VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

कपालभाती

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'



·         किसी भी ध्यानात्मक या विश्राम की मुद्रा में बैठ जाएँ

·         मेरुदण्ड तथा गर्दन को जमीन से उर्ध्वाधर एवं बिलकुल सीधा रखें |

·         आँखों को बंद कर कंधों को ढीला छोड़ दें |

·         पूरे शरीर को विश्राम दें |

अभ्यास :

·         श्वसन क्रिया को तीव्र करने का अभ्यास करें | इसमें श्वास लेने की क्रिया धीमी हो पर श्वास छोड़ने की क्रिया तीव्र एवं बलपूर्वक होनी चाहिए |

·         हर बार श्वास छोड़ते समय उदर में बलपूर्वक फड़फड़ाने जैसी गति पैदा करें | यह किया लगातार अर्थात प्रति मिनट 60 बार होनी चाहिए |

·         प्रत्येक बार श्वास छोड़कर उदर की मांसपेशियों को विश्राम देकर धीमी गति से श्वास लें |

·         अब स्वचालित रूप से श्वास रुकने की स्थिति का अनुसरण करें | इसके साथ ही आपको गहरी निःशब्दता की अवस्था महसूस हो सकती है | इस गहन विश्राम तथा नवीनता का आनंद लें |

·         तब तक प्रतीक्षा करें जब तक कि श्वसन क्रिया अपनी सहज स्थिति में न आ जाए |

लाभ :

·         लगातार अभ्यास करने से चेहरे की चमक बढती है एवं मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्रियाशीलता बढती है|

·         कपालभाति के अभ्यास से तंत्रिका तन्त्र को बल मिलता है |

·         पेट के अंगों की मालिश हो जाने से पाचन सम्बन्धी विकार दूर हो जाते हैं |

·         दमा एवं श्वास सम्बन्धी विकारों में लाभ मिलता है |

सावधानियां :

रक्तचाप, ह्रदय रोग, वर्टिगो, मिर्गी, हर्निया, पेप्टिक अल्सर, स्लिप डिस्क, सरवाईकल दर्द, मासिक धर्म के एवं गर्भावस्था के दौरान यह क्रिया वर्जित है |