विधि :
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सिद्धासन,पदमासन या
सुखासन में बैठ जाएँ |
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दोनों हाँथ घुटनों पर रख
लें हथेलियाँ उपर की तरफ रहें |
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अनामिका अंगुली (रिंग फिंगर) को मोडकर अंगूठे की जड़ में लगा
लें एवं उपर से अंगूठे से दबा लें |
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बाकि की तीनों अंगुली
सीधी रखें |
सावधानियां :
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अधिक कमजोरी की अवस्था
में सूर्य मुद्रा नही करनी चाहिए |
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सूर्य मुद्रा करने से
शरीर में गर्मी बढ़ती है अतः गर्मियों में मुद्रा करने से पहले एक गिलास पानी पी
लेना चाहिए
मुद्रा करने का समय व अवधि :
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प्रातः सूर्योदय के समय
स्नान आदि से निवृत्त होकर इस मुद्रा को करना अधिक लाभदायक होता है | सांयकाल
सूर्यास्त से पूर्व कर सकते हैं |
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सूर्य मुद्रा को प्रारंभ
में 8 मिनट से प्रारंभ करके 24 मिनट तक किया जा सकता है |
चिकित्सकीय लाभ :
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सूर्य मुद्रा को दिन में
दो बार 16-16 मिनट करने से कोलेस्ट्राल घटता है |
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अनामिका अंगुली पृथ्वी
एवं अंगूठा अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है , इन तत्वों के मिलन से शरीर में
तुरंत उर्जा उत्पन्न हो जाती है |
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सूर्य मुद्रा के अभ्यास
से मोटापा दूर होता है | शरीर की सूजन दूर करने में भी यह मुद्रा लाभकारी है |
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सूर्य मुद्रा करने
से पेट के रोग नष्ट हो जाते हैं |
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इस मुद्रा के अभ्यास से
मानसिक तनाव दूर हो जाता है |
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प्रसव के बाद जिन
स्त्रियों का मोटापा बढ़ जाता है उनके लिए सूर्य मुद्रा अत्यंत उपयोगी है | इसके
अभ्यास से प्रसव उपरांत का मोटापा नष्ट होकर शरीर पहले जैसा बन जाता है |
आध्यात्मिक लाभ :
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सूर्य मुद्रा के अभ्यास
से व्यक्ति में अंतर्ज्ञान जाग्रत होता है |