक बीमारी से मुक्त होता है तो उसे मानसिक रूप से स्वस्थ समझा जाता है और उसकी इस अवस्था को मानसिक स्वास्थ्य की संज्ञा दी जाती है।
सहज मानसिक अवस्था की परिभाषाएँ-

स्ट्रेन्ज (Strange, 1965) के अनुसार :  ‘‘मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य वैसे सीखे गए व्यवहार से होता है जो सामाजिक रूप से अनुकूली होते हैं और जो व्यक्ति को अपनी जिन्दगी के साथ पर्याप्त रूप से मुकाबला करने की अनुमति देता है।

हारविज तथा स्कीड (Horwitz & Scheid, 1999) के अनुसार :  ‘‘मानसिक स्वास्थ्य में कई आयाम सम्मिलित होते हैं- आत्म सम्मान, अपने अंतःशक्तियों का अनुभव, सार्थक एवं उत्तम संबंध बनाये रखने की क्षमता तथा मनोवैज्ञानिक श्रेष्ठता।’’

कार्ल मेनिंगर (Karl Menninger, 1945) के अनुसार : ‘‘मानसिक स्वास्थ्य अधिकतम खुशी तथा प्रभावशीलता के साथ वातावरण एवं उसके प्रत्येक दूसरे व्यक्ति के साथ मानव समायोजन है- वह एक संतुलित मनोदशा, सतर्क बुद्धि, सामाजिक रूप से मान्य व्यवहार तथा एक खुशमिजाज बनाए रखने की क्षमता है।’’

इन परिभाषाओं का विश्लेषण करने पर हमें सहज मानसिक स्वरूप के बारे में निम्नांकित तथ्य प्राप्त होते हैं- 
मानसिक स्वास्थ्य की मूल कसौटी अर्जित व्यवहार है। इस तरह का व्यवहार का स्वरूप कुछ ऐसा होता है जिससे व्यक्ति को सभी तरह के समायोजन करने में मदद मिलती है।
मानसिक स्वास्थ्य एक संतुलित मनोदशा की अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति अपने जिन्दगी के विभिन्न हालातों में सामाजिक रूप से तथा सांवेगिक रूप से एक मान्य व्यवहार बनाए रखता है।

सहज मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के निम्नलिखित लक्षण होते हैं- 
आत्म विश्वास व आत्म सम्मान की भावना।
विचार करने की पूर्ण क्षमता।
बुद्धि व विवेक के द्वारा निर्णय लेने की पूर्ण क्षमता।
स्वतः स्फूर्ति।
यथेष्ठ सुरक्षा।
समयानुसार व्यवहार करना।
धैर्य व उत्साह का बना रहना।
अपनी कमियों का ज्ञान तथा स्वीकृति। प्रत्यक्षीकरण सही।
अपनी शक्ति व योग्यता का सही ज्ञान।
दूसरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव।
दृढ़ निश्चयी।
निः स्वार्थ
अनुभव से सीखने की क्षमता।
भूमिका निष्पादन।
वैयक्तिता पर बराबर बल।
कार्यदक्षता एवं व्यवहार निपुणता।
समायोजन की क्षमता।
कर्मकुशलता एवं कर्मठता।
वास्विकता से यथेष्ठ सम्पर्क।
भय, क्रोध लोभ, ईर्ष्या-द्वेष, आशंका, आदि मनोविकारों से मुक्त रहना।
मन में सदैव प्रसन्नता व प्रफुल्लता का अनुभव करना।
डपरोक्त सभी लक्षणों को अपने अन्दर धारण व उसके लिये सदैव प्रयासरत रहने से सहज मानसिक स्वास्थ्य बढ़ता है।



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