VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

पोषण एवं इसका महत्व

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि अच्छा पोषण क्या है ? पोषण वह विज्ञान है जो यह ज्ञात कराता है कि किस प्रकार ग्रहण किया हुआ आहार शरीर के निर्माण, वृद्धि एवं पुनरूत्पादन के उपयोग में आता है। अच्छा स्वास्थ्य वह दशा है जिसमें शारीर को सही प्रकार का भोजन व पौष्टिक तत्व मिलते हैं शरीर को तदरूस्त बनाए रखने, यथोचित शारीरिक कार्य करने, वृद्धि एवं शरीर की प्रतिपूर्ती के लिए।

भोजन विभिन्न पौष्टिक तत्वों का मिश्रण है जैसे कि कार्बोज, प्रोटीन, वसा, जल, विटामिन एवं खनिज लवण। शरीर में इन पौष्टिक तत्वों का विशेष कार्य है जो पोषण  स्तर ओर स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायता करते हैं। शरीर को यह पौष्टिक तत्व विभिन्न मात्रा में चाहिए होते हैं। अधिक मात्रा की आवश्यकता वाले पौष्टिक तत्व जैसे कि कार्बोज, प्रोटीन एवं कैल्सियम, और पौष्टिक तत्व जो बहुत कम मात्र में शरीर के लिए जरूरह होते है जैसे कि विटामिन ए, बी, सी, लौह, कई खनिज लवण जैसे कि आयोडीन, कौपर, जिन्क, सिलनियम अथवा मैगनिशियम अल्प मात्रा में ही शरीर को सुचारू रूप से रखने में बहुत आवश्यक होते हैं। इन्हें सूक्ष्म मात्रिक तत्व कहा जाता है।

पौष्टिक आहार की आवश्यकता

·         शारीरिक कार्यों एवं शरीर के आन्तरिक अंगों को क्रियाशील बनाए रखने के लिए ऊर्जा प्रदान के लिए

·         तन्तु  निर्माण एवं मरम्मत के लिए

·         रोगों से बचाव के लिए

पौष्टिक आहार

शरीर को  विभिन्न पौष्टिक तत्वों की जरूरतें विभिन्न कारणों पर निर्भर करती हैं, जैसे आयु, लिंग, शारीरिक कार्य, बीमारी आदि।  पौष्टिक एवं संतुलित आहार वह है जो शरीर को सभी पौष्टिक तत्च शारीरिक आवश्यकताओं के अनुसार उचित मात्रा में प्रदान करे। इसी कारण एक वर्ग के लोगों के लिए बनाया संतुलित आहार दूसरे वर्ग के लोगों के लिए संतुलित नहीं कहलाएगा क्योंकि उनकी शारीरिक जरूरतें भिन्न होगी। उदाहरणतः, एक आठ वर्ष के बच्चे के लिए जो आहार संतुलित होगा, वह ऐ 25 वर्षीय महिला या एक गर्भवती महिला के लिए संतुलित नहीं होगा।

अतः पौष्टिक आहार विभिन्न खाद्य पदार्थों को पर्याप्त मात्रा में सम्मिलित कर बनाया जाता है। खाद्य पदार्थों को तीन मुख्य वर्गों में बाँटा जा सकता हैः-

·         ऊर्जा देने वाले पदार्थ

·         तन्तु  बनाने वाले पदार्थ

·         बीमारियों से बचाने वाले पदार्थ

ध्यान दें, जल खाद्य पदार्थ न होकर कर भी पौष्टिक आहार का एक महत्वपूर्ण अंग है।

शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थ हैं - कार्बोज एवं वसा युक्त पदार्थ। छिलके वाले अनाज व दालें, श्वेतसारी सब्जियाँ व फल जैसे कि आलू, कचालू, केला, आम जैसे काप्लेक्स कार्बोज पौष्टिक आहार में अधिक मात्रा में होती है और सरल कार्बोज जैसे गुड़ व चीनी की मात्रा कम होती है। अनाज जैसे कि गेंहूँ, चावल, जौ, मक्का, रागी, इत्यादि आहार का मुख्य भाग होना चाहिए परंतु इन्हें अन्य खाद्य पदार्थ जैसे दालें, फल व सब्जियों के साथ ग्रहण करना चाहिए।

वसा शरीर को ऊर्जा देने वाला मुख्य तत्व है। कई विटामिन (जैसे कि विटामिन ए, डी, , के) पूर्ण अवशोषण के लिए वसा का भोजन में होना बहुत आवश्यक है। पर्याप्त मात्रा में वसा का होना लाभदायक होता है परंतु भोजन में वसा के अत्याधिक उपयोग से बचना चाहिए। हमें अपने भोजन में विभिन्न प्रकार के तेल एवं वसा का उपयोग करना चाहिए, जैसा कि- सोयाबीन, करडी, कर्न अथवा सनफलावर तेल- यह पोली अनसैचुरेटिड फैटी एसिडस प्रदान करते हैं। मेवे और बीच- यह मोनो अनसैचुरेटिड फैटी एसिडस प्रदान करते हैं। दूध से बने पदार्थ, घी, मक्खन, पशु चर्बी, नारियल या पाम का तेल- यह सैचुरेटिड वसा प्रदान करते हैं। इस वर्ग के वसा को कम से कम उपयोग करना चाहिए क्योंकि हृदय रोग होने के खतरे को बढ़ाते हैं।

