By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
जीव द्रव्य अथवा कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) :
यह एक गाढ़ा तरल पदार्थ होता है जो स्थानविशेष पर विशेष नामों द्वारा जाना जाता है; जैसे, द्रव्यकला (plasma membrane) तथा केंद्रक के मध्यवर्ती स्थान में पाए जाने वाले जीवद्रव्य को कोशिकाद्रव्य (cyt plasm) और केंद्रक झिल्ली (nuclear membrane) के भीतर पाए जाने वाले जीवद्रव्य को केंद्रक द्रव्य (nucleoplasm) कहते हैं। कोशिका का यह भाग अत्यंत चैतन्य और कोशिका की समस्त जैवीय प्रक्रियाओं का केंद्र होता है। इसे इसीलिए 'सजीव' (living) कहा जाता है। जीव वैज्ञानिक इसे 'जीवन का भौतिक आधार' (physcial basis of life) नाम से संबोधित करते हैं। आधुनिक जीव वैज्ञानिकों ने जीवद्रव्य का रासायनिक विश्लेषण करके यह तो पता लगा लिया है कि उसका निर्माण किन-किन घटकों द्वारा हुआ है, किंतु आज तक किसी भी वैज्ञानिक को उसमें (जीवद्रव्य) प्राण का संचार करने में सफलता हाथ नहीं लगी है। ऐसा है यह प्रकृति का रहस्यमय पदार्थ।
कोशिका के अन्दर केन्द्रक (Nucleus) के अतिरिक्त अन्य सम्पूर्ण भाग को कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) कहते हैं | यह कोशिका के जीवन का आधार है |
कोशिका की सभी जैविक क्रियाएं – श्वसन, वृद्धि, गतिशीलता, पाचन, उत्सर्जन, चापपचय, उत्तेजनशीलता एवं प्रजनन आदि साईटोप्लाज्म पर ही निर्भर करती हैं | कोशिका को जीवित रखने के लिए कोशिकद्रव्य में तीव्र गति से अनेक रासायनिक क्रियाएं होती हैं | मनुष्य के जीवित अवस्था में कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) की रचना देखना असंभव है | यदि इसका विश्लेषण करने का प्रयत्न किया जाये तो इसमें रासायनिक परिवर्तन होकर यह नष्ट हो जाता है | कोशिकद्रव्य के नष्ट होने से समस्त जैविक क्रियाएं रुक जाती हैं परिणामस्वरूप व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है |कोशिकद्रव्य अपनी दशा परिवर्तित करने की क्षमता रखता है यही कारण है कि इसकी रचना के विषय में वैज्ञानिकों में मतभिन्नता है | अधिकांश वैज्ञानिकों ने कोशिकद्रव्य की रचना जालयुक्त बताई है | जीव वैज्ञानिकों के अनुसार कोशिकद्रव्य में सूत्रों का जाल फैला रहता है, जिससे कोष्ठों (Vacuoles) के भीतर एक स्वच्छ समांशी पदार्थ भरा होता है | जाल की रचना करने वाला पदार्थ जालकद्रव्य (Spongiplasm) तथा कोष्ठों में पाया जाने वाला पदार्थ स्वच्छद्रव्य (Hyaloplasm) कहलाता है | इसके सूक्ष्म कण (Tiny particles) बराबर ब्राउनियन (Brawnian movement) गति से गतिमान रहते हैं |
साईटोप्लाज्म में कार्बनिक पदार्थ (Organic matters)– प्रोटीन,घुलनशील कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोज,माल्टोज,सुक्रोज आदि), अघुलनशील कार्बोहाइड्रेट स्टार्च ( ग्लाइकोजन व सेल्युलोज) एवं वसा भी होती है | अकार्बनिक पदार्थ – (Inorganic matters) (कैल्शियम,फास्फेट,क्लोराइड,सोडीयम,पोटैशियम) पाए जाते हैं | इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के विटमिन एवं एंजाइम भी होते हैं |
यह सभी पदार्थ साईटोप्लाज्म के अजीवित अंग हैं जिन्हें निर्जिवास द्रव्य (Cytoplasmic inclusions) कहा जाता है |
