By- Dr. Kailash Dwivedi 'Naturopath'
एंजाइम क्या है :
एंजाइम एक तरह का प्रोटीन है जो कोशिकाओं के अंदर पाया जाता
है। एंजाइम मानव शरीर में कैमिकल (रसायनिक) प्रतिक्रियाओं को तेज करने में मदद करते
हैं। एंजाइम भोजन को पचाने,
मांसपेशियों के बनने और शरीर में विषाक्त पदार्थ खत्म करने के
लिए आवश्यक होते हैं।एंजाइम शरीर में स्वाभाविक रूप से निर्मित होते हैं। ज्यादातर
एंजाइम पेनक्रियाज (अग्नाशय), पेट और छोटी आंत में बनते हैं। इसके अलावा आपकी लार ग्रंथियां
भी पाचन एंजाइम्स को बनाती हैं, जो भोजन चबाने के दौरान ही उसको पचाने की प्रक्रिया शुरू कर
देते हैं।
एंजाइम के प्रकार :
शरीर में हजारों एंजाइम मौजूद होते हैं,
जिनमें से कुछ मुख्य के उदाहरण नीचे दिए गए हैं:
· लिपैसीस (Lipases) –
यह एंजाइम का एक समूह है, जो आंतों में वसा को पचाने में मदद करता है।
· एमिलेज (Amylase) -
स्टार्च को शर्करा में बदलने में मदद करता है। एमिलेज मुंह की
लार में पाया जाता है।
· माल्टेज (Maltase) – यह एंजाइम भी लार में पाया जाता है;
जो चीनी को ग्लूकोज में बदलता है। माल्टोस आलू जैसे खाद्य पदार्थों
में पाया जाता है।
· ट्राईपसीन (Trypsin) – यह एंजाइम छोटी आंत में मौजूद होता है,
जो प्रोटीन को एमिनो एसिड में तोड़ने का काम है।
· लैक्टेज (Lactase) –
लैक्टेज भी छोटी आंत में पाया जाता है,
यह दूध में मौजूद लैक्टोज (चीनी का प्रकार) को तोड़कर ग्लूकोज
और गैलेक्टोज में बदलता है।
· एसिटाइलकोलेनेस्टेज (Acetylcholinesterase)
- नसों और मांसपेशियों में न्यूरोट्रांसमीटर
(नसों और कोशिकाओं को संकेत देने वाला) की तरह काम करने वाले कैमिकल एसिटाइलोक्लिन
(Acetylcholine,
दिमाग और शरीर में मौजूद कैमिकल) को तोड़ने का काम करता है।
· हेलिकेज (Helicase)-डीएनए
के साथ मिलकर शरीर के लिए कुछ जरूरी प्रतिक्रियाएं करता है।
· डीएनए पोलीमरेज (DNA polymerase)
–
डीएनए बनने में मदद करता है।
· प्रोटेज (Protease) –
प्रोटेज एंजाइम प्रोटीन को एमिनो एसिड में तोड़ता है।
एंजाइम के कार्य और महत्व
:
एंजाइम शरीर के बड़े अणुओं (जैसे ग्लूकोज) को छोटे आकार में
तोड़ने में सहायक होता है, जिससे शरीर इन अणुओं को ऊर्जा के रूप में उपयोग करता है।शरीर की प्रत्येक कोशिका
में डीएनए मौजूद होता है। जब कोशिकाएं विभाजित होती हैं,
तब उसको डीएनए की भी प्रतिलिपि बनाने की आवश्यकता पड़ती है।
एंजाइम इस प्रक्रिया में डीएनए की प्रतिलिपि बनाने मे सहायक होता है।
यदि लिवर विषाक्त पदार्थों को कम करने का काम करता है
और यह कार्य कई तरह के एंजाइम के उपयोग से ही किया जाता है। एंजाइम केवल कुछ विशेष
स्थितियों में ही काम कर सकते हैं। शरीर में मौजूद अधिकांश एंजाइम शरीर के करीब 37 डिग्री
सेल्सियस तापमान पर ही बेहतर तरह से काम करते हैं। ऐसा नहीं कि कम तापमान होने पर एंजाइम
काम करना बंद कर देते हैं, लेकिन कम तापमान में उनकी कार्य
करने की क्षमता धीमी हो जाती है। इसके साथ
ही एंजाइम केवल एक निश्चित पीएच स्तरमें काम करते हैं और यह इस बात पर निर्भर करता
है कि वे शरीर के किस हिस्से में पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए आंतों में एंजाइम 7.5 पीएच पर
बेहतर तरह से काम करते हैं, जबकि पेट में मौजूद एंजाइम 2 पीएच स्तर
पर अच्छी तरह काम कर पाते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अन्य
अंगों के मुकाबले पेट में अधिक अम्ल (acid: एसिड) पाया
जाता है। यदि एंजाइम अधिक तापमान या अधिक अम्ल या क्षार के संपर्क में आते हैं, तो ये अपना
आकार बदल लेते हैं। इसमें सक्रिय एंजाइम का आकार बदलता है और वह सब्सट्रेट (अन्य अणु)
के साथ नहीं जुड़ पाता है।