VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

ओवुलेशन या अंडोत्सर्ग

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'

ओवुलेशन

ओवुलेशन महीने का वो समय होता है (12 से 24 घंटे) जब अंडे वीर्य या स्पर्म के साथ मिलने को तैयार होता है।इसमें अंडे अन्डकोशों से ऋतुचक्र के समय निकलते हैं। इस ऋतुचक्र को समझने से ही आप समझ पाएंगे की ओवुलेशन कब होगा। हर महीने एक महिला के अंडकोष से 15 से 20 अंडे निकलते हैं। ये अंडे फैलोपियन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय तक पहुँचते हैं।

अपने ओवुलेशन के बारे में जानने का ये भी एक बेहतरीन तरिका है। चक्र के शुरू में ग्रीवा यानी (योनी और गर्भाशय के बीच का रास्ता) थोड़ी सख्त, नीची और बंद होती है। लेकिन ओवुलेशन की शुरुआत होते ही यह खुल जाती है और मुलायम हो जाती है ताकि वो स्पर्म को अपने अन्दर समेट सके। लेकिन जिन महिलाओं में रेगुलर पीरियड नही होता है उनमें ओवुलेशन का समय अलग होता है। कभी-कभी एक के बाद एक ओवरी में अण्डे मेच्योर होते हैं और हार्मोन में वृद्धि के साथ परिपक्व होकर अण्डे बाहर आते हैं। परिवक्व अण्डे फैलोपियन ट्यूब से होते हुए यूटरस की तरफ आते हैं और ट्यूब में रुककर निषेचित होने के लिए शुक्राणु की प्रतीक्षा करते हैं।

ओवुलेशन का सही पता चल जाये तो इसके कई फायदे हैं इससे गर्भ धारण करने में आसानी होती है। अगर ओवुलेशन प्रक्रिया के दौरान सेक्स न किया जायें तो बड़ी आसानी से बर्थ कंट्रोल किया जा सकता है। आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे आवुलेशन का पता आसानी से लगा सकते हैं।

ओवुलेशन के लक्षण

जिन महिलाओं का पीरियड रेगुलर होता है वो बड़ी आसानी से ओवुलेशन की प्रक्रिया को समझ सकती हैं। क्योंकि उनमें ओवुलेशन का दिन निश्चित होता है।

अगर किसी का मासिक चक्र पूरे 28 दिन में होता है तो 12वें और 16वें दिन के लक्षणों को पहचाने। इसी दिन ओवुलेशन प्रक्रिया होने की संभावना ज्यादा होती है।

जिन महिलाओं में रेगुलर पीरियड नही होता है उनमें यह क्रिया अनिश्चित होती है। मासिक चक्र डिस्टर्ब होने के साथ ही ओवुलेशन का समय बदल जाता है।

ओवुलेशन का पता लगाने के लिए 12वें और 16वें दिनों के बीच के संकेतों को समझें। शरीर कुछ संकेत दे तो इसका मतलब वह फर्टाइल फेज में हैं।

सर्विकल म्यूकस

ओवुलेशन प्रक्रिया के दौरान सर्विकल म्यूकस में परिवर्तन हाने लगता है। योनि स्राव की मात्रा में गाढ़ापन और स्पस्ट तौर पर अंतर दिखता है। योनि स्राव अन्य दिनों में चिपचिपा होता है लेकिन ओवुलेशन के समय यह ज्यादा चिकनाईयुक्त और छूने पर तनाव प्रतीत होता है।

 

तापमान

अन्य दिनों के मुकाबले शरीर का तापमान बढ़ जाता है। सुबह उठकर शरीर का तापमान जाँचने पर अगर यह ज्यादा है तो ओवुलेशन की प्रक्रिया शुरू होने के संकेत हैं। इसके लिए सामान्य दिनों में भी थर्मामीटर के जरिए शरीर का तापमान लीजिए। ऐसे में अगर शरीर का तापमान सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा हो तो ओवुलेशन का पता लगा सकते हैं।

कामुक इच्छा

ओवुलेशन प्रक्रिया के दौरान सेक्स की इच्छा बढ़ जाती है। इस दौरान फर्टाइल फेज होता है जिसके कारण यौन संबंध बनाने की प्रबल इच्छा होती है।

अंडोत्सर्ग के दिनों में क्या होता है?

