By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
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न्यूटन के गति नियम तीन भौतिक नियम हैं जो चिरसम्मत यांत्रिकी
के आधार हैं। ये नियम किसी वस्तु पर लगने वाले बल और उससे उत्पन्न उस वस्तु की गति
के बीच सम्बन्ध बताते हैं। इन्हें तीन सदियों में अनेक प्रकार से व्यक्त किया गया है।
न्यूटन के गति के तीनों नियम, पारम्परिक रूप से, संक्षेप में निम्नलिखित हैं -
प्रथम नियम
प्रत्येक पिंड तब तक अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा में एकसमान
गति की अवस्था में रहता है जब ताज कोई बाह्य बल उसे अन्यथा व्यवहार करने के लिए विवश
नहीं करता। इसे जड़त्व का नियम भी कहा जाता है।
द्वितीय नियम
किसी भी पिंड की संवेग
परिवर्तन की दर लगाये गये बल के समानुपाती होती है और उसकी (संवेग परिवर्तन की) दिशा
वही होती है जो बल की होती है।
तृतीय नियम
प्रत्येक क्रिया की सदैव बराबर एवं विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया
होती है।