शरीर वृद्धि एवं तन्तु उत्पादन के लिए प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ आवश्यक होते हैं| प्रोटीन की आवश्यकता सबसे अधिक ऐसी अवस्थाओं में होती है जिनमें शारीरिक वृद्धि हो रही है, जैसे- शिशु अवस्था, किशोरावस्था व गर्भावस्था। प्रोटीन हमारे शारीर में बचाव कार्य भी करता है। प्रोटीन की कमी से शारीरिक एवं मांसपेशियों की कमजोरी रोग व बीमारियों हो सकती है एवं बच्चों में शारीरिक  वृद्धि रोक लग सकती है। अतः स्वस्थ व रोब मुक्त शरीर के लिए भोजन में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ हैं- दालें, दूध और दूध से बने पदार्थ, अण्डा, माँस, मछली, मुर्गी, मुँगफली आदि।

शरीर को बीमारियों एवं रोगों से सुरक्षित रखने वाले पदार्थ होते हैं- विटामिन व खनिज लवण युक्त। यह खाद्य पदार्थ कई सूक्ष्म पौष्टिक तत्वों की कमियों से होने वाली बीमारियों जैसे खून की कमी से बचाते हैं। ताजे फल व सब्जियाँ मुखयतः हरे पत्ते वाली सब्जियाँ, पीले, नांरगी व जामनी रंग के फल इन तत्वों के अच्छे साधन हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के परामर्श हेतु दिन के भोजन में कम से पाँच भिन्न प्रकार की फल व सब्जियाँ खानी चाहिए।

जल हमारे शरीर के लिए महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व है जो शरीर में विभिन्न मुख्य कार्य करता है। मनुष्य को प्रतिदिन कम से कम आठ गिलास पानी पीने का प्रयास करना चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि पानी को पीने से पहले, उसे दस मिनट तक उबालें, छानें और फिर ग्रहण करें। जल को उसके मूल रूप में ही ग्रहण करने के अतिरिक्त, फलों के रस, सूप, नींबू पानी, लस्सी नारियल पानी और दूध के रूप  में भी ग्रहण किया जा सकता है। चाय और काफी का प्रयोग अत्याधिक मात्रा में न करें।

ध्यान रहे कि पौष्टिक आहार तभी बनेगा जब दिन के हा भोजन में हर खाद्य वर्ग से एक या उससे अधिक खाद्य पदार्थ शामिल होंगे, जैसे कि चावल व तेल शरीर को ऊर्जा देने वाले वर्ग से, दालें शरीर को वृद्धि कराने वाले वर्ग से एवं फल व सब्जियाँ शरीर को बीमारियों से बचाने वाले वर्ग से। यह सुनने में शायद कठिन लगे परन्तु यह सब तत्व हमें साधारण व्यंजनों से प्राप्त हो सकते हैं। उदाहरण हेतु -

तीन खाद्य वर्ग युक्त भोजन

·         चावल व सांभर

·         सब्जियाँ युक्त उत्तपम्प

·         दही व सब्जियों का परांठा

·         दही व सब्जियों का पोहा

·         सब्जियों का पुलाव व दाल

·         पनीर, आलू व सब्जी की टिक्की

·         सब्जियों की खिजड़ी

·         रोटी, सब्जी और दाल/पनीर /दही

·         चीज/चिकन सैंडविच और फल

अतः हम यह कह सकते हैं कि सभी पौष्टिक तत्वों का साधन संतुलित आहार है।

कौन-सा आहार किस मात्रा में ग्रहण करना चाहिए ? कौन खाद्य पदार्थ भरपूर मात्रा में खाने चाहिए। इसमें शामिल हैं छिलके वाले अनाज, चावल, रोटी, डबल रोटी, दलिया, उपमा इत्यादि। दूसरा भाग प्रोटीन, विटामिन एवं फोक देने वाले खाद्य पदार्थो को दर्शाता है। इनमें शामिल हैं दालें जैसे कि सोयाबीन, राजमा, साबुत मूँग दाल तथा मूँगफली, बदाम इत्यादि। तीसरा भाग फल व सब्जियों से बना है जो शरीर को खनिज लवण, विटामिन, प्रति उपचायक पदार्थ और फोक प्रदान करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के परामर्श हेतु पाँच फल व सब्जियों प्रतिदिन खानी चाहिए। दूध व दूध से बने पदार्थ और पाश्विक पदार्थों का सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए कि हम अपने भोजन में वसा एवं कोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक होती है| हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हम अपने भोजन में वसा रहित या सपरेटा दूध एवं कम वसा वाले पाश्विक पदार्थ का सेवन करें। अंतिम भाग चीनी और वसा पदार्थों को दर्शाता है जिनका सेवन कम से कम मात्रा में करना चाहिए।