जीव द्रव्य अथवा कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) :
यह एक गाढ़ा तरल पदार्थ होता है जो स्थानविशेष पर विशेष नामों द्वारा जाना जाता है; जैसे, द्रव्यकला (plasma membrane) तथा केंद्रक के मध्यवर्ती स्थान में पाए जाने वाले जीवद्रव्य को कोशिकाद्रव्य (cyt plasm) और केंद्रक झिल्ली (nuclear membrane) के भीतर पाए जाने वाले जीवद्रव्य को केंद्रक द्रव्य (nucleoplasm) कहते हैं। कोशिका का यह भाग अत्यंत चैतन्य और कोशिका की समस्त जैवीय प्रक्रियाओं का केंद्र होता है। इसे इसीलिए 'सजीव' (living) कहा जाता है। जीव वैज्ञानिक इसे 'जीवन का भौतिक आधार' (physcial basis of life) नाम से संबोधित करते हैं। आधुनिक जीव वैज्ञानिकों ने जीवद्रव्य का रासायनिक विश्लेषण करके यह तो पता लगा लिया है कि उसका निर्माण किन-किन घटकों द्वारा हुआ है, किंतु आज तक किसी भी वैज्ञानिक को उसमें (जीवद्रव्य) प्राण का संचार करने में सफलता हाथ नहीं लगी है। ऐसा है यह प्रकृति का रहस्यमय पदार्थ।
कोशिका के अन्दर केन्द्रक (Nucleus) के अतिरिक्त अन्य सम्पूर्ण भाग को कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) कहते हैं | यह कोशिका के जीवन का आधार है |
कोशिका की सभी जैविक क्रियाएं – श्वसन, वृद्धि, गतिशीलता, पाचन, उत्सर्जन, चापपचय, उत्तेजनशीलता एवं प्रजनन आदि साईटोप्लाज्म पर ही निर्भर करती हैं | कोशिका को जीवित रखने के लिए कोशिकद्रव्य में तीव्र गति से अनेक रासायनिक क्रियाएं होती हैं | मनुष्य के जीवित अवस्था में कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) की रचना देखना असंभव है | यदि इसका विश्लेषण करने का प्रयत्न किया जाये तो इसमें रासायनिक परिवर्तन होकर यह नष्ट हो जाता है | कोशिकद्रव्य के नष्ट होने से समस्त जैविक क्रियाएं रुक जाती हैं परिणामस्वरूप व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है |कोशिकद्रव्य अपनी दशा परिवर्तित करने की क्षमता रखता है यही कारण है कि इसकी रचना के विषय में वैज्ञानिकों में मतभिन्नता है | अधिकांश वैज्ञानिकों ने कोशिकद्रव्य की रचना जालयुक्त बताई है | जीव वैज्ञानिकों के अनुसार कोशिकद्रव्य में सूत्रों का जाल फैला रहता है, जिससे कोष्ठों (Vacuoles) के भीतर एक स्वच्छ समांशी पदार्थ भरा होता है | जाल की रचना करने वाला पदार्थ जालकद्रव्य (Spongiplasm) तथा कोष्ठों में पाया जाने वाला पदार्थ स्वच्छद्रव्य (Hyaloplasm) कहलाता है | इसके सूक्ष्म कण (Tiny particles) बराबर ब्राउनियन (Brawnian movement) गति से गतिमान रहते हैं |
साईटोप्लाज्म में कार्बनिक पदार्थ (Organic matters)– प्रोटीन,घुलनशील कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोज,माल्टोज,सुक्रोज आदि), अघुलनशील कार्बोहाइड्रेट स्टार्च ( ग्लाइकोजन व सेल्युलोज) एवं वसा भी होती है | अकार्बनिक पदार्थ – (Inorganic matters) (कैल्शियम,फास्फेट,क्लोराइड,सोडीयम,पोटैशियम) पाए जाते हैं | इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के विटमिन एवं एंजाइम भी होते हैं |
यह सभी पदार्थ साईटोप्लाज्म के अजीवित अंग हैं जिन्हें निर्जिवास द्रव्य (Cytoplasmic inclusions) कहा जाता है |