By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
· तीव्र सर्दी, माइग्रेन, अस्थमा, हृदय रोग व थकान की अवस्था में गर्म पानी का पैर स्नान जादू सा असर करता है।
साधन : एक बाल्टी,गर्म पानी,कुर्सी या स्टूल,कम्बल,एक छोटा तौलिया |
विधि
पैरों के गर्म स्नान के लिए एक बाल्टी में गर्म पानी भर लें। ध्यान रखें कि बाल्टी
में पानी उतना ही रखें जितना कि घुटने तक आ सके। पानी हल्का गर्म रहने पर एक कुर्सी
पर बैठ जाएं और पैरों को पानी में रखें। जब पानी धीरे-धीरे ठंडा होने लगे तो उसमें
से पानी निकाल लें और ऊपर से गर्म पानी मिला दें। साथ ही एक कम्बल से सिर को छोड़कर
पूरे शरीर को ढककर रखें। कम्बल को ऐसे लपेटे की बाल्टी समेत पूरा शरीर कम्बल से ढक
जाए। इस स्नान में शुरू में और बीच-बीच में हल्का गर्म पानी थोड़ा-थोड़ा करके पीते रहें।
साथ ही सिर पर एक पानी से भीगा हुआ तौलिया रखें। यह स्नान 10-20 मिनट तक करें। स्नान
के बाद शरीर पर आए पसीने को तौलिये से अच्छी तरह पोंछकर सुखा लें। यदि इच्छा हो तो
इसके बाद ठंडे पानी से साधारण स्नान भी कर सकते हैं।
लाभ
· तीव्र सर्दी, माइग्रेन, अस्थमा, हृदय रोग व थकान की अवस्था में गर्म पानी का पैर स्नान जादू सा असर करता है।
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सामान्य अवस्था में इस प्रयोग को करने से शरीर स्फूर्ति
का अनुभव करता है।
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इस प्रयोग को अस्थमा रोग की तीव्र अवस्था में भी कराया
जाए तो अस्थमा रोगी को तुरंत लाभ मिलता है।
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आधाशीशी दर्द की प्रारंभिक स्थिति में इस प्रयोग से
आशातीत लाभ मिलता है।
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शारीरिक रूप से थकने पर यदि पैर स्नान किया जाए तो थकान
में बहुत राहत मिलती है।
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इस स्नान से सर्दी-जुकाम, बेहोशी आदि रोग दूर होते हैं।
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यह नींद का न आना तथा दमा के रोग को ठीक करता है।
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जिन स्त्रियों का मासिकधर्म आना बन्द हो गया हो उन्हें
यह स्नान करना चाहिए। इससे मासिकधर्म की परेशानी दूर होती है। इस स्नान को 20 से
30 मिनट तक किया जाए तो अधिक लाभ होता है।
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यदि रोगी की नाक बहती है और उसे गर्म पानी का पैर स्नान
करा दिया जाए तो बहती नाक कुछ ही समय में बहना बंद हो जाती है।
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पैर स्नान वाष्प स्नान का श्रेष्ठ विकल्प है।
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गर्म पानी का पैर स्नान करने से हृदय, मस्तिष्क व फेफड़ों में रक्त का प्रवाह कम होता है व शरीर
आराम का अनुभव करता है।
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यह स्नान उच्चरक्तचाप को नियंत्रित करता है |
सावधानियां
मिर्गी के रोगी इस उपचार को
न करें |