अंडोत्सर्ग के दिन मासिक चक्र में एक अहम समय होता है। अंडोत्सर्ग का समय हॉर्मोनों द्वारा नियंत्रित होता है। माहवारी के बाद अंडोत्सर्ग वाले दिनों में एस्ट्रोजन स्तर में वृद्धि होने लगती है और इसके प्रतिक्रिया स्वरूप गर्भाशय अस्तर मोटा होने लगता है और सर्वाइकल म्यूकस पतला हो जाता है और शुक्राणुओं को ग्रहण करने के लिए अधिक सक्रिय हो जाता है।

एक निश्चित स्तर पर, एस्ट्रोजन गोनैडोट्रोफ़िन हॉर्मोन का स्राव करना आरंभ करता है, जो सामुहिक रूप से अंडोत्सर्ग में और अंडे को फ़ैलोपियन नली में पहुंचने में मदद करते हैं।

इन हॉर्मोनों के संयोजित प्रभावों में शामिल हैं- अंडोत्सर्ग से पहले महिलाओं में यौन इच्छा जगना और अंडोत्सर्ग के ठीक बाद शरीर के तापमान में वृद्धि होना।

अंडा लगभग 12-24 घंटे तक जीवित रहता है और यदि यह फैलोपियन नली में किसी शुक्राणु (स्पर्म) से नहीं मिलता है, तो यह शरीर से बाहर निकल जाता है।

मासिक चक्र में सबसे संभावित अंडोत्सर्ग दिन की पहचान कैसे कर सकते हैं?

स्टॉक-स्टैंडर्ड प्रतिक्रिया यह है कि अंडोत्सर्ग मासिक चक्र के 14वें दिन (माहवारी शुरु होने का दिन पहला माना जाएगा) होता है।

इसके मुताबिक मासिक चक्र 28 दिनों का होता है; पर ज्यादातर महिलाओं में यह औसतचक्र से कुछ न कुछ अंतर के साथ होता है। मासिक चक्र की सही समझ हासिल किए बिना अंडोत्सर्ग दिनों की पहचान करना काफी कठिन हो सकता है, इसलिए यदि संभव हो, तो एक पैटर्न की पहचान करने के लिए कुछ महीनों तक मासिक चक्र का चार्ट बनाएँ।

मासिक चक्र का चार्ट आप कई तरीकों से बना सकते हैं।

सबसे प्रभावी विधियों मेंअंडोत्सर्ग के संभावित लक्षण, शरीर का बेसल (विरामावस्था में) तापमान और सर्वाइकल म्यूकस के संघटन को ट्रैक करने से शामिल होता है।

आपको कुछ महीनों के बाद एक पैटर्न समझ आ सकता है, हालांकि अंडोत्सर्ग कभी भी योजना के साथ नहीं होता और यह तनाव, बीमारी, शारीरिक गतिविधि और आहार में बदलावों जैसे कारणों से प्रभावित हो सकता है।

क्यों इतने सारे गर्भ निरोधक उपाय अंडोत्सर्ग दिनों की पहचान करने से रोकते हैं?

यदि कोई गर्भ निरोधक गोलियाँ ले रही हैं या गर्भनिरोध के अन्य प्रकार का इस्तेमाल कर रही हैं, जो शरीर में कृत्रिम हॉर्मोनों का स्राव करते हों, तो मासिक चक्र का चार्ट बनाने का कोई मतलब नहीं बनता क्योंकि ऐसी स्थिति में अंडोत्सर्ग के दिन की पहचान नहीं कर पाएंगे।

यह इसलिए होता है क्यों कि इन कृत्रिम हॉर्मोनों की क्रिया आपके शरीर की स्वाभाविक हॉर्मोनल लय को बिगाड़ देती हैं और सामान्यतः ऐसे ड्रग्स का सेवन करने के दौरान शरीर अंडोत्सर्ग करता ही नहीं है।

उन मुख्य गर्भनिरोधक तरीकों में जो कृत्रिम हॉर्मोनों के इस्तेमाल से शरीर के स्वाभाविक अंडोत्सर्ग चक्र को प्रभावित करते हैं, वे सभी गर्भनिरोधक दवाएं या कोई इंजेक्टेड गर्भनिरोधक होते हैं।

फिर भी शरीर के स्वाभाविक अंडोत्सर्ग चक्र की पहचान करने के दौरान 'यांत्रिक' गर्भनिरोधकों (जैसे कि हॉर्मोन युक्त या गैर-हॉर्मोन युक्त आइयूडी या डायफ़्राम्स) का सुरक्षित रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है।

अंडोत्सर्ग दिन का अंदाजा लगाना क्यों जरूरी होता है?

योजना ही सबकुछ है! शरीर की सबसे फ़र्टाइल अवधि अंडोत्सर्ग से लगभग 5 दिन पहले से आरंभ होती है और यह अंडोत्सर्ग के 12 से 48 घंटों के बाद समाप्त हो जाती है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कोई शुक्राणु आपके शरीर में प्रवेश करने के बाद 4-5 दिनों तक जीवित रह सकता है, जबकि अंडा निकलने के 12 से 48 घंटों तक जीवित रहता है।

यदि आपको स्वाभाविक मासिक चक्र की अच्छी जानकारी है और अंडोत्सर्ग से पहले शरीर द्वारा दिए जाने वाले कई संकेतों और लक्षणों की पहचान करने की क्षमता है, तो अपने शरीर की सबसे फ़र्टाइल अवधि में ही यौन संबंध बना सकेंगी और इस प्रकार गर्भवती होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाएगी।