VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

पक्वाहार

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'


जब हम खाने को पकाते हैं तो उसके प्राकृतिक गुण तो नष्ट हो ही जाते हैं और साथ ही उसे पचाने के लिए शरीर को बहुत एनर्जी लगानी पड़ती है। ऐसे भोजन से शरीर में वेस्टप्रोडेक्ट बढ़ता है और उसे निकालने के लिए शरीर को अधिक एनर्जी लगनी पड़ती है। उदाहरण- यदि आप हल्का भोजन खाते हैं तो उससे आलस्य और नशा आदि महसूस नहीं होता लेकिन जब आप गरिष्ठ भोजन करते हैं तो आपको नशा एवं आलस्य महसूस होता है। यह संकेत है कि हमारे शरीर की एनर्जी डाईवर्ट होकर कम हो गयी है। इस तरह हम अपनी काफी एनर्जी वेस्ट करते हैं।

यदि हम केवल अपने आहार में सुधार कर लें तो सभी रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। मान लिया किसी को हम दवा देते हैं लेकिन उसके आहार में सुधार नहीं करते तो चाहे कितनी भी दवा दे दें. उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। एकमात्र आहार में सुधार ही है जो हमें स्वस्थ रखने में पूरी तरह सक्षम है। आहार विज्ञान में लिखा है कि जिस आहार को बिना पकाए खाया ही नहीं जा सकता, वह आहार स्वास्थ्यप्रद नहीं रहता है।