VRINDAVAN INSTITUTE OF NATUROPATHY AND YOGIC SCIENCES is an authorized Work Integrated Vocational Education Center (WIVE) of Asian International University in India.

हरित लवक क्या है ? भोजन निर्माण मे इसकी उपयोगिता बताएं | हरे फलों के पकने पर रंग परिवर्तन की अभिक्रिया स्पष्ट करें

By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'



हरितलवक या क्लोरोप्लास्ट एक प्रकार का कोशिकांग है जो सुकेन्द्रिक पादप कोशिकाओं में और शैवालीय कोशिकाओं में पाया जाता है। हरितलवक प्रकाश-संश्लेषण द्वारा प्रकाशीय ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करतें हैं। इन का हरा रंग इन में पर्णहरित (क्लोरोफ़िल) रसायन के होने के कारण है जो प्रकाश-संश्लेषण में अत्यावश्यक है। माना जाता है कि नील हरित शैवाल नाम के जीवाणुओं से हरितलवकों का विकास हुआ। अधिकांश शैवाल कोशिकाओं (क्लैमाइडोमोनास) में एक हरितलवक और उच्च पौधों में 20-40 हरितलवक होते हैं।अलग-अलग कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट का आकार अलग-अलग होता है |
कार्य :
क्लोरोप्लास्ट प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषित करता है तथा प्रकृति में O2 और CO2 का संतुलन करता है।
भोजन निर्माण मे हरित लवक की उपयोगिता
हरे पौधे अपने भोजन का संश्लेषण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा स्वयं करते हैं| यहाँ प्रकाश से तात्पर्य सूर्य का प्रकाश है और संश्लेषण का अर्थ होता है-निर्माण करना| अतः प्रकाश संश्लेषण का अर्थ हुआ-प्रकाश के द्वारा भोजन का निर्माण| स्वपोषियों में हरे रंग का एक पिग्मेंट पाया जाता है, जिसे क्लोरोफिल कहा जाता है| क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करने में मदद करता है| इसी क्लोरोफिल की उपस्थिति में सूर्य के प्रकाश का प्रयोग करते हुए प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के द्वारा पादप कार्बन डाइ ऑक्साइड व जल से अपने भोजन का निर्माण करते हैं|
हरे पौधे अपना भोजन स्वयं, प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा, बनाते है|
हरे रंग के पादपों में क्लोरोफिल पाया जाता है, जिसे क्लोरोप्लास्ट कहा जाता है| पादपों की पट्टियाँ क्लोरोफिल की उपस्थिति के कारण ही हरी होती हैं|
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया निम्न रूप में सम्पन्न होती है:
6CO2 + 6H2O + Light energy C6H12O6 + 6O2
पादपों में भोजन का निर्माण हरी पत्तियों में होता है| पादपों द्वारा भोजन के निर्माण के लिए आवश्यक कार्बन डाइ ऑक्साइड की प्राप्ति वायु से होती है| हरी पत्तियों की सतह पर छोटे-छोटे छिद्र पाये जाते हैं, जिन्हें स्टोमेटा (Stomata) कहा जाता है| स्टोमेटा के माध्यम से ही कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस पादपों की पत्तियों में प्रवेश करती है| पादप प्रकाश संश्लेषण के लिए जल मिट्टी से प्राप्त करते हैं| पादप की जड़ें जल का अवशोषण कर जाइलम के माध्यम से पत्तियों तक पहुंचाती हैं| सूर्य का प्रकाश रासायनिक क्रियाओं के लिए ऊर्जा प्रदान करता है और पत्तियों में पाया जाने वाला क्लोरोफिल इस ऊर्जा के अवशोषण में मदद करता है| ऑक्सीज़न प्रकाश संश्लेषण की क्रिया का एक उप-उत्पाद है, जोकि वायु में मिल जाता है|

पत्तियों द्वारा तैयार किया गया भोजन सरल शर्करा के रूप में होता है, जिसे ग्लूकोज कहा जाता है| यह ग्लूकोज पादप के अन्य भागों में भेज दिया जाता है और अतिरिक्त ग्लूकोज पादप की पत्तियों में स्टार्च के रूप में संचयित हो जाता है| ग्लूकोज और स्टार्च कार्बोहाइड्रेट्स समूह से संबन्धित हैं| अतः पादप सूर्य के प्रकाश को रासायनिक ऊर्जा में बादल देते हैं|
प्रकाश संश्लेषण क्रिया के चरण निम्नलिखित हैं:
i) क्लोरोफिल द्वारा सूर्य के प्रकाश का अवशोषण होता है|
ii) सूर्य का प्रकाश रासायनिक ऊर्जा में बदल जाता है और जल हाइड्रोजन व ऑक्सीज़न में टूट जाता है|
iii) कार्बन डाइ ऑक्साइड हाइड्रोजन में अपचयित (Reduced) हो जाता है ताकि ग्लूकोज के रूप में कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण हो सके|
यह आवश्यक नहीं है कि प्रकाश संश्लेषण के ये सभी चरण क्रमिक रूप से एक के बाद एक घटित हों|
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक दशाएँ
1) सूर्य की रोशनी
2) क्लोरोफिल
3) कार्बन डाइ ऑक्साइड
4) जल
हरे फलों के पकने पर रंग परिवर्तन की अभिक्रिया
फलों के पकने की प्रक्रिया उनके स्वाद, खुशबू और रंग में भी बदलाव लाती है। यह उनकी आंतरिक रासायनिक क्रिया के कारण होता है। ज्यादातर फल मीठे और नरम हो जाते हैं और बाहर से उनका रंग हरे से बदल कर पीला, नारंगी, गुलाबी और लाल हो जाता है। फलों के पकने के साथ उनमें एसिड की मात्रा बढ़ती है, पर इससे खट्टापन नहीं बढ़ता, क्योंकि साथ-साथ उनमें निहित स्टार्च शर्करा में तबदील होता जाता है। फलों के पकने की प्रक्रिया में उनके हरे रंग में कमी आना, चीनी की मात्रा बढ़ना और मुलायम होना शामिल है। रंग का बदलना क्लोरोफिल के ह्रास से जुड़ा है। साथ ही फल के पकते-पकते नए पिंगमेंट भी विकसित होते जाते हैं। रंग परिवर्तन की अभिक्रिया के लिए वर्णी लवक जिम्मेदार होता है |
वर्णी लवक :
 ये रंगीन लवक होते हैं | जो प्राय: लाल, पीले एवं नारंगी रंग के होते हैं | ये पौधै के रंगीन भाग जैसे पुष्प आदि में पाये जाते हैं वर्णी लवक के उदाहरण : टमाटर मे लाइकोपेन, गाजर मे कैरोटीन, चुकंदर मे विटानीन | हरे टमाटर व मिर्चा पकने पर लाल हो जाते हैं, ऐसा क्लोरोप्लास्ट का क्रोमोप्लास्ट में परिवर्तन होने के कारण होता है | आलू का जो भाग मिट्टी की सतह पर होता है वह हरा हो जाता है, क्योंकि आलू मे उपस्थित ल्युकोप्लास्ट क्लोरोप्लास्ट मे परिवर्तित हो जाता है |